

पर्यटन स्थलों और धामों को तैयार होने का मौका
फोटो-01- श्री बदरीनाथ धाम।
02 फाइल फोटो– चियर लिफ्ट औली।
03- फाइल फोटो- जोशीमठ-औली रोप वे।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। राज्य सरकार की ओर से देवस्थानम बोर्ड ने जनपद स्तर पर चारों धामों की यात्रा शुरू करने का फरमान तो जारी किया है। लेकिन गत वर्षो मे कांग्रेस की सरकार के दौरान ’’मेरे बुजुर्ग-मेरे तीर्थ’’ तथा भाजपा की सरकार मे ’’पंडित दीनदयाल उपाध्याय मातृ-पित्र तीर्थाटन योजना’’ के माध्यय से निशुल्न्क परिवहन, आवास व भोजन तथा दर्शनों का लाभ ले चुके विभिन्न जनपदों के राज्यवासी क्या इस कोरोना काल में स्वय के व्यय पर आशातीत संख्या में धामों में पहंुच पांएगे! बहरहाल देवस्थानम बोर्ड ने घामों में चहल-पहल शुरू करने तथा इस बहाने होटल व रेस्टोरेंट व्यवसायी तीस जून तक अपनी तैयारियाॅ कर सके, इसे देखते हुए फैसला तो उचित ही लिया है। लेकिन सोशल डिस्टेंस के कारण बसो व टैक्सियों में कम सवारी के कारण कही ज्यादा किराया तो बदरीनाथ पहंुचकर कोविड-19 के सख्त नियमो का पालन अगर जनपदवासी यह सब कर सकेंगे तो सरकार के फैसले को कही न कहीं उचित ही ठहराया जाऐगा।
कोरोना महामारी का असर उत्तराखंड के देवालयों के साथ ही ख्याति प्राप्त पर्यटक स्थलों पर पड गया है।
दुनिया के बेहतरीन स्कीइंग स्पाॅट में एक औली में सुसज्जित भारत के सबसे लंबे रोप वे तथा चियरलिफ्ट भी कोरोना के कारण सचंालित नहीं हो सके हैं।
कोविड-19 ने जीएमवीएन के आय के प्रमुख स्रोतों मे एक रोप-वे तथा चियरलिफ्ट को भी अछूता नही रखा। निगम के दोनो महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट कोरोना के चलते ठप्प है। और आगे भी अभी इसके संचालित होने के कोई आसार नही दिखते।
दससअल औली के लिए जोशीमठ-औली रोप वे भारत का सबसे लंगा रोप वे है। जिसका संचालन शीतकाल के साथ ही ग्रीष्म काल मे भी लगातार होता रहा है। शीतकाल मे स्कीइंग प्रेमी पर्यटक तो ग्रीष्म काल मे श्री बदरीनाथ व हेमकुंड साहिब-लोकपाल की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु भी इस रोप का लुफ्त उठाने के लिए अवश्य यहाॅ ठहरते है। रोप वे के अलावा औली मे चियरलिफ्ट भी है , और पर्यटक औली पंहुचकर इसका आंनद भी उठाते है। लेकिन कोरोना महामारी ने जीएमवीएन के इन दोनो महत्वपूर्ण आय के स्रोतों पर विराम लगा रखा है। जीएमवीएन के रोपवे परियोजना के आपरेशन मैनेजर इंजीनियर दिनेश भटट के अनुसार गत वर्ष अप्रै्रल से जून महीने तक करीब 16745पर्यटको ने रोप वे की सैर की जबकि इसी अविध मे औली मे स्थापित चियरलिफ्ट का 22574 पर्यटको ने लुफ्त उठाया।
हाॅलाकि जनपद स्तर पर धामो की यात्रा शुरू करने की गाइड लाइन तो जारी हुई है लेकिन इस दौरान रोप वे परियोजनाओ ंके सचंालन के लिए किसी प्रकार के दिशा निर्देश प्राप्त नही हुए है।
यही नही विश्व विख्यात हिकमक्रीडा केन्द्र औली मे भी छाई है वीरानी ,मई व जून के महीने मे तो औली प्रकृति प्रेमी पर्यटकों से पटा रहता था , कोविड-19 के कारण यहाॅ सन्नाटा पसरा है।
विश्व विख्यात हिमक्रीडा केन्द्र औली के विश्व पर्यटन मानचित्र पर छाने के बाद यहाॅ प्रतिवर्ष हजारों ग्रीष्मकालीन व शीतकालीन पर्यटकों का हुजूम उमडता है।और श्री बदरीनाथ के कपाट खुलने व विश्व धरोहर फूलों की घाटी खुलने के बाद इन क्षेत्रों मे आने वाले धार्मिक एवं प्रकृति प्रेमी पर्यटक अवश्य ही औली का दीदार करने पंहुचते है। श्री बदरीनाथ, फूलों की घाटी व हेमकुंड साहिब-लोकपाल आने वाले तीर्थयात्री व पर्यटक अवश्य ही औल्ी के दीदार के लिए पंहुचते हैं
औली पर्यटन मानचित्र पर आने के बाद जोशीमठ से औली तक दर्जनों युवावों ने छोटे-बडे हटस, टैण्ट कालोनी व रिसोर्ट के माध्यम से पर्यटन ब्यवसाय से जुड कर स्वरोजगार अपनाया। लेकिन उनकी भी उम्मीदों पर इस वर्ष पानी फिर गया है। औली मे ही गढवाल मंण्डल विकास निगम को आलीशान स्की रिसोर्ट है, जहाॅ वर्षभर आॅन लाइन बुकिंग व कंरट बुकिंग के माध्यम से देश-विदेश के पर्यटकों की आवाजाही बनी रहती हैं। इसके अलावा अनेक अन्य छोटे-बडे होटल भी है जिन्है यात्रा काल तथा शीतकाल मे अच्छा-खासा रोजगार मिलता है। लेकिन इस वर्ष मार्च महीने से सबकुछ ठप्प पडा है। अब देखना होगा कि जनपद स्तर की यात्रा शुरू करने के बाद धार्मिक स्थलों के साथ पर्यटक स्थलो पर भी चहल-पहल शुरू हो सकेगी! इस पर भी नजरे रहेगी।