प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। हेलंग -मारवाडी वाईपास के लिए वन भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू होने से एक बार फिर वाईपास का मामला गरमाने के आसार बढ गए है।
वन विभाग ने हेलंग-मारवाडी वाई पास के सर्वेक्षण का कार्य पूरा किया। अब पेडो के छपान की कार्यवाही शीध्र शुरू की जाऐगी।
सीमांत धार्मिक एवं पर्यटन नगरी जोशीमठ के अस्तित्व से जुडा हेलंग-मारवाडी वाईपास का मामला सभी राजनैतिक दलो की गले की फाॅस बनने जा रहा है। निकाय चुनाव मे राष्ट्रीय दलो के साथ ही निर्दलीयों ने भी हेलंग-मारवाडी वाईपास को अपने घोषणा पत्र मे प्रमुख स्थान दिया। अब चुनाव तो निपट गए। लेकिन वाईपास का मामला जस का तस है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार हेलंग-मारवाडी वाईपास को लेकर भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा सैद्धातिंक स्वीकृति दिए जाने के बाद वन महकमे ने हेलंग से मारवाडी तक लगभग पाॅच किमी0 के क्षेत्र का सर्वेक्षण कार्य पूरा कर लिया है। अब सडक चैडीकरण मे आने वाले पेडो का छपान किया जाना शेष है।
नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के वन क्षेत्राधिकारी धीरेश विष्ट के अनुसार पर्यावरण मंत्रालय से हेलंग से मारवाडी तक के मार्ग की भी सैद्धातिंक स्वीकृति मिलने के बाद विभाग द्वारा सर्वेक्षण का कार्य पूरा कर लिया गया है इस मार्ग पर आने वाली अधिकांश भूमि रिजर्व फारेस्ट के तहत है। अभी पेडो का छपान किया जाना शेष है।
दरसअल हेलंग-मारवाडी वाईपास का मसला वर्ष 1990-91 से ही लंबित चल रहा है तब बीआरओ ने इस मार्ग का निर्माण लगभग पूरा कर ही लिया था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश प्राप्त कर लेने के बाद मार्ग पर आगे के निर्माण कार्य पर पूरी तरह से रोक लग चुकी थी। उसके बाद भी गाहे-बगाहे बीआरओ इस सडक निर्माण की पैरवी करता रहा है। अब जबकि चार धाम परियोजना का निर्माण युद्ध स्तर पर जारी हैं, तो हेलंग-मारवाडी वाईपास का मामला भी इससे अछूता नही रह सका।
जहाॅ एक ओर केंन्द्रीय सडक परिवहन मंत्रालय हेलंग-मारवाडी वाईपास मार्ग निर्माण पर अडिग है तो वही निकाय चुनाव मे भी प्रत्याशियो ने हेलंग-मारवाडी वाईपास का विरोध करते हुए हर हाल मे आल वैदर रोड को जोशीमठ के नृसिंह मंदिर होते हुए ही निर्मित कराने की कसमे खाई है।
हाॅलाकि सत्ताधारी दल भाजपा ने भी वाईपास का विरोध करते हुए पौराणिक पंरपराओ के अनुरूप आद्य जगदगुरू शंकराचार्य की तपोभूमि ज्योर्तिमठ-जोशीमठ से ही आल वैदर रोड के निर्माण की पैरवी सीएम से लेकर केन्द्रीय संडक परिवहन मंत्रालय तक की है। सूबे के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज व बदरीनाथ के विधायक महेन्द्र भटट के नेतृत्व मे एक प्रतिनिधिमंडल ने केन्द्रीय सडक परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से भेंट कर वाईपास को लेकर अपना विरोध मे दर्ज कराया है। और धार्मिक पक्ष रखते हुए स्पष्ट भी किया कि शास्त्रो के अनुसार भगवान बदरीविशाल के दर्शनो से पूर्व ज्योर्तिमठ-जोशीमठ मे आद्य जगदगुरू शंकराचार्य के आराध्य देव भगवान नृंिसंह के दर्शनो की मान्य धार्मिक परंपरा है। यदि वाईपास बनता है तो हजारो वर्षो से चली आ रही धार्मिक पंरपरा के साथ भी कुठाराघात होगा ।
लेकिन इतने सबकुछ के बाद भी राष्ट्रीय राज मार्ग प्राधिकारीण-एनएच द्वारा वन विभाग से हेलंग-मारवाडी वाईपास का सर्वेक्षण कराए जाने से कतई नही लगता कि जोशीमठ का अस्तित्व तथा पौराणिक धार्मिक पंरपराए जीवित रह सकेगी।
अब देखना होगा कि राष्ट्रीय राज मार्ग प्राधिकरण के अडियल रवैये तथा निकाय चुनावो मे प्रत्याशियो द्वारा किसी भी दशा मे वाईपास का निर्माण नही होने देने की प्रतिबद्धता के बीच जोशीमठ के अस्तित्व को कैसे बचाया जा सकेगा! इस पर धार्मिक एवं पर्यटन नगरी के निवासियों की नजरे रहेगी।