• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड के बुग्याल बचाने की पहल

18/09/20
in उत्तरकाशी, उत्तराखंड
Reading Time: 1min read
0
SHARES
112
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तरकाशी धार्मिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण शहर है। यहां भगवान विश्वनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। यह शहर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहां एक तरफ जहां पहाड़ों के बीच बहती नदियां दिखती हैं, वहीं दूसरी तरफ पहाड़ों पर घने जंगल भी दिखते हैं। मध्य हिमालय सैलानियों के लिए स्वर्ग है और मध्य हिमालय की गोद में बसा गढ़वाल अपने तीर्थों के कारण यों भी दूसरा स्वर्ग कहा जाता है। अनेक अनुपम सौंदर्यपूर्ण पर्यटक स्थल, हिमाच्छादित पर्वत.श्रृंखलाएँ, हरीतिमा और फूलों से भरे आँगन सैलानियों को सदैव आमंत्रित करते रहते हैं। इसी प्राकृतिक परिवेश में खूबसूरत तस्वीर.सा जड़ा एक नया पर्यटक स्थल धीरे.धीरे अपनी पहचान बनाकर उभरा है, जिसका नाम है. माँझीवन। माँझी यानि मध्य और वन. हरे.भरे मुलायम घास वाले चारागाह बुग्याल एवं सघन जंगल वाला इलाका।
गढ़वाल तथा हिमाचल प्रदेश की सीमा के बीच में होने से ही यह माँझी है। यमुना घाटी से रवाँई क्षेत्र का एक समृद्ध इलाका। यहाँ के निवासी आज भी कौरव.पांडव गुटों में बँटे हैं। पंचगाई घाटी के लोग, कौरव.पक्ष के हैं और वे कौरव कुलदीपक दुर्योधन की पूजा करते हैं। इस इलाके में दुर्योधन के अनेक मंदिर हैं। सामने फतेपर्वत के तले रूपिन घाटी है, जिसके निवासी पांडव.पूजक हैं। उनका सबसे अच्छा मंदिर हनोल का महासू मंदिर है। दोनों क्षेत्रों के निवासियों में यदि कभी लड़ाई.झगड़ा हो जाता है, तो यह लड़ाई एक तरह से कौरव बनाम पांडव की लड़ाई बन जाती है। रूपिन-सूपिन नदी के संगम पर बसा है नैटवाड़ गाँव, जहाँ पोखू देवता का मंदिर है। यह देवता कभी नरभक्षी रहा है और कभी इसे प्रसन्न करने के लिए नरबलि दी जाती थी, ऐसा कहते हैं, किंतु आज यह पशु.बलि से ही मान जाता है। माँझीवन का सौंदर्य लोक। कुमारटाधार से एक किमी आगे हिमरेखा पर चलते हुए कुकुरडांडी चोटी २१,००० फुट के नीचे भराड़सर ताल १६,१६० फुट है, जिसकी परिधि १५०० मीटर होगी। एकदम स्वच्छ नीलाभ जल। इस इलाके के लोग इसे देवताओं का सर अथवा इंद्रपुरी कहते हैं।
लोक विश्वास है कि यहाँ अनेक देवी.देवता निवास करते हैं। भराड़सर ताल से आगे बढ़ने पर सुरम्य बुग्याल माँझीवन आ गया। मीलों लंबा हरा रंग जैसे कोमलता के साथ बिछा दिया गया हो। ढालू मैदान और नवयौवना सी सितंबरी मखमली घाटी, जिसमें सैकड़ों.हजारों नन्हें.नन्हें, रंग.बिरंगे फूल अपनी निष्कलुष मुस्कान में जड़े थे। मैदान की धूल और धुएँ से बेखबर। देर तक और दूर तक हमारी दृष्टि बँधी रही, जैसे किसी जादू में बँध गयी हो। ब्रह्मकमल, फेनकमल, लेसर, जयाण, विषकंडारा और न जाने क्या.क्या तो नाम उन औषधीय पादपों के, जिनके दुर्लभ फूल वहाँ की हवा में अपनी सुगंध घोल रहे थे। लगा उनके रंग उनकी सुगंध की तरह ही अपूर्व हैं। अनेक प्रकार की जड़ी.बूटियाँ, जो औषधियों के रूप में हजारों वर्षों से काम आती रही हैं, इधर.उधर अपना अस्तित्व बनाये हुए थीं जैसे. गुग्गल, जटामासी, आर्चा, सालमपंजा, सालम मिश्री, अतीस, भूतकेशी, केटकी आदि जड़ी.बूटियों का अपार भंडार है, अद्भुत सौंदर्य सान्निध्य हैं।
भारत के उत्तर में बसा हुआ उत्तराखंड हमेशा से ही पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करता रहा है और यहां की प्राकृतिक सुन्दरता हमेशा से ही उत्तराखंड को अद्भुत और आकर्षक बनाती है। जिन लोगों को घूमना पसंद है वे खुद भी सबसे पहले उत्तराखंड कि वादियों के बारे में ही सोचते हैं। यहां कि जगहें पर्यटकों को अपनी लोक कथाओं के माध्यम से अपनी ओर आकर्षित करती है। जन.कथाएं और लोक.कथाओं की माने तो यहां पर यदि कोई व्यक्ति ज्यादा सुन्दर लगता है या अधिक खूबसूरत दिखाई देता है तो परियां उसको अपने साथ परीलोक ले जाती है और उसको फिर हमेशा.हमेशा के लिए अपने साथ रखती है। हाँ यह भी कहा जाता है कि यह दयारा बुग्याल परियों का इलाका है। जिसको परियों का लोक भी कहा जाता है और वे वहां पर विचरण करती हैं। दिन की तेज़ धूप में और अगर कोई पुरुष इन के मन को भा जाता है तो वो उसको अपने साथ परीलोक ले जाती है। पहाड़ी आबो.हवा और वातावरण में पहाड़ी खान.पान आपके शरीर को वहां की जलवायु में के वातानुकूल बनता है। जिसमें आपको पहाड़ी सब्जियां, पहाड़ी दाल, पहाड़ी मडुवे की रोटी और पहाड़ी पानी का ही सेवन करना चाहिये। जिन लोगो की अधिक ऊंचाई में वायु की परेशानी होती है उनके लिए पहाड़ी खाना बेहद लाभकारी होता है।
बीते कुछ वर्षों से प्राकृतिक और मानवीय कारणों के हस्तक्षेप के चलते बुग्यालों में भूस्खलन काफी तीव्रता से हो रहा है। इसी के साथ उत्तरकाशी के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल के अनुसार कमजोर भौगोलिक गठन, भूमि संरचना, अधिक बरसात और बादल फटने जैसी प्राकृतिक कारणों के साथ बुग्याल क्षेत्र में मिट्टी के कटाव के कई मानवीय कारण भी शामिल हैं। मानवों का हस्तेक्षप भी मिट्टी के कटाव का अहम कारण है। जिस कारण उनके अस्तित्व के ऊपर खतरा पैदा हो सकता है। इसलिए बुग्यालों के संरक्षण के ऊपर सरकार अधिक ध्यान दे रही है। उत्तरकाशी के दयारा बुग्याल में संरक्षण की यह तकनीक बेहद अनोखी है। इसके लिस जूट एवं नारियल के रेशों से तैयार हुए केयर नेट देहरादून से मंगवाए गए थे। वहीं चेक डैम बनाने के लिए पिरूल सिलक्यारा से लाई गई। कोटद्वार से बांस के खूंटे मंगवाए गए। जिसके बाद प्रोसेस शुरू हुई। डीएफओ संदीप कुमार बताते ने बताया कि बुग्याल के ट्रीटमेंट को लेकर विशेषज्ञों से सलाह ली गई ताकि बाद में इसे किसी भी प्रकार का नुकसान ना हो। यह तकनीक भारत मे पहली बार इस्तेमाल हो रही है और पूरी तरह से बुग्यालों के लिए सेफ है। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए इस वर्ष 15 और 16 अगस्त को आयोजित होने वाले पारंपरिक अढूड़ी त्योहार ष्बटर फेस्टिवल को रद करने का फैसला लिया है। यानी इस बार दूध.मक्खन की होली नहीं खेली गई तो ऐसे में पारंपरिक रूप से बनाए जाने वाले इस बटर फेस्टिवल का इस वर्ष आयोजन करना संभव नहीं होगा। राणा ने कहा कि बीते सालों तक भव्य रूप से मनाए जाने वाले इस बटर फेस्टिवल में देश भर से हजारों लोग प्रतिभाग व दयरा की सैर करने पहुंचते रहे हैं। इस त्योहार का लोग भी बेसब्री से इंतजार करते हैं, लेकिन मौजूदा परिस्थिति इस तरह के आयोजन की अनुमति नहीं देती है राज्य सरकार को निर्देशित किया जाता है कि सभी बुग्यालों में यात्रियों की संख्या 200 से अधिक नहीं नियंत्रित करे।
राज्य के सार्वजनिक उपक्रम निजी उद्यमी समेत कोई भी व्यक्ति उत्तराखण्ड राज्य के किसी बुग्याल में किसी स्थाई ढाँचे का निर्माण नहीं करेगा। बुग्यालों में रात को रहना प्रतिबंधित होगा। बुग्यालों में पशुओं का व्यावसायिक चरान प्रतिबन्धित होगा। केवल स्थानीय चरवाहों को ही अपने पशुओं को चराने की अनुमति होगी और उनके पशुओं की संख्या को युक्तिसंगत पाबंदियों के जरिए नियंत्रित किया जाएगा। इस फैसले के चलते बुग्यालों में रात में रहने पर रोक लग गई है, जिसे आम तौर पर ट्रैकिंग व्यवसाय के लिए बड़ा धक्का समझा जा सकता है। इस फैसले के प्रभाव के सन्दर्भ में जब सुरेन्द्र सिंह और हीरा सिंह की राय जाननी चाही तो वे कहते हैं कि बुग्यालों को बचाया जाना जरूरी है। ये बुग्याल हमारी धरोहर हैं, ये ही नहीं रहेंगे तो फिर हम कहाँ रहेंगे। बुग्याल में भारी संख्या में लोगों के आने और रहने से बुग्याल नष्ट हो रहा था। इस फैसले से बुग्याल पुनर्जीवित हो गया है। हरियाली फिर खिल उठी है। वे कहते हैं कि कैम्पिंग की अनुमति भगुवावासा में मिलनी चाहिए जो पूर्णतः पथरीली जगह है। इससे बुग्याल भी बचेंगे और ट्रैकिंग व्यवसाय भी चलेगा। हीरा ने इस बारे में एक चिट्ठी भारत के प्रधानमंत्री को भी भेजी है। दरअसल ये बुग्याल बहुत सुन्दर हैंए प्रकृति का उपहार हैं, इनके व्यावसायिक उपयोग कर पाबंदी भले ही न हो पर इन्हें उजाड़ने, तहस.नहस करने की इजाजत तो नहीं दी जा सकती। इन्हें बचाना, इन्हें संरक्षित रखना बेहद जरूरी है ताकि प्रकृति के हरे मखमली दरीचे अपनी खूबसूरती यूँ ही बिखेरते रहें। उम्मीद है कि संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व धरोहर के रूप में बुग्याल का संरक्षण करें, अब सिर्फ कठोर निर्णय के साथ ही यह स्वपनिल बुग्याल बचाया जा सकता है।

ShareSendTweet
Previous Post

किसानों की कमर तोड़ने के लिए कानून लाई केंद्र सरकारः हरीश रावत

Next Post

चमोली जिले में नया रिकार्ड, एक दिन में 63 हुए संक्रमित

Related Posts

उत्तराखंड

मंत्री ने मृतक उपनल कर्मचारी के परिवार को दिए 50 लाख

August 6, 2025
30
उत्तराखंड

24 घंटों से हो रही मूसलाधार बरसात पिंडर घाटी में भी जनजीवन अस्त-व्यस्त, प्रशासन ने जारी किया अलर्ट

August 6, 2025
9
उत्तराखंड

ऋतु खण्डूड़ी भूषण ने कोटद्वार में लगातार भारी वर्षा से उत्पन्न परिस्थितियों का सभी विभागों संघ किया स्थलीय निरीक्षण

August 6, 2025
7
उत्तरकाशी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने धराली में आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया, राहत कार्यों की समीक्षा की

August 6, 2025
13
उत्तरकाशी

केंद्र और राज्य सरकार ने राहत- बचाव अभियान में झौंकी ताकत

August 6, 2025
13
उत्तरकाशी

धराली में युद्धस्तर पर चल रहे राहत और बचाव कार्य

August 5, 2025
40

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

मंत्री ने मृतक उपनल कर्मचारी के परिवार को दिए 50 लाख

August 6, 2025

24 घंटों से हो रही मूसलाधार बरसात पिंडर घाटी में भी जनजीवन अस्त-व्यस्त, प्रशासन ने जारी किया अलर्ट

August 6, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.