फोटो-थराली.बीते बरसातों में कुछ इस तरह से क्षतिग्रस्त हुआ हैं गमलीगाड़ स्रोत।
थराली से हरेंद्र बिष्ट।
विकास खंड मुख्यालय देवाल में प्रर्याप्त एवं स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति के लिए जल्द ही या तो एक बड़ी पेयजल योजना का निर्माण किया जाएगा अथवा पिंडर नदी से पंपिंग योजना के जरिए पानी की आपूर्ति की जाएगी। इस पर शासन स्तर पर गंभीरता से मंथन किया जा रहा है।
दरअसल विकास खंड मुख्यालय देवाल की एक बड़ी आबादी को गमलीगाड़ गद्देरे से पीने के पानी की आपूर्ति की जाती रही है, किन्तु पिछले कुछ वर्षो से इस पेयजल स्रोत के पहाड़ी पर हो रहे भूस्खलन के कारण चतुर्मास में इस योजना की पेयजल लाइन में इतना गंदा पानी आता जा रहा हैं कि पीना तो दूर लोग इससे हाथ, पांऊ तक भी नहीं छाल पाते हैं। इसके अलावा भूस्खलन के कारण योजना जहां तहां क्षतिग्रस्त भी होती रहती हैं। जिस पर मजबूरन जल संस्थान को यहां पर डेढ़ से दो महिनों के दौरान टैंकरों से पानी की आपूर्ति करनी पड़ती है। क्षेत्रीय जनता की मांग पर इसी वर्ष ब्लाक मुख्यालय देवाल में स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति के लिए जल संस्थान के द्वारा नये पेयजल स्रोत से पानी की नई योजना बनाने के साथ हीए पिंडर नदी से पंपिंग योजना के निर्माण का प्रस्ताव भेजा गया हैं।
थराली एवं देवाल विकास खंड का भ्रमण कर रहे राज्य स्तरीय पेयजल अनुश्रवण समिति के उपाध्यक्ष एवं राज्य मंत्री रिपुदमन सिंह रावत ने बताया कि एक प्रस्ताव लौसरी गांव से आगे घेस मोटर सड़क पर स्थित हनीगाड़ पानी के स्रोत से देवाल तक पानी की लाईन बना कर पानी की आपूर्ति करने एवं दूसरा प्रस्ताव पिंडर नदी से पंपिंग योजना के तहत पानी की आपूर्ति का प्राप्त हुआ हैं।जिन का गंभीरता के साथ मंथन करने के साथ ही परीक्षण किया जा रहा हैं कि कौन सी योजना लोगों को पानी की आपूर्ति के लिए बेहतर होगी उसे जल्द ही स्वीकृत प्रदान कर निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। ताकि नागरिकों को स्वच्छ एवं प्रर्याप्त पानी मिल सकें।
उपाध्यक्ष रावत ने बताया कि पेयजल मिशन के तहत हर घर नल, हर घर जल के तहत पहले चरण में गांवों के प्रत्येक परिवार को पानी का कनेक्शन दिए जाने के लिए कार्य शुरू कर दिया गया हैं। दूसरे चरण में स्रोतों से गांव तक की लाईनों की ठीक कर प्रत्येक लाईन पर प्रर्याप्त पानी उपलब्ध करवाया जाएगा। बताया कि इसी माह मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में अनुक्षवण समिति की बैठक में यह बात सामने आई कि पहाड़ी क्षेत्रों में 40फीसदी से अधिक गांवों के पेयजल स्रोत गांव के निचले हिस्सों में मौजूद हैंए जिससे गांवों के ग्रामीणों तक पानी पहुंचाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं। बैठक में तैय किया गया कि ऐसे गांव में सौलर पंपों के जरिए पानी पहुंचाया जाए जिसके लिए जल्द ही प्रयोग शुरू किए जाएंगे।