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सैफ गेम्स के बाद विंटर डेस्टिनेशन के तौर पर औली को मिली नई पहचान

27/12/20
in उत्तराखंड, चमोली
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फोटो–औली मे जीएमवीएन कैंपस।
02- औली की विश्व स्तरीय स्कीइंग ढलान ।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। औली यूॅ ही नहीं पंहुची विश्व पर्यटन मानचित्र पर। गढवाल मंडल विकास निगम का महत्वपूर्ण योगदान है औली को उत्तराखंड का विंटर डेस्टिनेशन के स्तर तक पहंुचाने में सैफ विंटर गेम्स के बाद तो औली को एक नई पहचान मिली है।
विश्व विख्यात हिमक्रीडा केन्द्र औली मे यूॅ तो आईटीबीपी का पर्वतारोहण एवं स्कीइंग प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित था। जहाॅ पैरा मिलिट्री फोर्स, सेना, नौसेना वायुसेना के जवानों व अधिकारियों को पर्वतारोहण एंवं स्कीइग में दक्ष किया जाता था और आज भी यह प्रक्रिया निरंतर जारी हैं। लेकिन बात वर्ष 1985-86 की है, उत्तर-प्रदेश पर्यटन महकमे ने तत्कालीन गढवाल कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह पांगती के प्रस्ताव पर औली को स्कीइंग प्रशिक्षण केन्द्र के रूप में विकसित करने की योजना बनाई और गढवाल मंडल विकास निगम के माध्यम से स्कीइगं कोर्स शुरू कराने की रूप-रेखा तैयार की गई। जीएमवीएन के तत्कालीन प्रबन्ध निदेशक दीपक सिंघल ने वर्ष 1986-87 में औली पहुंचकर निगम के पहले स्कीइंग प्रशिक्षण कोर्स की शुरूवात की। शुरू के दिनो पर जब औली मे जीएमवीएन का स्ट्रैक्चर खडा नही हुआ था, तब निगम के स्कीइंग इंस्टेक्टर जोशीमठ से ही स्कीइंग प्रशिक्षणार्थियों को वाहनो से औली पंहुचाते थे और पूरे दिन प्रशिक्षण देकर सांय को जोशीमठ वापस लाते थे। कुछ वर्षो तक सिलिसिला चलने के बाद जीएमवीएन ने औली मे अपना स्ट्रैक्चर तैयार कर लिया। और तब औली मे निगम ने सात व चैदह दिवसीय स्कीइंग कोर्स की विधिवत शुरूवात की और औली को पर्यटन मानचित्र पर स्थान दिलाने के लिए पर्यटन विभाग व जीएमवीएन द्वारा प्रतिवर्ष औली फेस्टिेबल का आयोजन भी किया जाता रहा। शीतकाल मे अत्यधिक वर्फबारी होने के कारण वाहन औली तक नही पंहुचपाते थे। और तभी जोशीमठ से औली रोप-वे जिसका शिलान्यास वर्ष 1984 मे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाॅधी ने किया था। उस रोप-वे के निर्माण को भी गति दी गई। लेकिन धनाभाव के कारण रोप जो वर्षो से मुबंई के बंदरगाह पर जंक खा रही थी, उसे औली पंहुचाना किसी चुनौती से कम नही था।
औली का संयोग ही कहेगे कि वर्ष 1991 मे उत्तर प्रदेश मे भाजपा की सरकार गठित हुई और पर्यटन मंत्री जोशीमठ के स्थानीय निवासी केदार सिंह फोनिया बने। जिन्होने अपनी अन्य प्राथमिकताओं मे रोप-वे को भी रखा और सरकार से अलग से बजट का प्रावधान कर रोप को मुुबई से औली पंहुचाया। और वर्ष 1994 से रोप-वे के साथ चियर लिफ्ट व स्की लिफ्ट ने भी विधिवत कार्य करना शुरू किया।
रोप-वे तथा चियर लिफ्ट निर्माण के बाद तो औली मे शीतकालीन के साथ ग्रीष्मकाल मे भी पर्यटको की संख्या मे दिनो दिन बृद्धि होती चली गई। औली मे राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं का आयेाजन शुरू हुआ, और औली की स्कीइंग ढलानो को विश्वस्तरीय बनाने की दिशा मे जोरदार पहल हुई। युद्धस्तर पर कार्य हुए और वर्ष 2010-11 मे सैफ विंटर गेम्स का सफल आयोजन संपादित हुआ। सैफ विंटर गेम्स के बाद तो औली विश्व पर्यटन मानचित्र पर शीतकालीन डिस्टिनेशन के रूप उभरा ही। विगत दो वर्ष पूर्व ग्रीष्म काल मे प्रख्यात उद्योगपति गुप्ता बंधुओ के बेटो की शाही शादी समारोह ने भी विश्व भर को औली की ओर आकृषित किया।
जिस प्रकार 25दिसबंर व नए साल के जश्न के लिए विगत वर्षो से पर्यटको की औली के प्रति दिलचस्पी बढ रही है, उसे देखते हुए स्थानीय युवा भी स्वरोजगार की ओर तेजी से अग्रसर हो रहे है, और स्थानीय युवा जोशीमठ से लेकर औली तक के मार्ग पर काटैज व टैण्ट कालोनियाॅ बनाकर बेहतर रोजगार प्राप्त कर रहे है।
बहरहाल औली पर्यटन के माध्यम से रोजगार का एक नया व दीर्धकालीन अवसर लेकर आया है। अब देखना होगा कि स्थानीय युवा किस प्रकार औली से स्वय को जोडकर पर्यटन के माध्यम से बेहतरीन रोजगार के अवसर तलाशते है।

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