डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड के प्राकृतिक सौंदर्य के कायल, संगीत की दुनिया के प्रेमी, शायद यही कारण था कि देश के राष्ट्रपति रहे डाण् अब्दुल कलाम उत्तराखंड आकर भी नृत्य सम्राट उदय शंकर के योगदान की सराहना करना नहीं चूके। हालांकि मौका उदय शंकर अकादमी के शिलान्यास का था, लेकिन इस मौके पर भी वह अपना उत्तराखंड प्रेम और संगीत के प्रति अपनी रुचि को चाहकर भी नहीं छिपा पाए। देश के राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक डॉण् अब्दुल कलाम आज नहीं हैं, लेकिन उत्तराखंड से उनका लगाव कभी भुलाया नहीं जा सकता। अल्मोड़ा में प्रसिद्ध नृत्य कार उदय शंकर नाट्य अकादमी के शिलान्यास के मौके पर वर्ष 2002 में कलाम अल्मोड़ा पहुंचे थे। कलाम के संबोधन में उत्तराखंड के प्रति अपार प्रेम उनके बोलते ही छलकता था। अल्मोड़ा दौरे के दौरान कलाम ने कहा कि उत्तराखंड में नृत्य और संगीत को प्रोत्साहित करने के लिए कदम आगे बढ़ाने होंगे। उत्तराखंड के लोगों की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा था कि यहां के लोग श्रेष्ठ होते हैं। उनकी श्रेष्ठता संगीत और नृत्य के क्षेत्र में भी साबित होनी चाहिए।
कलाम उत्तराखंड की गरीबी को लेकर भी काफी चिंतित रहे। कलाम चाहते थे कि उत्तराखंड में गरीबी को हटाने के लिए तथा यहां के निवासियों को रोग मुक्त बनाने के लिए कार्य करना होगा। राज्य में जल विद्युत की अपार संभावनाओं को देखते हुए उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश के रूप में विकसित करना उनका लक्ष्य था। राष्ट्रपति अब्दुल कलाम देश में मिसाईल मैन के नाम से प्रसिद्ध थे। 15 अक्टूबर 1031 में रामेश्वर में जन्मे डाण् कलाम एक कुशल वैज्ञानिक के साथ ही एक कवि और लेखक के रूप में भी जाने जाते थे। देश के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने पूरी ईमानदारी के साथ देश की सेवा की। कलाम को वर्ष 1997 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था। उन्हें विश्वास था कि अल्मोड़ा में उदय शंकर नाट्य अकादमी के बनने के बाद संगीत और नृत्य को नए आयाम मिल सकेंगे। हमारा देश प्राकृतिक संसाधनों, संवेदनशील लोगों तथा पारंपरिक नैतिक मूल्यों से परिपूर्ण है। इन प्रचुर संसाधनों के बावजूद हमारे देश की एक बड़ी जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करती है। उनमें कुपोषण व्याप्त है तथा उन्हें प्राथमिक शिक्षा भी नहीं मिल पाती। गरीबी एवं बेरोजगारी को दूर करने के लक्ष्य को लेकर तीव्र विकास के साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा को हर भारतीय को राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में स्वीकार करना होगा। वास्तव में भारत को आर्थिक, सामाजिक व सामरिक रूप से आत्मनिर्भर एवं शक्तिशाली बनाना, अपनी मातृभूमि तथा अपने व भावी पीढ़ियों के प्रति हमारा प्रमुख कर्तव्य है। कलाम त्याग, सादगी और उपलब्धियों के पर्याय थे। आज वे भले ही हमारे बीच में नहीं हैं, मगर उनके आदर्श, जीवन मूल्य तथा कार्य आने वाली पीढ़ियों को निरंतर प्रेरित करती रहेंगी। 15 अक्टूबर यानी आज डॉण् अब्दुल कलाम का जन्मदिन है। यह अवसर उनके कार्यों, उपलब्धियों, मूल्यों तथा आदर्शों के याद करने का है। शिक्षक के रूप में डॉण् कलाम के योगदान को मान्यता देते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने साल 2010 में कलाम के जन्मदिन को अंतराष्ट्रीय छात्र दिवस ;इंटरनेशनल स्टूडेंट्स डे के रूप में मनाने की शुरुआत की।
उत्तराखंड में उदय शंकर नाट्य अकादमी के निर्माण का सपना दो सालों में पूरा करने की उम्मीद रखे बैठे थे, लेकिन उनके शिलान्यास के सालों बाद भी यह संस्थान अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। इन सालों में कई राजनीतिक दलों ने प्रदेश की सत्ता संभाली, लेकिन उनके सपनों को पूरा करने में आज तक कोई सफल नहीं हो पाया। ऐसे में प्रदेश में राजनीति कर दलों को उनके इस सपने को पूरा करने की चुनौती का सामना करना होगा। सभी सरकारों को ईमानदारी से को सामूहिक प्रयास करने होगें। वह एक ऐसे स्वीकार्य भारतीय थे, जो सभी के लिए एक महान् आदर्श, बन चुके हैं। विज्ञान की दुनिया से देश का प्रथम नागरिक बनना कपोल कल्पना मात्र नहीं है, क्योंकि यह एक जीवित प्रणेता की सत्यकथा है। भारतीयों के दिलों में जनता के राष्ट्रपति और भारत के मिसाइल मैन के रुप में हमेशा जावित रहेंगे! मिसाइलमैन के नाम से लोकप्रिय एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती है।