गैरसैंण। इलाज के दौरान वरिष्ठ अधिक्ता व समाज सेवी चंद्रशेखर68 के आकस्मिक निधन होने पर क्षेत्र के विभिन्न संगठनों, बार संघ के पदाधिकारी व सदस्यों, साहित्यकारों और प्रबुद्घ नागरिकों ने उन्हें भावभीनी श्रृद्घांजलि अर्पित की है। इस साल के प्रारंभ में कफ की शिकायत होने पर चंद्र शेखर सती ने प्रारंभिक इलाज कर्णप्रयाग में शूरू करने के बाद कैलाश अस्पताल देहरादून और एम्स श्रृषिकेश इलाज किया। लॉकडाउन के दौरान उनका कई दौर का इलाज चला। बीच बीच में वह रूद्रप्रयाग, देहरादून,
श्रृषिकेश में भी रहे।
वरिष्ठ अधिवक्ता भुवन नौटियाल ने बताया कि इलाज के दौरान जब वह स्वयं और एडवोकेट सतीश गैरोला, नगर पालिका परिषद के पूर्व अध्यक्ष सती उनकी कुशल.क्षेम के लिए उनके आवास रूद्रप्रयाग गये तो वह प्रसन्नचित थे, वह कह रहे थे कि अनिल बलूनी की तरह ही वह बीमारी पर जीत हासिल कर लौटेंगे, किसी भी दृष्टि से यह नहीं लग रहा था कि यह उनकी अंतिम मुलाकात होगी।
14 अगस्त की प्रातः को उनके पुत्र परीक्षित ने उन्हें दूरभाष पर बताया कि उनके पिता जी अब इस दुनियां में नहीं रहे, आधा घंटे पहले गर्दन में पुराने दर्द की जांच के लिए वह एमआरआई जांच करा रहे थे, मशीन से बाहर आते ही उन्होंने बताया कि मशीन के अंदर उनका दम घुट रहा था और अब सांस लेने में बहुत तकलीफ हो रही है। इतना कहने के पांच मिनट के दौरान ही उनकी
सांसे हमेशा क लिए थम गई।
बमोथ गांव के वकील साब के नाम से जाने जाने वाले चंद्रशेखर सती का जन्म पोस्टमास्टर भुदुमणी घर हुआ। गांव में पोस्टमास्टर साब का परिवार संभ्रांत और मददगार के रूप में जाना जाता है। इसी परंम्परा को कायम रखते हुए वकील साहब ने भी गांव में स्कूूल, नहर, पेयजल, सड़क योजनाओं के श्रृजन में योगदान दिया।
भुवन नौटियाल कहते हैं कि 1975 में चंद्रशेखर सती ने गोपेश्वर में वकालत के पेशे में प्रवेश किया और उन्होंने सेल्स टैक्स के क्षेत्र में भी रूद्रप्रयाग और कर्णप्रयाग में कार्य करते हुए एडवोकेट हरीश पुजारी, चंद्रशेखर सती और स्वयं उन्हे हेमवंती नंदन बहुगुणा और डॉण् शिवानंद नौटियाल के सानिध्य में राजनीति के माध्यम से समाज सेवा करने का मौका मिला है। वह एक धर्मनिपेक्ष, समाजवादी सर्वहारा वर्ग के हितैषी और हठयोगी रहे हैं। वकालत के क्षेत्र में उन्होंने वन विभाग, चमोली जिला सहकारी बैंक के एडवोकेट तथा नौटरी एवं ए पी ओ के रूप में भी सेवायें दी हैं और कर्णप्रयाग, गौचर, रूद्रप्रयाग के विकास कार्यों में सहयोगी के
रूप में इनका अविष्मरणीय योगदान रहा है।
सहकर्मी के रूप में स्मरण करते हुए भुवन नौटियाल ने बताया कि वह इतने खुदगर्ज इंशान थे कि जब लोगों ने इलाज के दौरान आर्थिक सहयोग के लिए उनसे बैंक एकाउंट नंण् मांगा तो उन्होंने किसी को भी एकाउंट नंण् नहीं दिया। उन्हें हाथ फैलाना अच्छा नही लगता था। वह गरीबों के मसीहा थे उनको न्याय दिलाने के लिए वह निःशुल्क पैरवी करते थे। बमौथ गांव में पेयजल समस्या को दूर करने के लिए गांव में फ्रैंच वैल लगावाने के लिए प्रयास किये। समाज सेवा तथा कर्णयाग महाविद्यालय की स्थापना में संघर्ष के लिए सती जी को वार एशोशियेशन सभागार में राज्यसभा सांसद मनोहरकांत ध्यानी के कर कमलों से उत्तरांचल रत्न डॉण् शिवानंद नौटियाल सम्मान से सम्मानित किया गया ।
श्रृद्घांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने ने कहा कि उनका अचानक चले जाना अपूर्णनीय क्षति है उनके कार्यों और स्मृतियों के माध्यम से उन्हें हमेशा याद किया जाता रहेगा। उन्होंने कहा कि एडवोकेट कल्याण के लिए राज्य सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए साथ ही एडवोकेट समुदाय के विभिन्न संगठनों, संस्थाओं व वार कौंसिल को पहल करनी होगी अन्यथा शोक
प्रस्तावों के माध्यम से ही दिवंगत एडवोकेट परिवारों से विदा लेने का सिलसिला चलता रहेगा। इस दौरान उन्होंने सती जी की मौत के घटनाक्रम को देखते हुए एम्स श्रृषिकेश तथा उत्तराखंड की स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी सवाल खड़े किये हैं जिनका निवारण होना आवश्यक है।