रिपोर्ट. सत्यपाल नेगी/रुद्रप्रयाग
’मोदी आप तो लाओ शक्त तबादला कानून’………
केंद्र व राज्य सरकारे हिम्मत नही दिखा पा रही एक मजबूत और शसक्त तबादला एक्ट लाने की।आखिर इसके पीछे का खेल यातो अधिकारी फेल है या नेता कमीशन के खेल में मस्त हैं।
जब एक कर्मचारी 20 सालो से इंतजार करता रहा कि सरकार का तबादला एक्ट आयेगा ओर हमे दुर्गम से सुगम में जाने का भी मौका मिलेगा वो भी बिना कमीशन लेन.देन के। मगर 20 सालों से केवल राह देखते कर्मचारी का आखिर दर्द छलक आया……
’आखिर सेनाओ की तरह पूरे देश के कर्मचारियों के लिए भी लागू हो 3 से 5 साल मे अनिवार्य तबादला कानून’
’तेल लेने गया आपका तबादला एक्ट, नहीं चाहिए आपका तबादला एक्ट।’
जो काम आपका तबादला एक्ट पिछले 4 सालों से नहीं कर पाया, वह इस बार के चुनाव आयोग ने एक झटके में कर दिखाया।
पिछले 4 सालों में तबादला एक्ट से इतने कर्मचारी. अधिकारियों के ट्रांसफर नहीं हुएए जितने कि इस समय चुनाव आयोग के एक डंडे ने कर दिखाया।
अब तो केवल एक ही कामना है भगवान से कि हर साल ट्रांसफर हो न होएबस इसी ईमानदारी से चुनाव आयोग के डंडे से ही हर 5 साल मे ट्रांसफर हो।
’पहली बार सब लोगो के फ्री मे बिना पैसे दिये ट्रांसफर हो रहे हैं’ दुर्गम के कर्मचारी जहाँ खुश हैं, वहीं उनको जान बूझ कर लटकाने वाले
’देहरादून मे विभागों के मुख्यालयों मे बैठे ट्रांसफर उद्योग के बड़े बड़े मुखियाओं के चेहरे की हवा उड़ी हुई है। आखिर हो भी क्यों न, ट्रांसफर के नाम पर कर्मचारियों को तंग कर काली कमाई का एक उद्योग चलाने वालो को इस बार फ्री मे जो ट्रांसफर करने पड़ रहे हैं।
सरकार से भी एक आम कर्मचारी केवल एक प्राथर्ना करना चाहता है कि अपना हर साल का ट्रांसफर एक्ट खतम ही कर दो और हर साल ट्रांसफर मत करो। पर हर पांच साल मे चुनाव के समय सभी कर्मचारियों के ट्रांसफर कर दो बस।इस समय जो चुनाव आयोग के डंडे से कर रहे होएवही काम अपनी इच्छा से करते तो कर्मचारियों के दिल मे भी रहते।