ज्योतिर्मठ,16दिसंबर।
भगवान बद्रीविशाल की शीतकालीन पूजा स्थली को लेकर पर्यटन विकास परिषद तथा सूचना एवं लोक संपर्क विभाग उत्तराखंड द्वारा जारी किए गए विज्ञापनों मे शीतकालीन पूजा स्थली नरसिंह मंदिर ज्योतिर्मठ के स्थान पर योग बद्री पांण्डूकेश्वर दर्शाया गया है।
इस भ्रामक विज्ञापन को लेकर ज्योतिर्मठ -श्री बद्रीनाथ धाम से जुड़े तीर्थ पुरोहितों, हकहकूक धारी समाज व चार धाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत ने गहरी नाराजगी ब्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है।
चारधाम तीर्थ पुरोहित महा पंचायत के महा सचिव डॉ बृजेश सती, देव पुजाई समिति ज्योतिर्मठ के अध्यक्ष भगवती प्रसाद नम्बूरी, उपाध्यक्ष राजेश भट्ट, रेँकवाल पंचायत के अध्यक्ष अनूप सिंह पंवार,चारधाम हकहकूक धारी तीर्थ पुरोहित महा पंचायत समिति के महामंत्री हरीश डिमरी, ज्योतिषपीठ बद्रीकाश्रम के पीठ पुरोहित ऋषि प्रसाद सती, ब्रह्मकपाल तीर्थ पुरोहित पंचायत के केंद्रीय अध्यक्ष उमेश सती, मूल निवासी स्वाभिमान संगठन के सचिव समीर डिमरी, एवं ब्रह्मकपाल तीर्थ पुरोहित पंचायत बद्रीनाथ धाम के अध्यक्ष अमित सती द्वारा भेजे गए इस ज्ञापन मे कहा गया है कि आद्य जगद्गुरु शंकराचार्य के समय से ही भगवान बद्रीविशाल की शीतकालीन पूजा ज्योतिर्मठ के नरसिंह मंदिर मे अनवरत होती रही जो वर्तमान मे भी जारी है।
चारों धामों गंगोत्री, यमनोत्री, श्री केदारनाथ एवं श्री बद्रीनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल मुखीमठ, खुशीमठ, उखीमठ, व ज्योतिर्मठ पौराणिक काल से रहे हैं और शीतकालीन परंपराओं का निर्वहन इन्हीं गद्दी स्थलों पर होता है।
ज्ञापन मे कहा गया है कि भगवान बद्रीनाथ की शीतकालीन पूजा नरसिंह मंदिर ज्योतिर्मठ मे होती है इसका प्रमाणिक प्रमाण श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा वर्षो पूर्व स्थापित साइन बोर्ड आज भी विद्यमान है।
ज्ञापन मे यह भी कहा गया है कि प्राचीन समय से ही श्री बद्रीनाथ धाम के मुख्य पुजारी श्री रावल का शीतकालीन निवास कोठा भवन श्री नरसिंह मंदिर के समीप ही है जो प्राचीन शैली के कारण आज भी आकर्षण का केन्द्र है, इसके अलावा भगवान बद्रीविशाल के कपाट खुलने से पूर्व मुख्य पुजारी श्री रावल की मौजूदगी मे गरुड़ छाड़ मेला आयोजित होता है जिसका आशय यही है कि भगवान श्री हरि नारायण के वाहन गरुड़ जी भगवान नारायण की नर पूजा के लिए श्री बद्रीनाथ धाम ले जाने के लिए पंख फैलाये तैयार हैं।
ज्ञापन मे प्राचीन एवं पौराणिक धार्मिक परंपराओं से छेड़ छाड़ रोकने एवं जारी किए गए भ्रामक विज्ञापनों को बेबसाइट व समाचार पत्रों से हटवाने की मांग की गई है।