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अनावश्यक विवाद पैदा कर धाम की गरिमा को ठेस न पहुंचाएं

03/06/21
in उत्तराखंड, चमोली
Reading Time: 1min read
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फोटो-डिमरी धार्मिक केन्द्रीय पंचायत के वर्तमान पदाधिकारीगण।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। डिमरी धार्मिक केन्द्रीय पंचायत के अध्यक्ष राकेश कुमार डिमरी’’’राकुडि’’ने कहा कि सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन के अनुसार जो पंचायत पंजीकृत है, उनके पदाधिकारियों से इतर कुछ स्वयंभू पदाधिकारियों से वार्ता व संपर्क कर देवस्थानम बोर्ड विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम की गरिमा को ठेस पंहुचाने से बचे।
श्री बदरीनाथ डिमरी धार्मिक केन्द्रीय पंचायत-रजि0 के अध्यक्ष राकेश कुमार डिमरी व कार्यकारी अध्यक्ष विनेाद डिमरी-श्रीराम द्वारा जारी लिखित बयान मे स्पष्ट किया गया है कि डिमरी धार्मिक केन्द्रीय पंचायत बकायदा सोसायटीज मंे रजिस्टर्ड है और वर्तमान कार्यकारणी का कार्यकाल वर्ष 2023 तक है। लेकिन डिमरी समाज के ही कुछ लोग स्वयं को पदाधिकारी बताकर देवस्थानम बोर्ड को बरगला रहे हंै और अर्नगल बयानबाजी कर डिमरी समाज व श्री बदरीनाथ धाम की गरिमा को भी धूमिल करने का कुत्सित प्रयास कर रहे हंै, जो सर्वथा अनुचित है।
दरसअल ताजा विवाद पूजा समय को लेकर उत्पन्न हुआ, कोरोना की दूसरी लहर में ही श्री बदरीनाथ धाम के कपाट भी खुलने थे और तब देवस्थानम बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी/आयुक्त गढवाल द्वारा जारी की गई एसओपी मंे स्पष्ट दिशा निर्देश दिए गए थे कि मंदिर प्रातः 7 बजे खुलेंगे और सायं 7 बजे बन्द हांेगे। 18 मई को कपाट खुले और एसओपी के अनुसार पूजाएं प्रारम्भ हुई। इस बीच तीर्थ पुरोहित समाज के सदस्यांे द्वारा पूजा समय पर आपत्ति जताते हुए इसे मान्य धार्मिक परंपराओं के विपरीत बताया और पूजा समय पूर्ववत साढे चार बजे करने की पुरजोर मांग की। जिस पर पुर्नविचार करने व शासन की अनुमति लेने के बाद देवस्थानम बोर्ड ने पूजाएं प्रात साढे चार बजे से करना प्रांरभ्भ किया।
इस बीच देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह का बयान सामने आया, जिसमें उन्होंने कहा कि प्रातः सात बजे पूजा शुरू करने पर किसी भी प्रकार की धार्मिक पंरपरा का उल्लघंन नहीं हुआ है। क्योंकि वर्ष 1970 मंे बदरीनाथ एवं केदारनाथ मंन्दिर समिति के प्रस्ताव जिसे उत्तर प्रदेश सरकार ने भी सहर्ष स्वीकृति प्रदान की थी, उस प्रस्ताव के अनुसार मुख्य पुजारी श्री रावल, नायब रावल व धर्माधिकारी को कार्यों का विभाजन व पूजा समय का स्पष्ट उल्लेख किया गया है।
तत्कालीन मुख्य कार्याधिकारी कृष्ण कुमार गोबिल द्वारा जारी ओदश के अनुसार श्री बदरीनाथ मंदिर में माह मई से सितम्बर तक प्रातकालीन पूजाएं साढे सात बजे से शुरू होगी और सांय कालीन पूजाएं रात्रि नौ बजे तक हो सकेगी। इसी प्रकार माह अक्टूबर व नवम्ंबर मे प्रातकालीन पूजाएं प्रात आठ बजे से शुरू होगी सांय कालीन पूजाएं साढे छ बजे से शुरू होगी। जिसका अनुपालन तत्तसमय मे मुख्य पुजारी रहे श्री रावल पी0केशवन नंम्बूदरी, नायब रावल सी0गनपति व धर्माधिकारी आचार्य देवी प्रसाद बहुगुणा ने भी किया था। और निर्वतमान धर्माधिकारी आचार्य जगदम्बा प्रसाद सती जो उस समय वेदपाठी के पद पर आसीन थे ने भी इसकी पूष्टि की है।
इस पर डिमरी धार्मिक केन्द्रीय पंचायत का कहना है कि यदि 1970 मे पूजा का समय प्रात साढे सात बजे निर्धारित था तो वर्ष 1970से वर्ष 2020 तक भगवान बदरीविशाल के पूजाएं प्रात साढे चार बजे से क्यों की गई! और यदि बर्तमान एसओपी के अनुसार साढे सात बजे पूजाएं शास्त्र सम्मत थी तो फिर पुन साढे चार बजे क्येा किया गया!
डिमरी धार्मिक केन्द्रीय पंचायत के अध्यक्ष राकेश कुमार डिमरी ने इस पूरे घटनाक्रम पर धर्माधिकारी की चुप्पी पर चिन्ता जताते हुए कहा कि भू-वैकुठं धाम श्री बदरीनाथ की गरिमा को लेकर जो विवाद खडा किया गया है वो बेहद शर्मनाक है, और सरकार को इस घटनाक्रम का तुरन्त संज्ञान लेना चाहिए।
इधर चार धाम तीर्थ पुरोहित हक-हकूकधारी महापचांयत के महामंत्री हरीश डिमरी का कहना है कि देवस्थानम बोर्ड द्वारा पंजीकृत संस्था के इतर स्वयंभू पदाधिकारियों को प्रश्रय दिया जाना विधि सम्मत नही है, उनका कहना था कि श्री बदरीनाथ धाम की पूजा व्यवस्थाएं धार्मिक, पौराणिक मान्यताओं व पारंपरिक रीति-रिवाज से ही संचालित होती रही है, इसमे किसी प्रकार की छेड-छाड बर्दास्त नहीं होगी।

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