गैरसैंण। प्रथम विश्व युद्ध के महानायक प्रथम विक्टोरिया क्रास विजेता वीर शिरोमणी वी सी दरबान सिंह नेगी की 70वीं पूण्य तिथि पर उन्हें याद करते हुए एस भुवनेश्वरी महिला आश्रम परिसर गैरसैंण में श्रृद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया । इस दौरान कोरोना संकट काल में सोशल डिस्टेंश का ध्यान रखते हुए विश्व शांति और सीमा पर शहीद हुए भारत के वीर जवानों को भी दो मिनट का मौन रख कर श्रृद्धांजलि दी गई और यज्ञ अनुष्ठान किया गया।
इस दौरान वक्ताओं ने वीसी दरबान सिंह की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए उनकी गौरव गाथा का बखान किया। कहा चार मार्च 1883 को नारायण बगड़ ब्लॉक के कफारतीर गांव में कलमसिंह नेगी के घर वीसी दरबान सिंह का जन्म हुआ था, वर्ष 1901 में वह 39 गढ़वाल राइफल की पहली पलटन में भर्ती हुए थे। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान नवम्बर 1914 में उनकी पलटन
को फ्रांस के फेस्टूवर्ग में एक अत्यधिक महत्वपूर्ण खाई से जर्मन सैनिकों को खदेड़ने का काम मिला था। इस दौरान उन्होंने अदम्य साहस व वीरता का परिचय दिया। जिससे किंग जार्ज पंचम ने 5 दिसंबर 1914 को युद्ध के मैदान मेें जा कर उन्हें सर्वोच्च सम्मान विक्टोरिया क्रॉस जो परमवीर चक्र के बराबर है, से सम्मानित किया। जब उनसे कोई दो मांगें रखने को कहा गया तो
उन्होंने कर्णप्रयाग में अंग्रेजी माध्यम का मिडिल स्कूल और हरिद्वारा-कर्णप्रयाग रेल लाईन की मांग रखी। मांगें स्वीकृत होने के बाद 26 अक्टूवर 1918 को मिडिल स्कूल और 1919 को रेलवे का सर्वेक्षण प्रारम्भ हो कर 2019 में कार्य रूप में परिणित भी हो गया है।
सेवानिवृत होने के बाद वह समाज सेवा में जुट गये और अंत में 24 जून 1950 को उनका देहावसान हो गया। वक्ताओं ने कहा कि ऋषिकेश .कर्णप्रयाग रेल लाईन का पहला सपना वीसी साहब ने ही देखा, जाे आज साकार होने वाला है, इसलिए इस रेल लाईन का नाम वीसी दरबान सिंह के नाम पर रखा जाना चाहिए।
कार्यक्रम शताब्दी समारोह समिति के महामंत्री भुवन नौटियाल के निर्देशन में एस बी एम ए के परियोजना प्रबंधक गिरीश डिमरी की अध्यक्षता में महेश जुयाल व पंडित शम्भू प्रसाद गौड़ के सहयोग से संपन्न हुआ। इस दौरान राजेंद्र सिंह रावत, डॉ रामसिंह
रावत, त्रिलोक सिंह, प्रेम सिंह, उषा बिष्ट, कमला, सावित्री, ललीता, सरीता, दीवान सिंह, रमेश आर्य, मानसिंह, सौरभ, संगीता, दरमान सिंह भरत रावत आदि मौजूद रहे।