• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar

मुलायम की मृत्यु के बाद क्या मुजफ्फरनगर कांड का कलंक ऐसे ही धुल जाएगा?

12/10/22
in उत्तराखंड, देहरादून
Reading Time: 1min read
0
SHARES
370
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

शंकर सिंह भाटिया
भारतियों की एक प्रवृत्ति रही है कि जब आदमी की मौत हो जाती है, उसके केवल उजले पक्ष को ही उजागर किया जाता है, खासकर भारतीय मीडिया इसके लिए जाना जाता है। मुलायम सिंह यादव जो भारतीय राजनीति में एक बड़े नेता थे, उनकी मृत्यु के बाद यही हो रहा है। मीडिया केवल उनके उजले पक्ष को ही उजागर करने में लगा है। यदि इलेक्ट्रा्निक मीडिया की बात करें तो ऐसा लगता है कि मुलायम सिंह यादव इस धरती पर पैदा ही नहीं हुए, बल्कि वह देवलोक में पैदा होकर इस धरती पर अवतरित हुए, उनमें सिर्फ गुण ही गुण थे, दोष तो कुछ था ही नहीं। मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक यात्रा पर नजर डालते हैं तो 1994 का मुजफ्फरनगर कांड, मसूरी-खटीमा गोली कांड उनकी राजनीति का वह स्याह पक्ष है, जिसका उल्लेख किए बिना उनकी राजनीतिक यात्रा पर बात करना आधा-अधूरा ही होगा। उनके इस स्याह पक्ष पर पर्दा डाल देना, एक पूरे पहाड़ी समाज ने उनकी नफरत को झेला, पहाड़ी समाज प्रति उनके किए गए कृत्यों को भुला देना क्या संभव है?

यदि निष्पक्ष और तटस्थ आंकलन करें तो उत्तराखंड के परिप्रेक्ष में मुलायम सिंह यादव के दो चेहरे दिखाई देते हैं। 1994 से पहले मुलायम सिंह यादव के कई काम हैं, जिनके लिए उनको याद किया जाता है। जिसमें एक बहुत बड़ा काम है कौशिक कमेटी का गठन। चार कैबिनेट मंत्रियों की इस उच्च स्तरीय कमेटी ने उत्तराखंड के बहुत सारे कस्बों, शहरों, यहां तक कि गांवों में जाकर लोगों से संवाद किया। इसके अतिरिक्त कमेटी ने लोगों के लिखित सुझाव भी मांगे। बिना कोई राजनीति किए कौशिक कमेटी ने भविष्य के उत्तराखंड राज्य का खाका खींचा, पर्वतीय राज्य की जो रुपरेखा रखी, वह अद्वितीय थी। उन्हें उत्तराखंड के प्ररिप्रेक्ष में निष्पक्ष सटीक कहा जा सकता है। बिना राजनीतिक लागलपेट के कौशिक कमेटी के सुझाव उत्तराखंड के जनमानस का प्रतिनिधित्व करने वाले थे।

यदि 9 नवंबर 2000 को राज्य गठन करते समय तत्कालीन भाजपा सरकार ने कौशिक कमेटी की सिफारिशों पर गौर किया होता, जिस राज्य की लड़ाई उत्तराखंड के नाम पर लड़ी गई थी, उस पर जबरदस्ती अपना दिया हुआ उत्तरांचल नाम नहीं थोपा गया होता, साथ में बने झारखंड और छत्तीसगढ़ की तरह उत्तराखंड की स्थायी राजधानी गैरसैंण घोषित कर दी होती, उत्तराखंड राज्य को लेकर बाहरी दबाओं में आकर हरिद्वार को नहीं मिलाया होता, इस तरह के बाहरी दबाओं के निर्णय उत्तराखंड में नहीं थोपे गए होते, तो उत्तराखंड आज दूसरी स्थिति में होता। इन सारी सिफारिशों को दरकिनार करने और अपनी मनमर्जी थोपने का परिणाम उत्तराखंड आज भी झेल रहा है। अन्यथा 22 साल का उत्तराखंड इन हालात में नहीं होता।

यह 1994 के उत्तराखंड आंदोलन शुरू होने से पहले का दौर था, मुलायम सिंह यादव ने कौशिक कमेटी बनाकर उत्तराखंड पर एक निरपेक्ष रायसुमारी सामने लाकर एक बेहतर कार्य जरूर किया, लेकिन इसी दौर में मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश की एक पर्यटन नीति लेकर आए। तब मुलायम सिंह यादव की सरकार ने उत्तर प्रदेश में चार पर्यटन सर्किट बनाए थे, जिसमें पूरे उत्तराखंड के पहाड़ को एक सर्किट में रखा गया था। इस पर्यटन नीति में पहाड़ को धन्ना सेठों के हाथों बेच डालने के पूरे प्रबंध कर डाले थे। अच्छे कामों के साथ उनके इस स्याह पक्ष का उल्लेख करना यहां जरूरी हो जाता है।

अब आते हैं 1994 में मुलायम सिंह यादव कैसे एक पूरे समाज के लिए बिलेन की भूमिका में आए। मुलायम सिंह यादव सरकार ने पूरे प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू करने का निर्णय लिया था। उत्तराखंड के छात्रों, युवाओं को इस पर आपत्ति थी। बहुत हद तक सरकारी नौकरियों पर निर्भर उत्तराखंड में इस बात का डर फैल गया कि हमारे हिस्से की सरकारी नौकरियों पर ओबीसी के बहाने कब्जा कर लिया जाएगा, उत्तराखंड के युवाओं के लिए सारे दरवाजे बंद हो जाएंगे। क्योंकि यदि ओबीसी सूची को देखते हैं तो पर्वतीय क्षेत्र में सिर्फ तीन चार जातियां इसके दायरे में आती हैं, इनकी आबादी एक प्रतिशत भी नहीं है। इसी के विरोध में पूरा उत्तराखंड उबल पड़ा। मुलायम सिंह यादव और मायावती को यह उनके विशेषाधिकार पर चोट जान पड़ी। इसके खिलाफ आए मुलायम सिंह यादव के बयानों ने पूरे पहाड़ को अंदर तक चोटिल कर दिया। आहत पहाड़ में आंदोलन का ज्वार उठ खड़ा हुआ। जन प्रतिरोध के खिलाफ पहले खटीमा, मसूरी, नैनीताल, कोटद्वार समेत तमाम क्षेत्रों में आंदोलन को कुचलने का उपक्रम शुरू हुआ।

आंदोलन को कुचलने का शासन प्रायोजित सबसे बड़ा उपक्रम 2 अक्टूबर 1994 में मुजफ्फरनगर में किया गया। मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के जिलाधिकारी अनंत कुमार सिंह और डीआईजी बुआ सिंह को भेजे गए टेलीग्राम संदेश, जिसमें आंदोनकारियों को गोली से उड़ाने और सबसे बड़ा घृणित कार्य महिलाओं को अपमानित करने, दुराचार करने के सीधे निर्देश दिए गए। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में साफ तौर पर कहा था कि एक पिछड़े वंचित समाज को नीचा दिखाने के लिए महिलाओं के साथ दुराचार जैसे कृत किए गए, करवाए गए। आंदोलनकारियों को आक्रामक बताने के लिए पुलिस वालों के शरीर में बाकायदा आपरेशन कर छर्रे इंप्लांट कराए गए।

मुजफ्फरनगर कांड किस तरह मुलायम सिंह यादव रचित एक भयावह षडयंत्र था, इसके कई उदाहरण मौजूद हैं। मुजफ्फरनगर कांड के तुरंत बाद मुलायम सिंह यादव ने एक न्यायिक आयोग का गठन किया। जब कोर्ट ने इस कांड की सीबीआई जांच की सिफारिश की तो मुलायम सिंह यादव ने दलील दी कि इसकी जांच के लिए पहले ही न्यायिक आयोग गठित किया गया है, इसलिए सीबीआई जांच की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने जब न्यायिक आयोग के कार्य के कार्यक्षेत्र के बारे में जानकारी चाही तो बताया गया कि आयोग को यह पता करने को कहा गया था कि उत्तराखंडियों ने ऐसा क्या किया कि पुलिस को गोली चलाने को मजबूर होना पड़ा। मतलब यह कि पहले मान लिया गया कि गलती आंदोलनकारियों की थी, पुलिस ने तो सिर्फ आत्मरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए गोली चलाई। मुलायम सिंह यादव सीबीआई जांच रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक गए। लेकिन जांच नहीं रुकी। जब सीबीआई जांच शुरू हुई तो जांच में बाधा डालने के लिए मुलायम सिंह यादव की पुलिस ने जो कृत्य किए, उसका गवाह पूरा पहाड़ है। यहां तक कि पुलिस के जिस कर्मचारी ने सरकारी गवाह बनने पर सहमति दी, वह कोर्ट में गवाही देकर लौट रहा था, उसकी रेल में ही निर्मम हत्या कर दी गई। जांच और कोर्ट की कार्यवाही को लगातार बाधित करने के बावजूद जो सीबीआई जांच रिपोर्ट आई उसमें मुलायम सिंह यादव के कृत्यों को नंगा कर सामने रख दिया। इलाहाबाद हाई कोर्ट के दो जजों की सुनवाई के बाद हालांकि मुलायम सिंह यादव ने उत्तराखंड की महिलाओं से सार्वजनिक तौर पर माफी मांग ली, लेकिन न तो दिल से माफी मांगी गई, न उत्तराखंड ने उन्हें कभी माफ किया।

मुलायम सिंह यादव की माफी में कटुता और जहर बुझी शातिर मानसिकता छिपी हुई थी। इसके प्रमाण हैं। हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ मुलायम सिंह यादव अपने को दोषमुक्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में चले गए। तब केंद्र की गठबंधन सरकार में मुलायम सिंह यादव महत्वपूर्ण भूमिका में थे। वह देश के रक्षा मंत्री थे, उस अस्थिर खिचड़ी सरकार के दौर में वह न्याय व्यवस्था को भी प्रभावित करने की स्थिति में थे। पूरा उत्तराखंड हाई कोर्ट के निर्णय के बाद आत्ममुग्धता के दौर से गुजर रहा था। एक तरफ सुप्रीम कोर्ट में ढंग से पैरवी नहीं हो पाई दूसरी तरफ कूटरचना में माहिर मुलायम सिंह यादव प्रभावशाली पोजीशन में थे। इसका परिणाम यह हुआ कि मुलायम सिंह यादव ने सुप्रीम कोर्ट से अपने को बरी करवा लिया। साथ हाई कोर्ट के निर्णय के अनुसार उत्तपीड़ित आंदोलनकारियों और पीड़ित महिलाओं को मुआवजा देने का जो प्रावधान किया गया था, उस उत्पीड़न के जिम्मेदार मुलायम सिंह यादव ने इस पूरी प्रक्रिया को ही समाप्त करवा दिया। यह साबित करता है कि माफी मांगने के बावजूद मुलायम सिंह यादव के दिल में उत्तराखंडियों के प्रति जहर भरा हुआ था, उन्हें मिलने वाली कोई भी रियायत वह स्वीकार नहीं कर सकते थे।

चाहे देश के सबसे बड़े कोर्ट ने मुलायम सिंह यादव को इस कुकृत्य के लिए बरी कर दिया हो, लेकिन उत्तराखंड की जनता ने इन दुश्कर्मों के लिए उन्हें कभी माफ नहीं किया, उन्हें आजीवन दोषी माना, उनकी मृत्यु के बाद भी इन जघन्य अपराधों के लिए यह समाज उन्हें कभी माफ नहीं कर सकता है।

मुलायम सिंह यादव और उत्तराखंडी समाज के बीच जो घात-प्रतिघात हुआ, उसके पीछे की राजनीति थी कि मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू कर मुलायम सिंह यादव, जो खुद अन्य पिछड़ा वर्ग से आते थे, इस वर्ग का सबसे बड़ा नेता बनना चाहते थे। अन्य पिछड़ा वर्ग के एक बड़े वोट बैंक पर उनकी निगाह थी। उत्तराखंडी समाज इस पर बाधक बनकर खड़ा हो गया। सत्ता के शीर्ष पर बैठे व्यक्ति को यह नागवार गुजरा, एक समाज से मिल रही चुनौती को उन्होंने निजी तौर पर ले लिया। अहंकार और जिद की राजनीति में दोनों पक्ष एक दूसरे के खिलाफ उठ खड़े हो गए। आंदोलन बढ़ता चला गया, आरक्षण के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन अब राज्य आंदोलन में तब्दील हो गया। उत्तराखंडियों को लगा कि यदि अपना राज्य होता तो कोई मुलायम सिंह यादव या मायावती हमारी वाजिब मांगों को अनसुना कर हम पर गैरवाजिब आरक्षण नहीं थोपता। इसी जिद में आंदोलन बढ़ता चला गया, जिसकी परिणति मुजफ्फरनगर कांड जैसे विभत्स कांड के रूप में सामने आई। एक सत्ता के अहंकार में डूबे व्यक्ति का यह कृत्य कोई समाज कैसे माफ कर सकता है? उनकी मृत्यु के बाद यह कलंक क्या ऐसे ही धुल जाएगा?

ShareSendTweet
Previous Post

नरकोटा के रेल लाइन प्रभावितों से मिले आरबीएनएल के सीपीएम

Next Post

कैबिनेट में 26 प्रस्ताव आए, पहले चरण में छह थाने, 20 चौकियां खुलेंगे

Related Posts

उत्तराखंड

पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा से नवनिर्वाचित कार्यकारिणी ने की शिष्टाचार भेंट

June 30, 2025
4
उत्तराखंड

एसडीआरएफ की प्रशिक्षण इकाई को टेक्निकल गाइड यूनिट के रूप में सक्रिय करें: महानिरीक्षक

June 30, 2025
4
उत्तराखंड

स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले लोगों के लिए प्रेरणास्रोत थे हिन्द के दादा नैरोजी – अनिल नौरिया

June 30, 2025
2
उत्तराखंड

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के ‘विकसित भारत@2047’ के संकल्प को मिलकर साकार करें: धामी

June 30, 2025
4
उत्तराखंड

हिमालय पर्वत  श्रृंखला में क्यों ज्यादा होते हैं भूस्खलन?

June 30, 2025
11
उत्तराखंड

हेमकुण्ड साहिब तीर्थ यात्रा पर पहुँच रहे कुछ सिरफिरे सिख तीर्थ यात्री आए दिन कहीं न कहीं बबाल काट रहे

June 30, 2025
10

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा से नवनिर्वाचित कार्यकारिणी ने की शिष्टाचार भेंट

June 30, 2025

एसडीआरएफ की प्रशिक्षण इकाई को टेक्निकल गाइड यूनिट के रूप में सक्रिय करें: महानिरीक्षक

June 30, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.