देहरादून। उक्रांद के अध्यक्ष दिवाकर भट्ट कहते हैं कि राज्य बनाने के लिए 42 हत्याएं हुई, उसका क्या मिला। जो महिलाओं का असम्मान किया गया, उसका क्या हासिल हुआ? इन तमाम मुद्दों को लेकर अब हम जनता के बीच जा रहे हैं। आंदोलन करने की जरूरत है, लेकिन उसका स्वरूप कैसा होगा, इसका निर्णय जनता से विचार विमर्श के बाद तय किया जाएगा।
दिवाकर भट्ट उत्तराखंड समाचार के ‘उत्तराखंड के सुलगते सवालों’ पर संपादक शंकर सिंह भाटिया के साथ चर्चा कर रहे थे। दिवाकर भट्ट के साथ चर्चा के इस सेगमेंट का शीर्षक ‘भूमि खुर्द-बुर्द करती सरकार’ रखा गया था। योगी आदित्यनाथ बदरीनाथ में उत्तर प्रदेश पर्यटन भवन का शिलान्यास करने उत्तराखंड आए हुए हैं। इस दौरान उत्तराखंड समाचार ने सूचना के अधिकार में प्राप्त एक सूचना पर यह बहस आयोजित की थी। हाल ही में सूचना के अधिकार के तहत ली गई सूचना से जानकारी मिली है कि हरिद्वार में जिस भूमि पर कुंभ, कांबड़ मेला तथा विभिन्न स्नानों के दौरा लोग जुटते हैं, वह भूमि अभी भी न केवल यूपी के कब्जे में है, बल्कि यूपी से साफ कह दिया है कि 697.576 हैक्टेयर भूमि उत्तराखंड को देने के लिए तैयार नहीं है। यह भूमि उत्तर प्रदेश को सिंचाई संरचनाओं के निर्माण के लिए चाहिए। गत वर्ष उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड के मुख्य सचिवों के स्तर की बैठक में पर सहमति हो गई थी। उत्तराखंड अपनी भूमि छोड़ने के लिए तैयार हो गया। यह भूमि उत्तर प्रदेश उत्तराखंड को कुंभ मेला, कांबड़ मेला तथा अन्य स्नानों पर कुछ शर्तों के आधार पर देगा। इसका मालिक उत्तर प्रदेश ही रहेगा।
इस सवाल को गंभीर मानते हुए दिवाकर भट्ट ने कहा कि भाजपा तथा कांग्रेस यूपी से पंगा नहीं लेना चाहते हैं। इसलिए वह उत्तर प्रदेश के सामने बिछ जाते हैं। उक्रांद ही उनसे लड़ाई ले सकता है, हमें जनता से ताकत तो मिले। जब उन्होंने अभी तक हमारी जमीन नहीं लौटाई तो उन्हें राज्य में कोई और जमीन देने का कोई औचित्य नहीं है। जनता एक बार बीजेपी एक बार कांग्रेस को सत्ता सौंप रही है। जब तक हमको जनता ताकत नहीं देती हम कुछ नहीं कर सकते। बड़ी-बड़ी डिग्री वालों को आपने बीस साल से इलाज कराया। उन्होंने सबकुछ बर्बाद कर दिया। एक मौका हम छोटी पुड़िया वालों को भी दीजिए। डबल इंजिन पूरी तरह से फेल हो गया है।
उन्होंने कहा कि पलायन में 27 प्रतिशत बढ़ौतरी हुई, राज्य बनने के बाद। सड़कों पर लड़कर हम फिर से अव्यवस्था पैदा करना नहीं चाहते हैं। हमने पहले भी आंदोलन किया है, लेकिन इसके एवज में जनता को नुकसान उठाना पड़ा। 42 लोगों ने शहादत दी।
आखिर गैरसैंण राजधानी क्यों भाजपा कांग्रेस को यह पता नहीं है। गैरसैंण राजधानी तय करने के लिए सोच विचार में हमें तेरह साल लगे। राजधानी गैरसैंण एकता और पहाड़ के विकास का प्रतीक है। कुमाउं गढ़वाल के मध्य स्थल में पूरे राज्य की एकता बनी रहेगी। आज ये गैरसैंण-गैरसैंण कर रहे हैं, उसका औचित्य इन्हें पता ही नहीं है।
पानी हमारा, जमीन हमारी, उन्हें आधी बिजली क्यों दें। भाजपा कांग्रेस उत्तर प्रदेश से टकराव लेने को तैयार नहीं हैं। इसके एवज में जो हालात बन गए हैं, वह विस्फोट स्थिति पैदा कर सकती है। इससे देश को भी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। हमने केवल आंदोलन किया, राजनीति नहीं की, इसी वजह से हम पिछड़ गए।
गठबंधन समय और परिस्थितियों की वजह से बनती है, न चाहते हुए भी गठबंधन करने पड़ते हैं। भाजपा के गठबंधन से उक्रांद को कोई फायदा नहीं हुआ, जो भी फायदा हुआ वह भाजपा को हुआ। इस राज्य के स्वाभिमान के लिए हमको जो भी कुर्बानी देनी होगी देंगे।
नया भू कानून माफिया तथा बाहरी शक्तियों को आमंत्रित करने वाला बिल है। आज इन्होंने जिलाधिकारी को सौ बीघा का डिस्पोजल कर सकते हैं। राज्य कर्ज में डूबा हुआ है। यह कहां से लाएंगे पैसे। माफियाओं को पार्टनर बनाएंगे? वे यहां ऐशगाह बनाएंगे। इनकी उनके साथ गलबहियां खतरनाक हैं। यह भू कानून बताता है कि राज्य के प्रति ये संवेदनशील नहीं है। इस राज्य को माफियाओं के हाथों में सौंपने की तैयारी की जा रही है। मुख्यमंत्री ने होटल वालों के लिए बोला कि वे बर्तन मांजने के लिए बाहर जाते हैं, क्या उन्हें ऐसी बात बोलनी चाहिए, उनके लिए कुछ करने की जरूरत है।










