रिपोर्ट-सत्यपाल नेगी/रुद्रप्रयाग
रुद्रप्रयाग जिले में भी आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा में टिकट के लिए दावेदारों की होड़ मच गई है। गुरुवार को पर्यवेक्षक के सामने रुद्रप्रयाग और केदारनाथ विधानसभा से कुल 22 लोगों ने अपनी दावेदारी पेश की।
आपको बता दे कि जनपद रुद्रप्रयाग मे दो विधानसभा सीटें हैं, रुद्रप्रयाग व केदारनाथ। इस बार दोनों विधानसभा से दावेदारों की लंबी लाइन नजर आ रही है, हालाकि सभी दलों में कुछ लोग दूसरे की शह पर भी अपने आपको आगे दिखाने की कोशिशें इसलिए करते रहते हैं कि जिसके साथ मोटा खेल व समझौते का दबाव बन सके। और कुछ पार्टी के आगे अपने को चमकाने की रणनीति बनाने को आतुर रहते हैं।
अब यह तो पार्टी हाई कमान को ही तय करना होता हैकि टिकट किसके नाम पर फाइनल होगा, इसकी घोषणा पार्टी हाईकमान द्वारा पर्यवेक्षकों की रिर्पोट के आधार पर की जाएगी।
वहीं रुद्रप्रयाग जिले में पार्टी कार्यकर्ताओं से चुनाव को लेकर जानकारियां लेने आये पर्यवेक्षक डॉ सुराज विद्वान, अनिल गोयल और अतर सिंह असवाल के सम्मुख पार्टी कार्यकर्ताओं ने अपनी दावेदारी पेश की। जहाँ रुद्रप्रयाग विधानसभा से सिटिंग विधायक भरत सिंह चौधरी के साथ ही आचार्य शिव प्रसाद मंमगाई, कमलेश उनियाल, वीरेंद्र सिंह बिष्ट, जिपंअ अमरदेईशाह, वाचस्पति सेमवाल, गिरवीर सिंह रावत, वीर सिंह रावत, विजय कप्रवान, कुलदीप नेगी आजाद, अजय सेमवाल ने टिकट के लिए दावेदारी की। तो केदारनाथ विधानसभा सीट से पूर्व विधायक शैला रानी रावत, आशा नौटियाल, जिलाध्यक्ष दिनेश उनियाल, दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता संजय दरमोड़ा शर्मा, वरिष्ठ नेता अजेंद्र अजय, पूर्व राज्य मंत्री अशोक खत्री, पूर्व जिपंअ चंडी प्रसाद भट्ट, अनूप सेमवाल, दिनेश बगवाड़ी, देवप्रकाश सेमवाल, शकुतंला जगवाण ने दावेदारी पेश की।
यहॉ पहुँचे पर्यवेक्षक सुराज विद्वान ने बताया कि पार्टी द्वारा उन्हें कार्यकर्ताओं से चर्चा के लिए रुद्रप्रयाग और चमोली जिले में भेजा गया है। हमने कार्यकर्ताओं से राय ली। दावेदारी करना हर कार्यकर्ता का अधिकार है।रिर्पोट पार्टी हाईकमान को भेजी जाएगी। जिस पर अंतिम फैसला पार्टी हाईकमान द्वारा ही लिया जाएगा। जो भी प्रत्याशी घोषित होगा सभी कार्यकर्ता उसके साथ खड़े रहेगे।
’वही स्थानीय जनता का कहना है कि कुछ लोग केवल चुनावी समय नजदीक आते ही क्षेत्रो मे आना शुरू करते है जबकि उनका जिले के सुख.दुख मे व्यक्तिगत कोई योगदान नहीं रहता है, ऐसे लोगों से पार्टीयो व आम जनता में भी गुटवाजी एंव मतभेद बढ़ते है, साथ ही भ्र्ष्टाचार की नींव भी पड़ती है, क्योकि ऐसे लोग धन.बल से वोटरों व आम लोगों को खरीदकर अपने पक्ष मे जोड़ने का काम करते है, और जिले के जमीनी कार्यकर्ता को भी मौका नही मिलने देते है।