पिथौरागढ़, 13 जुलाई 2025
रईगाड के नाम से पहिचान बना चुकी यक्षवती नदी को उसके मूल स्वरूप में लाने के लिए जिले के कुछ नौजवान, वरिष्ठ समाजसेवी, साहित्यकार और ईको टास्क फोर्स आगे आए हैं।
यक्षवती नदी के संरक्षण एवं संवर्धन यात्रा 2025 के तहत आज पूरे नदी क्षेत्र में महत्वपूर्ण आयोजन किया गया। सिलपाटा गांव से रई तक एक जागरूकता यात्रा निकाली गई, जिसमें लोगों को नदी को स्वच्छ रखने और उसे साफ बनाने के लिए जागरूक किया गया। इस यात्रा में पहाड़ी वोकल्स यूथ क्लब की टीम, नेहरू युवा केंद्र के साथी, शिक्षक और लेखक महेश पुनेठा, करन तिवारी आदि ने नदी का गहन अध्ययन किया। बाद में पत्रकार हिमांशु जोशी और हरेला सोसाइटी के अध्यक्ष मनोज मतवाल के निर्देशन में यक्षवती नदी पर बनी बनी लघु फिल्म प्रदर्शित की गई।
स्थानीय मा कृपा बारातघर नेडा में अभियान के तहत पहाड़ी वोकल्स यूथ क्लब और अभिलाषा समिति के संयुक्त तत्वावधान में एक गोष्ठी आयोजित की गई। इस गोष्ठी का उद्देश्य यक्षवती नदी के संरक्षण और संवर्धन के लिए जन-जागरूकता फैलाना और समाज को जोड़ना है।
गोष्ठी में पहाड़ी वोकल्स यूथ क्लब की टीम, किशोर पंत सर अभिलाषा समिति, मनोज मतवाल हरेला सोसाइटी, प्रकाश पुनेठा जी, महेश पुनेठा जी, दीवान देवलाल जी,जीवन नगरकोटी, मनरेगा लोकपाल जगदीश कलौनी, किसान भूषण पुरस्कार प्राप्त पूर्व सूबेदार केशवदत्त मखौलिया, पूर्व लेफ्टिनेंट यशपाल चंद, मुस्कान सामाजिक उत्थान समिति पिथौरागढ की महिला सशक्तिकरण निदेशक विनीता कलौनी, उक्रांद जिलाध्यक्ष चंद्र शेखर पुनेड़ा, नन्ही चौपाल के निदेशक विप्लव भट्ट, बसंत बल्लभ भट्ट हिमालय मस्तक फाउंडेशन, अंतराष्ट्रीय कत्थक नृतक पंडित हेमंत महराज, डाक्टर नीरज जोशी, प्रेमजी फाउंडेशन से सुरेंद्र धामी और योगेंद्र चंद, 130 इको टास्क फोर्स के प्रतिनिधि कुंडल सिंह सहित कई प्रमुख व्यक्तियों ने भाग लिया और इस नदी के रईगाड तक बनने के कारणों और इसके उपचार पर रोशनी डाली। वक्ताओं ने कहा कि यक्षवती नदी केवल जलधारा नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक चेतना, जैव विविधता और पारंपरिक जीवनशैली की आधारशिला भी है। वर्तमान समय में यह नदी अतिक्रमण, प्रदूषण और उपेक्षा के कारण संकटग्रस्त है, और इसे पुनर्जीवन देने के लिए हमें एकजुट होना होगा।
गोष्ठी में निर्णय लिया गया कि यक्षवती नदी संरक्षण एवं संवर्धन यात्रा 2025 के लिए व्यापक स्तर पर जन-जागरूकता अभियान चलाया जाएगा, जिसमें स्थानीय समुदाय, सामाजिक संगठन, और सरकारी एजेंसियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। उपस्थित सभी लोगों ने यक्षवती नदी के संरक्षण और संवर्धन के लिए संकल्प लिया और अपनी सहभागिता का आश्वासन दिया।
यह यात्रा भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य उपहार होगी। हमें उम्मीद है कि इस आयोजन से यक्षवती नदी के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक नई दिशा मिलेगी और हम सभी एकजुट होकर इस नदी को पुनर्जीवन देने में सफल होंगे।