• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar
No Result
View All Result

दुनिया की नजरों से दूर सात झीलों का मनमोहक संसार सप्तकुंड

29/09/20
in उत्तराखंड, चमोली
Reading Time: 1min read
122
SHARES
153
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखण्ड में भारतीय आध्यात्मिक परंपरा से जुड़ी अनेक आध्यात्मिक निर्मितियां, मन्दिर तथा तीर्थस्थल हैं। जिनका पौराणिक व आधुनिक इतिहास की दृष्टि से अत्यन्त महत्व है। उत्तराखण्ड सदैव ही सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। पर्यटन के दृष्टिकोण से भी यह प्रदेश अपने प्राकृतिक दृश्यावलियों के लिये प्रसिद्ध है। वर्ष भर लाखों पर्यटक यहां उत्तराखण्ड भ्रमण के लिये आते हैं और यहां की मनोरम स्थलों की कभी न भूलने वाली स्मृतियां साथ ले जाते हैं। पर्यटन उत्तराखण्ड की अर्थवयस्था ही नहीं अपितु संस्कृति का भी मेरूदण्ड है। हालांकि वर्ष भर उत्तराखण्ड में देश ही नही अपितु पूरे विश्व से लोग भ्रमण हेतु आते हैं परंतु जानकारियों के आभाव में यहां के कई ऐसे स्थलों को देखने से वंचित रह जाते हैं जिनका अपना एक अलग ही पौराणिक तथा ऐतिहासिक महत्व है। सीमांत जनपद चमोली में पर्यटन की दृष्टि से कई ऐसे गुमनाम पर्यटन स्थल हैं जो आज भी देश दुनिया की नजरों से दूर हैं। यदि ऐसे स्थानों को उचित प्रचार और प्रसार के जरिये देश, दुनिया को अवगत कराया जाय तो इससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा अपितु स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध हो पायेंगे। जिससे रोजगार की आस में पलायन के लिए मजबूर हो रहे युवाओं के कदम अपने ही पहाड़ में रूक पायेंगे।
सीमांत जनपद चमोली की निजमुला घाटी में तडाग ताल के बाद सात झीलों का एक ऐसा ही गुमनाम खजाना अव्यवस्थित है, जिसे पवित्र सप्तकुंड के नाम से जाना जाता है। प्रकृति की इस अनमोल नेमत को देखकर हर कोई अचंभित हो जाता है। कोरोना काल हिमालय के लिए संजीवनी साबित हुआ। कोरोना काल में हिमालय के बुग्याल और उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मानवीय आवाजाही बंद होने से हिमालयी वनस्पतियों को नवजीवन मिला है। ऐसी ही एक खुशबरी मिलने से मन प्रफुल्लित हो उठा है। सभी पर्यावरणविद्ध और प्रकृति प्रेमी बेहद खुश हैं। देश में 124 सालों के अंतराल के बाद दुर्लभ प्रजाति का फूल लिपरिस पैगमईज् खिला है। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित सप्तकुंड ट्रेक क्षेत्र में फूल के खिलने की पुष्टि हुई है। उत्तराखंड के चमोली जिले में पहली बार ऑर्किड प्रजाति का दुर्लभ फूल लिपारिस पिगमइ पाया गया है। वन अनुसंधान केंद्र के रिसर्च की इस खोज को फ्रांस के प्रतिष्ठित जर्नल रिकार्डियाना में भी प्रकाशित किया गया है। जर्नल में प्रकाशित इस खोज के मुताबिक यह भी पहली बार हुआ कि यह फूल पश्चिम हिमालय में देखा गया है। उत्तराखंड में चमोली जिले में 3800 मीटर की ऊंचाई पर सप्तकुंड ट्रेक पर घनसाल उडियार गुफा के पास इस फूल को देखा गया। रिसर्च पेपर के अनुसार, च्लिपरिस पैगमईज् की करीब 320 प्रजातियां है, जिनमें से करीब 48 प्रजातियां देश में हैं। सप्तकुंड जैव विविधता का खजाना है। पिछले साल भी सप्तकुंड के आस पास दुर्लभ प्रजाति के फेन कमल की क्यारियाँ दिखाई दी थी। जो इस बात के संकेत हैं कि यहां का पर्यावरण पारिस्थितिकी तंत्र हिमालयी वनस्पतियों के लिए मुफीद है।
प्राकृतिक खजानों से भरी पड़ी चमोली की निजमुला घाटी में झींझी गांव से 24 किमी की दूरी पर स्थित ह। प्रकृति की अनमोल नेमत। सप्तकुंड, सात झीलों या सात कुंडों के समूह को कहते हैं। यहां पर ये सभी सात कुंड एक दूसरे से आधे आधे किमी की दूरी पर स्थित है। लगभग पांच हजार मीटर की ऊंचाई पर हिमालय में मौजूद सात झीलों की मौजूदगी अपने आप में कौतूहल और आश्चर्य का विषय है। वहीं साहसिक पर्यटन और पहाड़ के शौकीनो के लिए सप्तकुंड, रोमांचित कर देने वाला ट्रैक है। देवभूमि एडवेंचर एवं ट्रैकर के प्रबंधक और सप्तकुंड ट्रैकिंग कराने वाले युवा कहते हैं कि सप्तकुंड में मौजूद सात झीलों में से छः झीलों में पानी बेहद ठंडा जबकि एक झील में पानी गर्म है। गर्म पानी के कुंड में स्नान करने से पर्यटकों की पूरी थकान दूर हो जाती है। सात कुंडों में पार्वती कुंड, गणेश कुंड, शिव कुंड, ऋषि नारद कुंड, नंदी कुंड, भैरव कुंड, शक्ति कुंड के नाम से जाना जाता है। इन सात कुंडों में छह कुण्डों का पानी इतना ठंडा है कि उसमें एक डुबकी लगाना भी मुश्किल हो जाता है, जबकि एक कुंड का पानी इतना गरम है कि उसमें नहाने से पर्यटकों की थकान दूर हो जाती है। सप्तकुंड पहुंचने के लिए एशिया के सबसे कठिन पैदल ट्रैक को पार करना पड़ता है। सप्तकुंड ट्रैक साहसिक ट्रैकिंग के शौकीनो के लिए ऐशगाह से कम नहीं है। लेकिन उचित प्रचार और प्रसार न होने से प्रकृति का ये अनमोल नेमत आज भी देश दुनिया की नजरों से दूर हैं।
सप्तकुंड भगवान शिव का निवास स्थान है। प्रत्येक साल भादों के महीने आयोजित नंदा अष्टमी के दिन स्थानीय गांव ईराणी, झींझी, पाणा, रामणी, दुर्मी, पगना सहित निजमुला घाटी के ग्रामीण यहां पहुंचते हैं और भगवान शिव और भगवती नंदा की पूजा करते हैं। जबकि प्रत्येक छह वर्ष में मां नंदा कुरूड की दशोली डोली नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा में नंदा सप्तमी को सप्तकुंड में पराकाष्ठा पर पहुंचती है और लोकजात संपन्न के पश्चात वापस रामणी गांव लौट जाती है। हिमालय के कोने कोने का भ्रमण कर चुके प्रकृति प्रेमी कहते हैं कि सप्तकुंड में आकर जो शांति और शुकुन मिलता है वो अन्यत्र कहीं नहीं। यहां अदृश्य दैवीय शक्ति का वास है जो शरीर को नयी ऊर्जा देती है। इन शक्तियों को यहां आकर महसूस किया जा सकता है। सप्तकुंड की सुंदरता आपका मन मोह देगी। ऐसी सुंदरता अन्यत्र कहीं नहीं है। ये हिमालय में मौजूद साक्षात स्वर्ग है। मां काली ने अपने खप्पर पर महाभारत के युद्ध में मारे जाने वाले लोगों के नाम लिखे थे। इनमें अर्जुन का नाम भी शामिल था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने द्रोपदी को यह बात बताई और उनसे माता पार्वती की तपस्या करने के लिए कहा। द्रोपदी की तपस्या से प्रसन्न होकर माता पार्वती ने उन्हें दर्शन दिए। तब द्रोपदी ने उनसे मां काली के खप्पर के बारे में पूछा। माता ने उन्हें बताया कि यह खप्पर सप्तकुंड में मौजूद है। इसके बाद माता पार्वती स्वयं सप्तकुंड पहुंचीं और खप्पर से अर्जुन का नाम मिटाकर उसे दो हिस्सों तोड़ डाला।
मान्यता है कि इस खप्पर का आधा हिस्सा कोलकाता और आधा सप्तकुंड में मौजूद है। हर साल काफी संख्या में बंगाली ट्रैकर सप्तकुंड पहुंचते हैं। वहीं स्थानीय लोगों का मानना है कि निजमुला घाटी में सात नहीं, बल्कि 11 ताल हैं। लेकिन, लोगों को जानकारी सिर्फ सात तालों के बारे में ही है। शेष चार ताल कहां हैं, यह किसी को नहीं मालूम। सप्तकुंड समूह नंदा घुंघुटी की तलहटी में स्थित है। नंदा घुंघुटी पर्वतमाला की विशेषता यह है कि इसके करीब से कभी भी कोई जहाज नहीं गुजरता, क्योंकि इसकी चुंबकीय क्षमता काफी अधिक है। पर्यटकों को हिमालय की हिमाच्छादित चोटियों के विह्गंम दृश्यों का दीदार करने का अवसर मिलता है। सप्तकुंड से हिमालय की नंदा घुंघुटी, त्रिशूल, नंदा देवी, चैखम्भा, बंदरपुंछू सहित हिमालय की बडी श्रृंखलाओं को देखा जा सकता है। यहाँ पहुंचकर ऐसा आभास होता है कि जैसे भगवान नें खुद आकर यहाँ की सुंदरता उकेरी हो। लेकिन तमाम खूबियों के बाद भी सप्तकुंड आज भी देश दुनिया की नजरों से ओझल है।
सरकार और पर्यटन विभाग को चाहिए की सप्तकुंड को पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए विशेष कार्ययोजना बनाई जानी चाहिए ताकि पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा साथ ही स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।वास्तव में उत्तराखंड में नागाड.बगजी जैसे दर्जनों स्थल ऐसे हैं जो पर्यटन के लिहाज से मील का पत्थर साबित हो सकतें हैं। यदि ऐसे स्थानों को चिह्नित करके इन्हें विकसित किया जाए तो इससे न केवल पर्यटक यहां का रूख करेंगे अपितु रोजगार के अवसरों का सृजन भी होगा। उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया है। जिससे प्रदेश में नए पर्यटक स्थल में आधारभूत ढांचे विकसित हो सकें। वहीं, 13 जिलों में टूरिस्ट डेस्टिनेशन, होम स्टे योजना, साहसिक पर्यटन, टिहरी झील विकास, एडवेंचर, योग, वेलनेस आध्यात्मिक, पर्यटक स्थलों को रोपवे से जोड़ने समेत तमाम योजनाएं हैं। सरकार के तीन वर्ष पूरे हो चुके हैं। अब इन योजनाओं को धरातल पर उतारने का इंतजार है।केंद्र सरकार के पर्यटन मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार पर्यटन क्षेत्र में 10 लाख रुपये का निवेश होने से 90 लोगों को रोजगार मिलता है। वर्तमान में पर्यटन सेक्टर में उत्तराखंड की देश में 12 वीं रैकिंग है। 2020 तक सरकार ने देश के टॉप टेन पर्यटन स्थलों में शामिल होने का लक्ष्य रखा है। 2024 तक टॉप फाइव और 2030 तक टॉप थ्री में आने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए उत्तराखंड को सुनियोजित ढंग से पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना बनाई है।उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले दिनों में ऐसे गुमनाम स्थलों को विकसित करने के लिए वृहद कार्ययोजना बनें।

Share49SendTweet31
https://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/10/yuva_UK-1.mp4
Previous Post

आई.एम.ए. में बहु प्रतीक्षित दो अण्डर पास का रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया शिलान्यास

Next Post

बदरीनाथ में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट का प्रधानमंत्री ने किया ऑनलाइन लोकार्पण

Related Posts

उत्तराखंड

पर्यटन स्थल हैं त्रिपुरा देवी मंदिर!

October 24, 2025
57
उत्तराखंड

चंपावत में खोला जाएगा कृषि विश्वविद्यालय : मुख्यमंत्री

October 24, 2025
8
उत्तराखंड

मुख्यमंत्री ने टनकपुर ( चंपावत) में भैया दूज (च्यूड़ा पूजन) समारोह में किया प्रतिभाग, महिलाओं ने किया पारंपरिक पूजन

October 24, 2025
8
उत्तराखंड

दून पुस्तकालय में बहे ऋत्विज पंत के शास्त्रीय गायन के रंग

October 24, 2025
7
उत्तराखंड

वार्षिक पत्रिका ‘प्रयास’ के 16वें संस्करण का हुआ विमोचन

October 24, 2025
16
उत्तराखंड

सरदार पटेल केवल भारत के लौह पुरुष नहीं, बल्कि एकता और अखंडता के प्रतीक थे – जिलाधिकारी

October 24, 2025
4

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    67470 shares
    Share 26988 Tweet 16868
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    45755 shares
    Share 18302 Tweet 11439
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    38026 shares
    Share 15210 Tweet 9507
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    37422 shares
    Share 14969 Tweet 9356
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    37293 shares
    Share 14917 Tweet 9323

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

पर्यटन स्थल हैं त्रिपुरा देवी मंदिर!

October 24, 2025

चंपावत में खोला जाएगा कृषि विश्वविद्यालय : मुख्यमंत्री

October 24, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.