डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
विमला गुंज्याळ जी उत्तराखंड की प्रथम आईपीएस अधिकारी हैं, जो देहरादून उत्तराखंड से हैं वह अपनी ईमानदारी,निष्पक्षता और उत्कृष्ट पुलिससिंग के लिए जानी जाती हैं. विमला गुंज्याल ने उत्तराखंड कैड़र में आईपीएस अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं, विभिन्न पदों पर कार्य किया है वह अपनी बेबाकी और निडरता के लिए जानी जाती हैं. उनकी सेवाओं और योगदान को देखते हुए विमला गुंज्याळ जी को कई पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित किया गया है वह उत्तराखंड के लोगों के बीच एक लोकप्रिय और सम्मानित महिला हैं, विमला गुंज्याल जी की कहानी अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है जो अपने जीवन में कुछ ना कुछ करना चाहती हैं अपना कैरियर बनाना चाहती हैं.विमला गुज्याल उत्तराखंड की पहली महिला जेल अधीक्षक (जेल अधिकारी) हैं वह एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व है जिन्होंने अपने करियर में उत्कृष्टता हासिल की है. विमला गुज्याल जी की नियुक्ति और उनके कार्यो ने उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है वह अन्य महिलाओं के लिए एक आदर्श हैं जो अपने करियर में आगे बढ़ना चाहती हैं.विमला गुंज्याळ जी का जन्म उत्तराखंड में हुआ था, उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उत्तराखंड पुलिस सेवा में भर्ती हुई और जेल अधीक्षक के पद पर नियुक्त हुई. विमला गुंज्याल जी की नियुक्ति उत्तराखंड की पहली महिला जेल अधीक्षक के रूप में हुई थी जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी. उन्होंने अपने कार्यकाल में कई चुनौतियों का सामना किया और अपने काम को ईमानदारी और निष्ठा से किया.विमला गुंज्याल जी उत्तराखंड की पहली महिला जेल अधीक्षक के रूप में अपने कार्यों के लिए जानी जाती हैं. उनके कुछ प्रमुख कार्यों में शामिल कार्य इस प्रकार हैं. जेल सुधारउन्होंने जेल में सुधार के लिए कई पहल की जैसे कि कैदियों के लिए शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रम.महिला कैदियों का समर्थन: उन्होंने महिला कैदियों के लिए विशेष सुविधाएं और समर्थन प्रदान करने के लिए काम किया.जेल में सुरक्षा और अनुशासन: उन्होंने जेल में सुरक्षा और अनुशासन बनाए रखने के लिए कई कदम उठाए.
समाज में जागरूकता: उन्होंने समाज में जेल सुधार और महिला सशक्तिकरण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए काम किया.विमला गुंज्याळ जी के कार्यो ने उत्तराखंड की कार्य प्रणाली में सुधार लाने और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं,भारत-चीन सीमा पर स्थित उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण गुंजी गांव में एक नई उम्मीद का जन्म हुआ है। पूर्व पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी विमला गुंज्याल को ग्राम प्रधान निर्विरोध रूप से चुना गया है। यह निर्णय न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि सीमांत क्षेत्र के विकास और जागरूक नेतृत्व की दिशा में एक अहम कदम भी माना जा रहा है।विमला गुंज्याल ने अपने कार्यकाल में देश की सेवा पूरी निष्ठा और कर्तव्यपरायणता से की। सेवा निवृत्ति के बाद उन्होंने अपने मूल गांव गुंजी लौटकर सामाजिक सेवा का नया अध्याय शुरू किया है। ग्रामीणों का मानना है कि उनके प्रशासनिक अनुभव और दूरदर्शिता के कारण गांव को एक सशक्त नेतृत्व मिलेगा, जो न सिर्फ विकास कार्यों को गति देगा बल्कि पारदर्शिता और कुशल प्रबंधन को भी सुनिश्चित करेगा।ग्राम पंचायत चुनाव में शुरुआत में पांच इच्छुक प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र खरीदे थे, लेकिन विमला गुंज्याल के नाम पर जब गांव में व्यापक सहमति बनी, तो शेष प्रत्याशियों ने चुनाव न लड़ने का निर्णय लिया। गांव की एकता, आपसी समझ और सामूहिक सोच का यह उदाहरण प्रशंसनीय है। इसी सहमति के आधार पर विमला गुंज्याल को निर्विरोध ग्राम प्रधान चुना गया।चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद जब विमला गुंज्याल धारचूला पहुंचीं, तो गांववासियों ने उनका पारंपरिक और उत्साहपूर्ण स्वागत किया। फूल-मालाओं और ढोल-नगाड़ों के साथ उनका अभिनंदन किया गया। ग्रामीणों ने इस दिन को गुंजी गांव के लिए एक ऐतिहासिक और गौरवपूर्ण दिन बताया और कहा कि अब उन्हें अपने गांव के विकास की दिशा में नया भरोसा मिला है।गुंजी गांव को पहले से ही धार्मिक और पर्यटन दृष्टि से राष्ट्रीय पहचान प्राप्त है। यह आदि कैलाश, ओम पर्वत और कैलाश मानसरोवर यात्रा का एक प्रमुख पड़ाव है। 2024 में हर्षिल और गुंजी गांव “वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम” का महत्वपूर्ण हिस्सा भी रहें। प्रधानमंत्री की 12 अक्टूबर 2023 को गुंजी यात्रा ने इस क्षेत्र को और भी अधिक राष्ट्रीय पटल पर लाकर खड़ा किया। अब ग्राम प्रधान के रूप में एक अनुभवी अधिकारी की नियुक्ति इस गांव की साख को और मजबूत करेगी।गुंजी, धारचूला तहसील की व्यास घाटी में स्थित एक छोटा सा किन्तु सामरिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण गांव है। यह भारत-चीन और भारत-नेपाल सीमा के पास लगभग 3500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां भोटिया समुदाय के लोग रहते हैं, जो अपनी समृद्ध संस्कृति, परंपराओं और साहसिक जीवनशैली के लिए पहचाने जाते हैं।जनसांख्यिकी 2011 की जनगणना के अनुसार, गुंजी गांव की आबादी 194 घरों में रहने वाले 335 लोगों की है।इस क्षेत्र के लोग मुख्यतः कृषि, पशुपालन और छोटे पैमाने पर व्यापार से अपनी आजीविका चलाते हैं। यहां का जीवन कठिन जरूर है, लेकिन आत्मसम्मान और सामूहिक सहयोग की भावना बहुत मजबूत है। सामरिक दृष्टिकोण से यह क्षेत्र अत्यधिक संवेदनशील है और इसलिए यहां भारतीय सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की निगरानी हमेशा बनी रहती है। सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण यहां प्रवेश के लिए इनर लाइन परमिट की आवश्यकता होती है।गुंजी गांव के लोग अब अपने नए ग्राम प्रधान से नई उम्मीदें लगाए बैठे हैं। उन्हें विश्वास है कि विमला गुंज्याल के नेतृत्व में गांव न सिर्फ विकास की नई ऊंचाइयों को छुएगा, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत ढांचे और आजीविका के नए अवसरों की भी शुरुआत होगी। यह बदलाव सीमांत गांवों के आत्मनिर्भर और सशक्त भविष्य की दिशा में एक प्रेरणादायी पहल है।विमला गुंज्याल सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी और पूर्व आईजी रही हैं। उन्होंने देश की सुरक्षा और कानून व्यवस्था को सशक्त बनाने में योगदान दिया। अब वह अपने अनुभव का उपयोग सीमावर्ती गांव गुंजी के सर्वांगीण विकास में करेंगी।गांववासियों का कहना है कि उनके नेतृत्व में गांव को योजनाओं का सीधा लाभ मिलेगा और शासन-प्रशासन से बेहतर समन्वय स्थापित होगा।पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अफसर जब रिटायरमेंट के बाद गांवों की सेवा के लिए आगे आते हैं। इन पंचायत चुनावों ने यह साबित कर दिया है कि अब गांवों में भी नेतृत्व का पैमाना बदल रहा है। जातिवाद की दीवारें गिर रही हैं, और सेवा व योग्यता की नींव पर नई इमारतें खड़ी हो रही हैं। यह बदलाव की बयार नहीं, लोकतंत्र की असली बहार है। “कभी वर्दी से देश की रक्षा की, अब मिट्टी की सेवा से गांव को संवारेंगे यही है उत्तराखंड का नया नेतृत्व।यह बदलाव केवल एक गांव तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक नई सोच, नई दिशा और नई प्रेरणा है। *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*