रिपोर्ट-सत्यपाल नेगी/रुद्रप्रयाग
जनपद रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी दूरी पर स्थित जाखधार में जाख देवता का मेला हजारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में हर्षोउल्लास के साथ संपन्न हुआ।
आपको बताते चले कि 11वीं सदी से चली आ रही यह परम्परा आज भी उतने उत्साह से मनाई जाती हैएजितने उत्साह से सैकड़ों वर्ष पूर्व मनाई जाती थी।’
यहां जाख देवता हजारों वर्षो से चली आ रही देवी परम्परा के अनुसार जलते अंगारो के अग्नि कुण्ड में कूदकर साक्षात दर्शन देते हैँ, यह एक अदभूत चमत्कार भी माना जाता हैँ, इसीलिए उत्तराखण्ड को देवभूमि भी कहते हैँ’
आज शुक्रवार को दोपहर में जाख देवता की देव यात्र भ्यत गांव, क्वठ्याड़ा गांव होते हुए देवशाल गांव पंहुंची।यहां स्थानीय वाद्ययंत्रों ढोल, नगाड़ो तथा भाणा.भंकोरों के साथ भगवान जाख की यात्रा का देवशाल गांव के ब्राह्मणों ने हरियाली व फूल से बनी मालाओं से भव्य स्वागत किया।’इस दौरान देवशाल के देवशाली ब्राह्मणों ने मंत्रोच्चारण कर भगवान शिव की स्तुति की। जिसके बाद देवशाल में जाख पश्वा ने विंध्यवासिनी मंदिर की परिक्रमा की।साथ ही सूक्ष्म विराम के बाद भगवान जाख की यात्रा ग्रामीण श्रद्धालुओं के साथ देवशाल गांव के खेत खलियानों से होते हुए अपने देवस्थल जाख में पहुंची’
’इस दौरान देवशाल गांव से जाख तक सैकड़ों की संख्या में लोगों ने भगवान जाख के जयकारों लगाये जिससे क्षेत्र गुंजायमान हो उठा। जहां हजारों की संख्या में अपने भक्तों की भीड़ देखकर भगवान अति प्रसन्न हुए।जिसके बाद मंदिर परिसर के चारों ओर आसमान में बादल छाने लगे और हल्की बारिश हुई।’
’जाख देवता के साक्षात दर्शन होते हैँ जब भगवान शिव के यक्ष स्वरूप जाख में धधकते हुए अंगारों में नृत्य कर भक्तों को दर्शन देते हैँ, इस दौरान हजारों की संख्या में ग्रामीण एवं क्षेत्रीय श्रद्धालु भगवान जाख देवता के जयकारे लगते हैँ ओर भगवान के साक्षात् दर्शन कर आशीर्वाद लेते हैँ। इससे पूर्व रात्रि को मूंडी प्रज्वलन की परंपरा भी सम्पन्न की गई। जिसमें स्थानीय ग्रामीणों ने यहां एकत्रित होकर प्रसाद वितरण किया।’












