हरेंद्र बिष्ट की रिपोर्ट।
थराली। चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति/ राज्य निर्माण सेनानी रजिस्टर्ड उत्तराखंड- दिल्ली ने उत्तराखंड राज्य के गठन के 25 वर्ष पूरे होने पर उसे रजत जयंती के रूप में मनाएं जाने की उत्तराखंड सरकार की घोषणा का स्वागत किया हैं। किंतु होने वाले आयोजनों से चिन्हित आंदोलनकारियों को दूर रखें जाने पर दुःख व्यक्त किया।साथ ही चेतावनी दी कि आंदोलनकारियों की नवम्बर प्रथम सप्ताह तक लंबित मांगों का सर्वमान्य हल ना निकले जाने पर 7 नवंबर से अस्थाई राजधानी देहरादून में आंदोलन शुरू कर देंगे।
चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति के केंद्रीय अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह रावत ने जारी एक बयान में कहा हैं कि उत्तराखंड सरकार राज्य गठन के 25 वर्ष पूरे होने के मौके पर राज्य की रजत जयंती के रूप में मनमाने जा रही हैं, जोकि एक सराहनीय कदम है। किंतु 9 नवम्बर को राज्य स्थापना दिवस के तहत 1 से 11 नंवम्बर तक रजत जयंती के तमाम कार्यक्रमों की घोषणा की गई हैं जिसमें चिन्हित राज्य आंदोलनकारियों को अभी तक दूर रखा गया हैं जोकि एक दुखद बात है। सरकार को आंदोलनकारियों को भी इन कार्यक्रमों में पूरा सम्मान देना चाहिए। कहा कि उत्तराखंड राज्य गठन बड़ी कुर्बानियों,
घोर उत्पीड़न,युवाओं मातृशक्ति और प्रबुद्ध नागरिकों के लंबे संघर्ष के बाद हुआ हैं।परंतु खेद का विषय है कि,राज्य गठन के 25 वर्ष बीत जाने के उपरांत आज भी उत्तराखंडवासी एवं राज्य निर्माण सेनानी, मूलभूत सुविधाएं, मूल अधिकारों, राज्य की सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए संघर्षरत हैं, जोकि दुखदाई हैं। कहा कि राज्य निर्माण सेनानियों और उनके आश्रित, सरकारों, राजनेताओं और सरकारी तंत्र की बेरुखी के कारण- अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं, सरकारों द्वारा बार-बार झूठे आश्वासन देते आ रही हैं, किंतु राज्य निर्माण सेनानियों के सम्मान में कोई बड़ा कदम अब तक नही उठाया जानी उनकी उपेक्षा को ही प्रदर्शित कर रहा है।कहा कि चिन्हित आंदोलनकारियों को राज्य निर्माण सेनानी का संवैधानिक दर्जा देने, आंदोलनकारियों को सम्मानजनक पेंशन दिए जाने,आंदोलनकारियों एवं उनके आश्रितों को 10 प्रतिशत क्षितिज आरक्षण को लटकाए रखना, राज्य निर्माण सेनानियों के एक आश्रित को सीधे समूह ग एवं घ में नियुक्ति देने , छूटे आंदोलनकारियों का चिन्हिकरण किए जाने सहित तमाम अन्य मांगों को सरकार जानबूझकर लटका रही हैं। बताया कि 12 अक्टूबर को कुमाऊं के बागेश्वर जिले में समिति के आयोजित 27 वें राज्यस्तरीय सम्मेलन में आंदोलनकारियों की तमाम समस्याओं पर चर्चा कर राज्य आंदोलनकारी सम्मान परिषद के उपाध्यक्ष सुभाष बड़थ्वाल के माध्यम से मांग पत्रों को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भिजवाएं गए, किंतु आज दिनांक तक एक भी समस्या के निराकरण के लिए उचित कार्यवाही का आंदोलनकारियों को संदेश तक नही मिला है, जिससे रजत जयंती वर्ष के मौके पर आंदोलनकारी अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। अध्यक्ष रावत ने बताया कि समिति ने पहले ही निर्णय लिया है कि नवंबर पहले सप्ताह तक मांगों पर उचित निर्णय ना लेने पर 7 नवंबर से समिति सरकार के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंक देंगी जिसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।
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चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति के अध्यक्ष रावत ने 7 नवंबर से आंदोलन की रणनीति बताते हुए कहा कि राज्य के सभी जिलों के अलावा दिल्ली प्रदेश के जिलों से चिन्हित आंदोलनकारी कम-से-कम 10 की संख्या में बैनरों, अपने परिचय पत्रों की तख्तियों के साथ देहरादून पहुंचेंगे, जहां पर सभी 10 बजें उत्तराखंड राज्य अतिथि गृह एनेक्सी निकट राज भवन में एकत्रित होंगे और अपने मांगों के संबंध में उत्तराखंड सरकार के सामने हुंकार भरेंगे।












