फोटो– उत्तराखंड विंटर गेम्स एशोसिएशन के प्रवक्ता पीसी थपलियाल।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। इण्डियन ओलपिंक एशोसिएशन मंे घुसपैठ कर उत्तराख्ंाड के एक चर्चित पूर्व आईएएस ने उत्तराख्ंाड विंटर गेम्स एशोसिएशन को ही बाहर का रास्ता दिखा दिया। विंटर गेम्स एसोसिएशन आफॅ उत्तराख्ंाड ने ओलपिंक एसोसिएशन के इस हथकंडे के खिलाफ उत्तराखंड उच्च न्यायालय मे याचिका दायर कर दी है।
उत्तरांखड के औली मंे मंगलवार 26फरवरी से नेशनल गेम्स आयोजित होने है, लेकिन उत्तराखंड विंटर गेम्स एसोसिएशन इसमे भाग ले सकेगी या नही इसमे भी अभी संसय बना हुआ है। दरसअल खेल मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वर्ष 2011 में राष्ट्रीय खेल विकास संहिता लागू की गई थी। जिसके उप नियम के तहत इंण्डियन ओलपिंक एसोसिएशन को राज्य के ओलपिंक एशोसिएशन तथा राष्ट्रीय स्तर के विशिष्ठ खेलो के महासंघों को संबद्ध करने तथा उनकी गतिविधियों मे दखल देने का अधिकार है लेकिन विंटर गेम्स जैसे विशिष्ठ खेलों मे राज्य एशोसिएशन को न तो संबद्ध करने का और ना ही उनकी गतिविधियों मे दखल देने का अधिकार है। लेकिन इण्डियन ओलपिंक एसोसिएशन के महासचिव जो उत्तराख्ंाड मूल के है ने उत्तराख्ंाड संवर्ग के एक बरिष्ठ सेनि प्रशासिनक अधिकारी के इशारो पर राज्य सरकार ने अपने ही राज्य के विंटर गेम्स एसोसिएशन को औली मे आयेाजित होने वाली प्रतियोगिता से बाहर कर दिया है।
उत्तराख्ंाड विंटर गेम्स एसोसिएशन के प्रवक्ता पीसी थपलियाल के अनुसार उत्तरांखड से सेवानिवृत यह अधिकारी राकेश शर्मा जो मूल रूप से हिमांचल का निवासी है। उसने हिमाचंल मे तो सीनियर स्कीइंग प्रतियोगिता हिमांचल विंटर गेम्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित करा दी। लेकिन उत्तराख्ंाड मे उत्तराख्ंाड विंटर गेम्स एसोसिएशन को अवैध बताते हुए बाहर कर दिया। जो पूर्ण रूप से अलोकतांत्रिक है और इस विषय पर एसोसिएशन हर मोर्चे पर संघर्ष करेगी।
श्री थपलियाल ने बताया कि उत्तरांखड विंटर गेम्स एसोसिएशन द्वारा औली मे सैफ विंटर गेम्स के आयोजन के अलावा दर्जनों राष्ट्रीय स्तर की स्कीइंग प्रतियोगिता आयोजित की है। लेकिन इस बार एक सोची-समझाी रणनीति के तहत राज्य के एसोसिएशन को ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। जिसके गंभीर परिणाम होगे। औली को इस प्रकार के लोगो के हाथों की कठपुतली नही बनने दिया जाऐगा।
श्री थपलियाल ने आश्चर्य ब्यक्त करते हुए कहा राष्ट्रीय खेल विकास संहिता अधिसूचित होने के वावजूद खेल मंत्रालय मूकदर्शक बना हुआ है। कहा कि राष्ट्रीय विंटर गेम्स फेडरेशन तथा उत्तराख्ंाड विंटर गेम्स एशोसिएशन ही दो ऐसे संगठन है जिन्होने राष्ट्रीय खेल विकास संहिता 2011 का पूर्ण रूप से पालन किया हैै, वावजूद इसके उत्तराखंड विंटर गेम्स एशोसिएशन को ही शीतकालीन खेलो से बाहर कर दिया गया है।
उत्तराख्ंाड विंटर गेम्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हर्षमणी ब्यास ने कहा कि इण्डियन ओलपिंक एसोसिएशन की कारगुजारियों को उत्तरांखड विंटर गेम्स एसोसिएशन द्वारा खेल मंत्रालय में उजागर करने के बाद आईओए ने उत्तराखंड की 25वर्ष पुरानी विंटर गेम्स एसोसिएशन को गेम्स के आयोजन से ही दरकिनार कर दिया है। उन्होने कहा कि उत्तराख्ंाड के पूर्व मुख्य सचिव राकेश शर्मा ने उत्तराखंड की आईएएस लाॅबी को प्रभावित कर उत्तराखंड शासन को भी इस प्लान मे शामिल कर लिया है, जो औली के लिए शुभ संकेत नहीं कहे जा सकते। श्री ब्यास ने कहा कि आईओए की कारगुजारियों के खिलाफ दायर याचिका को उत्तराख्ंाड उच्च न्यायालय ने स्वीकार कर ली है जिस पर सोमवार 25जनवरी को सुनवाई होनी है। इसी के बाद आगे के कदम उठाए जाऐगे।
संपर्क करने पर राज्य के पर्यटन सचित दिलीप जावलकर ने बताया कि उत्तराखंड विंटर गेम्स एसोसिएशन को बाहर नही किया गया हैै। उनके अध्यक्ष न्यायालय मे गए है। कहा कि एसोसिएशन द्वारा आठ-नौ लोगांे को मुख्य आयोजन समिति में रखे जाने का प्रस्ताव आया था जिसमे पूर्व आयुक्त एसएस पंागती, एसपी चमोली, एलएस मेहता व राकेश रंजन को आयोजन समिति में स्थान दिया गया है।