फोटो-हेमकुंड साहिब-लोकपाल व फूलों की घाटी के मुख्य पडाव घाॅघरिया में पसरा सन्नाटा।
प्रकाश कपरूवाण
पर्यटकों व श्रद्धालुओं से गुलजार रहने वाले हेमकुंड साहिब-लोकपाल व विश्व धरोहर फूलों की घाटी मुख्य पडाव घाॅधरियाॅ में इन दिनांे वीरानी छाई है। कोरोना महामारी ने लगातार दूसरे वर्ष भी पर्यटन व्यवसायियों को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। गोविन्दधाट से लेकर घाॅधरियाॅ तक का 14 किमी पैदल मार्ग जो घोडे-खच्चर, श्रद्धालुओं से पटा रहता था वहाॅ पूरी तरह सन्नाटा पसरा है।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बाद उत्तरखंण्ड मे प्रवेश को लेकर लगी रोक के कारण न केवल राज्य के चारों धामो ब्लकि पाॅचवे धाम के रूप मे विख्यात हेमकुण्ड साहिब-लोकपाल व विश्व धरोहर फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान के मुख्य पडाव घाॅघरिया में एकदम सन्नाटा पसरा है। सिखों के पवित्रधाम हेमकण्ड साहिब व हिन्दुओ के पवित्र तीर्थ लक्ष्मण मंन्दिर के कपाट 25 मई को खोले जाते रहे है। इसी के साथ प्रति वर्ष विश्व धरोहर फूलो की घाटी को भी 01 जून से पर्यटको के लिए खोल दिया जाता रहा है, जिसके कारण हेमकुंड साहिब-लोकपाल तथा विश्व धरोहर फूलों की घाटी के मुख्य पडाव घाॅधरिया श्रद्धालुआंे व पर्यटको की चहल-पहल रहती थी, और यह क्रम प्रतिवर्ष अक्टूबर महीने तक चलता था, लेकिन कोेरोना महामारी के कारण लगातार दूसरे वर्ष भी इस घाटी में वीरानी छाई है।
हेमकुंड साहिब के कपाट यूॅ तो पूर्व वर्षाें में 1 जून को खोले जाने व 10 अक्टूबर को बंन्द किए जाने की परंपरा रही है, लेकिन श्रद्धालुओं की बढती संख्या व स्थानीयों के स्वरोजगार के अवसर बढाने की मंशा से हेमकुंड साहिब मैनेजमेन्ट ट्रस्ट ने वर्ष 2012 से हेमकुडं साहिब के कपाट 25 मई से खोलना शुरू किया, जो तब से निरन्तर इसी तिथि को खुलते रहे है, और 10 अक्टूबर को बन्द होते है। गत वर्ष कोरोना काल के बाद 4 सितम्बर को हेमकुंड साहिब के कपाट खोले गए थे और 10 अक्टूबर का बन्द हुए थे, इस अल्प समय व पूरे विश्व मे फैली कोरोना महामारी के वावजूद 8हजार पाॅच सौ श्रद्धालु हेमकुंड साहिब पंहुचे थे।
हेमकुड साहिब मैनेजमेन्ट ट्र्र्रस्ट को भी यात्रा को लेकर सरकार की गाइड लाइन की प्रतीक्षा है, ट्रस्ट के मुख्य प्रबन्धक सेवा सिंह कहते है कि चारों धामो मे यात्रा शुरू होने पर ही हेमकुंड साहिब की यात्रा शुरू कराएंगे ताकि हेमकुंड साहिब पंहचुने वाले श्रद्धालु भगवान बदरीविशाल के दर्शनो को भी पंहुचे।
इसी प्रकार विश्व धरोहर फूलों की घाटी भी प्रतिवर्ष 01 जून को पर्यटको के लिए खोल दी जाती थी, लेकिन कोविड-19 के कारण विगत वर्ष 15अगस्त को घाटी पर्यटको के लिए खोली गई,इस अविधि में मात्र 945 पर्यटक की घाटी का दीदार कर सके। जबकि कोविड काल से पूर्व वर्ष 2019 मे 17 हजार 450 पर्यटको ने फूलों की घाटी के सैर की थी। हेमकुंड साहित-लोकपाल व फूलों की घाटी के लिए पंहुचने वाले श्रद्धालुओं व पर्यटको का एक मात्र आवासीय पडाव घाॅधरिया है और घाॅघरिया मे पर्यटन ब्यवसाय के सहारे जीवीकोपार्जन करने वाले ब्चवसायियों की स्थिति को समझा जा सकता है।
पर्यटन ब्यवसायी दिनेश झिक्वांण, विजेन्द्र चैाहान,, संजय चैाहान, व प्रताप चैाहान, रघुबीर सिंह, व जगदीश चाौहान,आदि कहते है कि वर्ष 2013की भीषण आपदा से अब उभर रहे थे कि कोरोना महामारी ने विगत दो वर्ष से ब्यवसाय चैपट कर रख दिया है,। गोविन्दघाट से घाॅधरिया तक के सैकडो छोटे-बडे ब्यवसायी चार महीनो के सीजन से ही वर्षभर की आजीविका संचालित करते थे, लेकिन कोरोना महामारी के कारण लगातार दूसरे वर्ष भी निराश ही होना पड रहा है, वावजूद इसके भ्यॅूडार वैली के ग्रामाीणों को उम्मीद है कि कोरोना की रफ्तार थमेगी और पसरे सन्नाटे को तोडते हुए रौनक अवश्य लौटेगी।