जोशीमठ, चमोली, उरगम घाटी। इन दिनों उच्च हिमालई क्षेत्रों में गुलजार बना हुआ है आरसा गंभू जिसे कीड़ा जड़ी कहते हैं। कीड़ा जड़ी निकालने के लिए काफी बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। ऊंची हिमालय क्षेत्र 10000 से लेकर 15000 फीट की ऊंचाई पर पाया जाने वाले बेशकीमती जड़ी बूटी क्षेत्रों के युवाओं के लिए वरदान साबित हुआ है।
इतना जरूर है कि कड़ी मेहनत करने के बाद इस जड़ी को निकालकर मेहनत कर किसान गांव तक लाता है। यहां ओने पौने दाम पर दलाल खरीदते हैं और मालामाल बन जाते हैं। किंतु प्रकृति की सुंदरता सौंदर्य का वर्णन करना कठिन है।
आजकल उच्च हिमालई क्षेत्रों में सफेद बुरांश बहुतयात मात्रा में खिलते मिलते रहे हैं। यह प्रकृति का अद्भुत नजारा है। धीरे.धीरे उच्च हिमालई क्षेत्रों में अनेकों जड़ी बूटियां तैयार होने लग गई हैं। कई प्रकार के फूल धीरे.धीरे खिलना शुरू हो गया है। प्रकृति की अनमोल छटा बड़ी मधुर दिखती है। इन दिनों तुंगनाथ, रुद्रनाथ, फूल नारायण, बंसी नारायण, चोपता मध्यमहेश्वर के जंगलों में सफेद बुरांश खिले लगे हैं । जैसे.जैसे ऊंचाई बढ़ती है वैसे वैसे बुरा उसका रंग लाल होने की जगह सफेद होने लगता है और पौधे की ऊंचाई भी धीरे.धीरे कम होने लगती है पत्ते मोटे होने लगते हैं पेड़ की ऊंचाई भी कम होती है और जमीन पर लेटे हुए सफेद बुरांश का पौधा होता है ।