देश की राजधानी दिल्ली में इन दिनों चुनाव का माहौल चरम पर है। दिल्ली नगर निगम चुनाव के लिए हर दल अपने-अपने वादों से वोटर्स को लुभाने की कोशिश में लगा है। दिल्ली की गलियों-मुहल्लों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित तमाम दूसरी पार्टियों के स्टरा प्रचारकों के नारों और पोस्टरों से दीवरें पटी पड़ी है, इस सब के बीच दिल्ली में रहने वाले अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों को अपने पक्ष में करने की होड भी जारी है। इसके लिए तमाम दूसरे राज्यों से नेताओं को बुलाया गया है। उत्तर प्रदेश,उत्तराखंड और बिहार से बड़े-बड़े स्टरा प्रचारक दिल्ली नगर निगम में जीत के लिए अपने क्षेत्र के लोगों से जनसंपर्क कर उन्हें अपनी पार्टी के पक्ष में वोट करने की अपील कर रहे है।
दिल्ली में उत्तराखंड के वोटर्स बात करें तो,दिल्ली में एक करोड़ 47 लाख वोटर्स में से 15 से 20 लाख वोटर्स उत्तराखंड के हैं जो दिल्ली एमसीडी में दूसरी बड़ी कम्युनिटी हैं। यह भी एक बड़ा कारण है कि दिल्ली नगर निगम चुनाव में बीजेपी ने उत्तराखंड मूल के 10 कैंडीडेट को टिकट दिया हैं और इन उत्तराखंडी वोटर्स को पार्टी के पक्ष में करने और एकजुट करने के लिए कई बड़े नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
इन्हीं लोगों में एक नाम शामिल है विनोद बछेती का,जिनके पास इस समय भाजपा के मयूर विहार जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी है। विनोद बछेती पहाड़ से है,पहाड़ के जीवन परिवेश और पहाड़ के संघर्षों को उन्होंने बहुत करीब से देखा है। उन्हें दिल्ली में उत्तराखंड समाजा का बड़ा चेहरा माना जाता है। दिल्ली के पटल पर श्री बछेती सामाजिक,सांस्कृतिक और लोक हित में हमेशा प्रथम पंक्ति में खड़ा व्यक्तित्व है।
उत्तराखंड की बेटी किरण नेगी के कातिलों को सजा दिलाने के लिए रिव्यू पेटीशन का मामला हो,पटेल नगर में उत्तराखंड के छात्र मनोज नेगी की हत्या का मामला हो या फिर उत्तराखंड मूल निवासियों के लिए किसी भी मदद की आवश्यकता हो डॉ.विनोद बछेती हमेशा से तटस्थ होते हुए इन लोगों के बीच खडे रहते है।
सामाजिक एवं सांस्कृति पटल पर भी विनोद बछेती की भूमिका अग्रणनीय लोगों में की जाती है है। गढ़वाली-कुमाऊंनी और जौनसारी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए,दिल्ली-एनसीआर में रह रहे उत्तराखंड मूल के बच्चों को गढ़वाली-कुमाऊंनी और जौनसारी भाषा सीखाने के लिए दिल्ली मयूर विहार भाजपा जिलाध्यक्ष डा.विनोद बछेती पिछले कई सालों से प्रयासरत है।
वर्ष 2016 में डॉ.विनोद बछेती के मार्गदर्शन में जब उत्तराखंड एकता मंच के तत्वावधान में दिल्ली के रामलीला मैदान में उत्तराखंड के जनमानस ने एकजुट एक मुठ होकर अपने पहाड़ होने की धमक दिखाई थी,तो देश की राजधानी दिल्ली सहित पूरे देश में उत्तराखंड की इस एकजुटता का संदेश गया था। जिसका श्रेय निश्चित तौर डॉ.विनोद बछेती और उनकी टीम का जाता है। यहि वजह भी हैं देश की भारतीय संसद और राज्य विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व के मामले में भारत की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है और प्राथमिक सदस्यता के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा दल भारतीय जनता पार्टी ने डॉ.बछेती को दिल्ली मयूर विहार भाजपा जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी हैं,जिसे बखूबी निभाते हुए श्री बछेती ने अब दिल्ली नगर निगम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लिए एक बड़ी जीत की नींव रख दी है। इस लिए उन्हें मयूर विहार जिले के क्षेत्र के मतदाताओं के अपील भी की हैं किः-
मयूर विहार जिला क्षेत्र के समस्त सम्मानित मतदाता बंधुओं,बुजुर्गों और माताओं,बहनों से मेरी अपील हैं कि इस बार झूठ,फरेब और विज्ञापन की राजनीति के खिलाफ वोट दें,अपना बहुमूल्य वोट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व वाली पार्टी “भाजपा” को ही दें हमारी पहचान,कमल निशान।
31 मार्च 1971 को पौडी गढ़वाल के सितोनस्यू पट्टी के कांडा गांव में जन्में विनोद बच्छेती आज देश के राजनैतिक,सामाजिक एवं सांस्कृति पटल पर पहाड़ का वह नाम है। जिसने एक के बाद एक संघर्षों की सीढ़ि चढ़ते हुए। उत्तराखंड के नाम को नई ऊंचाई प्रदान की है।
श्री बछेती उत्तराखंड के पहले ऐसे व्यक्ति हैं। जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में,ख़ास तौर पर नयी पीढ़ी को स्वास्थ्य-शिक्षा के क्षेत्र में विश्व के शैक्षिक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया हैं। डॉ.बच्छेती आज देश में डीपीएमआई (दिल्ली पैरामेडिकल मैनेमेंट इस्टियूट) नाम कई पैरा मेडिकल संस्थान चला रहे है। जिनसे शिक्षित होकर देश ही नहीं बल्कि विदेशों के छात्र भी कई बड़े अस्पतालों में टैक्निशियन साहयक के तौर पर काम कर रहे हैं.जिनमें दिल्ली का एम्स,वेदांता,एस्कॉर्ट और फोर्टिज एवं मैक्स अस्पताल प्रमुख है।
आज डॉ.विनोद बछेती दिल्ली मयूर विहार भाजपा जिलाध्यक्ष के तौर रात-दिन पार्टी कार्यकर्ताओं और तमाम समाजिक संगठनों के साथ मिलकर दिल्ली नगर निगम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को बड़ी जीत दिलाने के लिए जुटे है। उम्मीद की जानी चाहिए की केन्द्रीय नेतृत्व ने उन पर जो भरोसा जताया है,उस पर वह खरे उतरेंगे।
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