चुनावी बिगुल बज चुका है, चुनाव आयोग ने मतदान की तारीखों की भी घोषणा कर दी है. इसके साथ आचार संहिता भी लागू हो गई है. इस बार चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया को आचार संहिता की जद में लिया है. जिसके तहत सोशल मीडिया पर चुनाव प्रचार का खर्चा भी प्रत्याशी के कुल चुनाव खर्च में जोड़ा जाएगा.
उत्तराखंड में आचार संहिता लागू होते ही सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस-प्रशासन ने कमर कस ली है. इसके तहत सोशल मीडिया पर पुलिस टीम खास नजर रखे हुए है. साथ ही हर थाने में सब इंस्पेक्टर के नेतृत्व में एक टीम का गठन कर एलआईयू को भी इस काम में लगाया गया है. चुनाव के दौरान सोशल मीडिया पर माहौल खराब करने वालों पर कड़ी निगरानी की जा रही है. साथ ही अभ्रद भाषा का इस्तेमाल करने वाले भी शिकायत के बाद जेल जा सकते हैं.
आप भी संभल कर रहे सोशल मीडिया पर किसी भी पोस्ट पर लाइक व कमेंट करने से पहले पूरी तरह पढ़ जरूर लें। यदि पोस्ट आपत्तिजनक है तो उस पर लाइक व कमेंट बिल्कुल न करें। ऐसा करने पर पोस्ट करने वाले के साथ ही साथ आपको भी आइटी एक्ट के तहत सजा हो सकती है।
फेसबुक, वाट्सएप, ट्विटर पर अगर आप कोई ऐसी पोस्ट डालते हैं, जिससे किसी की भावनाएं आहत होती हैं या फिर मानहानि होती है तो आप सजा के हकदार हैं। इसके अलावा किसी भी फोटो से छेड़छाड़ या अश्लील टिप्पणी भी आपको तीन साल के लिए जेल पहुंचा सकती है या फिर पांच लाख तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। तीन साल तक की हो सकती है जेल सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यमों के तहत साझा होने वाली जानकारी और आंकड़ों के आदान प्रदान पर लागू होता है। कानून की धारा 66 ए के तहत झूठे और आपत्तिजनक संदेश भेजने पर सजा का प्रावधान है। कानून के तहत तीन साल तक की सजा का प्रावधान है।
पुलिस ने बताया कि इस काम की जिम्मेदारी एलआईयू और पुलिस टीम को दी गई है. जो भी आचार संहिता का उल्लंघन करेगा, उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. पुलिस ने बताया कि सभी शस्त्र धारकों को अपने-अपने शस्त्र जमा करने के निर्देश दिए गए हैं. वहीं यूपी और नेपाल से लगती सीमा पर कड़ी निगरानी की जा रही है. साथ ही शहर में भी सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं.