• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar
No Result
View All Result

हथिया नौला का नायाब शिल्प

28/10/20
in उत्तराखंड, चम्पावत
Reading Time: 1min read
252
SHARES
315
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में जल की आपूर्ति का परंपरागत साधन नौला रहा है। सदियों तक पेयजल की निर्भरता इसी पर रही है। चम्पावत जिले में ऐतिहासिक कलाकृतियों की कमी नहीं है। यहां के प्राचीन मंदिरों में ऐसी अनेक बेजोड़ कलाकृतियां देखी जा सकती हैं। ऐसी ही एक कलाकृति है एक हथिया नौला। यह नौला अपनी बनावट और शिल्प कला के कारण मंदिर के समान लगता है। नौले को शिल्पकार ने इस तरह से तराशा है कि इसे देखने के बाद कोई भी शिल्पकला और शिल्पकार की प्रशंसा किए बिना नहीं रह सकता। कहा जाता है कि इस नौले को एक हाथ वाले शिल्पकार ने तराशा था। जिला मुख्यालय के पश्चिम में स्थित ढकना गांव से दो किमी दूर यह नौला बनाया गया है। एक हाथ से निर्मित होने के कारण इसका नाम एक हथिया पड़ा।
माना जाता है कि चंद राजाओं का राजमहल व कुमाऊं की स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध बालेश्वर मंदिर का निर्माण करने वाले मिस्त्री जगन्नाथ का एक हाथ चंद शासकों ने कटवा दिया था। ताकि बालेश्वर जैसा निर्माण दोबारा न हो सके। लेकिन एक हाथ कट जाने के बाद भी जगन्नाथ ने अपनी कला को जिंदा रखा और उसने अपनी पुत्री कुमारी कस्तूरी की सहायता से ढ़कना गांव से दो किमी दूर जंगल में पानी के जल स्रोत को नौले का भव्यतम रूप दिया। नौले में लगे पत्थरों पर लोक जीवन के विभिन्न दृश्यों नृतकए वादकए गायक और कामकाजी महिलाओं का सजीव चित्रण किया गया है। यह कला की दृष्टि से कुमाऊं की बेजोड़ कलाकृतियों में से एक है। खास बात यह है कि नौले का निर्माण केवल पत्थरों से किया गया है जिसमें गारे का प्रयोग नहीं हुआ है। इस नौले का संरक्षण पुरातत्व विभाग के पास है। आज भी इस नौले को देखने के लिए स्थानीय लोग और बाहर से आने वाले पर्यटक जाते रहते हैं।
आबादी से दूर होने के कारण इस नौले के पानी को पीने के काम में नहीं लाया जाता लेकिन जंगल में घास व जलौनी लकड़ी लाने वाले लोग और ग्वाले नौले के पानी को पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं। एक हथिया नौला जंगल में होने के कारण इसकी उचित देख रेख नहीं हो पा रही है। ग्वाले और जंगल जाने वाले कई लोग इस नौले के पत्थरों के साथ छेड़ छाड़ कर रहे हैं। इसकी छत के कुछ पटाल दुबारा लगाए गए हैं। जिला पर्यटन अधिकारी ने बताया कि एक हथिया नौला चम्पावत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल है। इसके संरक्षण की जिम्मेदारी पुरातत्व विभाग के पास है। पर्यटन विभाग ने इस नौले को अपनी धरोहर में भी शामिल किया है। पर्यटकों को इस नौले के बारे में ऑनलाइन जानकारी भी दी जा रही है ताकि वे इसे देखने के लिए जा सकें। एक हथिया नौला आज भी स्थापत्य कला प्रेमियों के लिये आकर्षण का केन्द्र है। जनश्रुति के अनुसार एक शिल्पी के माध्यम से किसी राजा ने कहीं कोई बेजोड़ रचना बनवाई थी, उस रचना को पुनः कहीं और न बनाया जाये इस कारण शिल्पी के दाएँ हाथ को कटवा दिया गया। शिल्पी द्वारा एक हाथ से ही पुनः उससे अच्छी रचना के रूप में इस नौले का निर्माण किया गया था, यद्यपि यह नौला भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है, लेकिन वीरान जगह होने के कारण इस नौले की दुर्दशा को देखकर दुख होता है।आवश्यकता इस बात की है कि इस जल संचयन परम्परा को पुनर्जीवित करने हेतु गांव समाज की पहल पर चौड़ी पत्ती के पौधों का रोपण व चाल.खाल निर्माण को प्राथमिकता दी जाय।
साथ ही, सरकारी स्तर पर समुचित नीति निर्धारिण के साथ समाजोन्मुखी विकास को केन्द्र में रखकर जल.संरक्षण की ऐसी दीर्घकालिक योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाए, जिसमें ग्रामीण व स्थानीय आम लोगों की प्रत्यक्ष भागीदारी सुनिश्चित हो। इस तरह पर्यावरण का सतत विकास तो होगा ही साथ ही सांस्कृतिक विरासत के तौर पर हिमालय की यह पुरातन परम्परा पुनः समृद्धता की ओर कदम बढ़ा सकेगी। नौलों के ह्रास का कारण हमारी भौतिकतावादी संस्कृति है। जहाँ हम विकास के नाम पर भूमिगत पाइप लाइनों को घर के अधिकांश कमरों में जलापूर्ति हेतु लाये हैं। इससे प्रकृति पर हमारी निर्भरता कम कर रही है। अतः नौला जैसी प्राचीन धरोहर जो हमारे जीवन की मूल आवश्यकताओं से जुड़ी है, को संरक्षित करना होगा। यदि समय रहते समाज में इनके प्रति सही सोच पैदा नहीं हुई तो नौला भी अतीत का हिस्सा बन जाएँगे।

Share101SendTweet63
https://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/10/yuva_UK-1.mp4
Previous Post

शिविर में दिव्यांगजनों को उपकरण और प्रमाण पत्र बांटे

Next Post

मुख्यमंत्री ने पर्वतारोहियों को किया सम्मानित

Related Posts

उत्तराखंड

कुलपति कुमाऊं विश्वविद्यालय को वर्ष 2025 का आचार्य पीसी राय मेमोरियल लेक्चर अवार्ड से सम्मानित किया गया

October 22, 2025
7
उत्तराखंड

आयुर्वेद कोर्सों में इस बार सीटें भरने की चुनौती

October 21, 2025
38
उत्तराखंड

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने पुलिस स्मृति दिवस परेड के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में किया प्रतिभाग किया

October 21, 2025
10
उत्तराखंड

नारायणबगड़ के पंती कस्बे से चोरी की गई 77 सेटरिंग प्लेटों के मामले में थराली थाना पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया

October 21, 2025
6
उत्तराखंड

वर्दी का गौरव, शहादत की प्रेरणा, पौड़ी पुलिस ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि

October 21, 2025
5
उत्तराखंड

जिला प्रशासन ने मा. मुख्यमंत्री के निर्देशों पर आपदा प्रभावितों के साथ मनाई सैंजी में दीवाली

October 21, 2025
7

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    67468 shares
    Share 26987 Tweet 16867
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    45755 shares
    Share 18302 Tweet 11439
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    38026 shares
    Share 15210 Tweet 9507
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    37422 shares
    Share 14969 Tweet 9356
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    37293 shares
    Share 14917 Tweet 9323

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

कुलपति कुमाऊं विश्वविद्यालय को वर्ष 2025 का आचार्य पीसी राय मेमोरियल लेक्चर अवार्ड से सम्मानित किया गया

October 22, 2025

आयुर्वेद कोर्सों में इस बार सीटें भरने की चुनौती

October 21, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.