फोटो- सूर्य ग्रहण के मोक्ष के बाद भगवान बदरीविशाल के कपाट खुले ।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। सूर्य ग्रहण की समाप्ति के बाद देवालयों के कपाट खुले। श्री बदरीनाथ धाम मे अपरान्ह साढे तीन बजे भगवान नारायण का महाभिषेक पूजन हुआ। पॅच बदरी व पंच केदारो के भी कपाट खुले ।
सूर्य ग्रहण के कारण बीती रात्रि को दस बजकर 24मिनट पर भगवान बदरीविशाल के मंदिर के साथ सभी मंदिरों के कपाट बंद हो गए थे। जो आज ग्रहण के मोक्षकाल के बाद 1बजकर 48 मिनट के बाद पुन खोले गए। मंदिर के कपाट खुलने के उपरंात पूरे मंदिर का पंचतत्व व गौमूत्र से शुद्धिकरण व पूजन/हवन किया गया। और फिर प्रतिदिन प्रातकालीन होने वाली भगवान की महाभिषेक पूजा ।
श्री बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी आचार्य भुवन चंद्र उनियाल के अनुसार दोपहर एक बजकर 55मिनट पर भगवान के मंदिर को खोला गया। उसके उपरांत संपूर्ण मंदिर परिसर की सफाई व हवन आदि के बाद महाभिषेक पूजा संपादित की गई। महाभिषेक पूजा के बाद भगवान का राज भोग व बाल भोग लगाया गया। और उसके बाद सायंकालीन पूजाए की गई। क्योकि कोविड-19 की गाइउ लाइन के अनसार सायं सात बजे मंदिर को बंद किया जाना है इसलिए सभी प्रकियाओं को सात बजे से पूर्व पूरा कर लिया गया।
भगवान बदरीनारायण के मंदिर के साथ ही योग बदरी, ध्यान बदरी, भविष्य बदरी, बृद्धबदरी,,नृसिंह मंदिद, नवदुर्गा व वासुदेव मंदिर , व कल्पनाथ मंदिर के कपाट भी खोले गए सभी मंदिरो मे ग्रहण के मोक्षकाल के बाद विशेष पूजा-अर्चना हुई और भक्तो के दर्शनो का क्रम शुरू हुआ ।
भगवान बदरीविशाल के कपाट खुलने के बाद स्थाीनय बामडी गाॅव व माणा गाॅव के श्रद्धालुओ व बदरीनाथ मे मौजूद कर्मचारियों ने भगवान श्री हरिनारायण के दर्शनो का पुण्य लाभ अर्जित किया। नृसिंह मंदिर जोशीमठ मे ग्रहण के मोक्ष के बाद स्थानीय श्रद्धालु दर्शनो के लिए पंहुचे।