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उत्तराखंड में भाजपा के सबसे लंबे कार्यकाल वाले सीएम

04/07/25
in उत्तराखंड, देहरादून
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डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
जब युवा, ऊर्जावान और दूरदर्शी नेता ने उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, तब यह केवल एक राजनीतिक दायित्व का हस्तांतरण नहीं था, बल्कि एक नए युग की शुरुआत थी. तब बहुतों ने इसे एक प्रयोग के रूप में देखा, लेकिन चार वर्षों के भीतर ही यह प्रयोग उत्तराखण्ड की राजनीति में स्थायित्व, सेवा और संकल्प का सबसे सशक्त उदाहरण बन गया. पुष्कर धामी अब केवल भाजपा के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले मुख्यमंत्री नहीं हैं, बल्कि वे उत्तराखण्ड के राजनीतिक इतिहास के दूसरे सबसे दीर्घकालीन मुख्यमंत्री के रूप में भी अपनी अमिट छवि स्थापित कर चुके हैं.यह यात्रा मात्र समय की नहीं रही, यह उस गुणवत्ता की यात्रा रही है, जो शासन, प्रशासन और जनकल्याण की कसौटियों पर खरी उतरती है. यह सुचिता, संकल्प और सतत सेवा की वह निरंतर धारा है, जिसने उत्तराखण्ड को विकास की नई परिभाषा दी है. बीते चार वर्षों में प्रदेश की पहचान एक स्थिर और मजबूत नेतृत्व वाले राज्य के रूप में बनी है, जहाँ हर नीति, हर निर्णय और हर पहल में जनता का हित सर्वोपरि रहा.इन चार वर्षों को यदि ठोस मापदंड पर परखा जाए, तो वह है ‘सुचिता के दस स्तंभ’. यही वे आधार हैं, जिन पर आज का उत्तराखण्ड मजबूती से खड़ा है. ये स्तंभ केवल शासन की उपलब्धियां नहीं, बल्कि धामी के नेतृत्व की वैचारिक स्पष्टता, प्रशासनिक ईमानदारी और भविष्य की प्रतिबद्ध दृष्टि के जीवंत प्रतीक हैं. आज जब उत्तराखण्ड अपने स्वर्णिम भविष्य की ओर तेज़ी से अग्रसर है, तब यह कहना अनुचित नहीं होगा कि यह राज्य अब एक नई चेतना, नए विश्वास और नए युग की ओर आगे बढ़ चुका है जिसे गढ़ा है एक युवा नेतृत्व ने, अपने पूरे समर्पण और स्पष्ट दृष्टिकोण के साथ. सरकार ने उत्तराखण्ड की वित्तीय सेहत को न केवल संजीवनी दी, बल्कि उसे राष्ट्रीय मानचित्र पर अग्रणी बना दिया. छोटे राज्यों की श्रेणी में राज्य ने वित्तीय प्रदर्शन में गोवा के बाद द्वितीय स्थान प्राप्त किया, जो मुख्यमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व का जीवंत प्रमाण है. राज्य का वार्षिक बजट ₹1 लाख करोड़ के पार पहुंच गया है. ₹3.56 लाख करोड़ के निवेश समझौते हुए, जिनमें से ₹1 लाख करोड़ के प्रस्ताव धरातल पर आ चुके हैं. राज्य सरकार ने औद्योगिक विकास को नया आयाम देने के लिए हरिद्वार, पंतनगर, सितारगंज और कोटद्वार में औद्योगिक क्षेत्रों का विस्तार किया है, जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार और प्रदेश को राजस्व में बड़ी वृद्धि मिल रही है.काशीपुर में एरोमा पार्क और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर की स्थापना और खुरपिया फार्म को स्मार्ट औद्योगिक शहर के रूप में विकसित करना, उत्तराखण्ड को हाई-वैल्यू इंडस्ट्रीज का नया गढ़ बना रहा है. सरकार ने 50 MSME क्लस्टर के साथ-साथ नई MSME, लॉजिस्टिक्स और स्टार्टअप नीतियों को लागू कर युवा उद्यमियों और स्वरोजगार की दिशा में ठोस रास्ते खोले हैं. यह औद्योगिक परिवर्तन केवल आर्थिक विकास नहीं बल्कि एक आत्मनिर्भर और नवाचार आधारित उत्तराखण्ड की मजबूत नींव है.धामी सरकार ने उत्तराखण्ड की वित्तीय सेहत को न केवल संजीवनी दी, बल्कि उसे राष्ट्रीय मानचित्र पर अग्रणी बना दिया. छोटे राज्यों की श्रेणी में राज्य ने वित्तीय प्रदर्शन में गोवा के बाद द्वितीय स्थान प्राप्त किया, जो मुख्यमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व का जीवंत प्रमाण है. राज्य का वार्षिक बजट ₹1 लाख करोड़ के पार पहुंच गया है. ₹3.56 लाख करोड़ के निवेश समझौते हुए, जिनमें से ₹1 लाख करोड़ के प्रस्ताव धरातल पर आ चुके हैं. राज्य सरकार ने औद्योगिक विकास को नया आयाम देने के लिए हरिद्वार, पंतनगर, सितारगंज और कोटद्वार में औद्योगिक क्षेत्रों का विस्तार किया है, जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार और प्रदेश को राजस्व में बड़ी वृद्धि मिल रही है.काशीपुर में एरोमा पार्क और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर की स्थापना और खुरपिया फार्म को स्मार्ट औद्योगिक शहर के रूप में विकसित करना, उत्तराखण्ड को हाई-वैल्यू इंडस्ट्रीज का नया गढ़ बना रहा है. सरकार ने 50 MSME क्लस्टर के साथ-साथ नई MSME, लॉजिस्टिक्स और स्टार्टअप नीतियों को लागू कर युवा उद्यमियों और स्वरोजगार की दिशा में ठोस रास्ते खोले हैं. यह औद्योगिक परिवर्तन केवल आर्थिक विकास नहीं बल्कि एक आत्मनिर्भर और नवाचार आधारित उत्तराखण्ड की मजबूत नींव है. उत्तराखण्ड के विकास की जो सुचिता आधारित रोडमैप तैयार किया है, वह केवल वर्तमान नहीं, बल्कि आगामी दशकों की बुनियाद है. नीति आयोग द्वारा जारी (सतत विकास लक्ष्य) इंडिया इंडेक्स 2023-24 में उत्तराखण्ड ने 79 अंकों के साथ देशभर में पहला स्थान प्राप्त कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है. राज्य के दोनों प्रमुख तीर्थ श्री केदारनाथ और श्री बदरीनाथ धाम का पुनर्निर्माण ऐतिहासिक गति से आगे बढ़ रहा है. श्री केदारनाथ धाम में ₹750 करोड़ से पुनर्निर्माण कार्य प्रगति पर है, वहीं श्री बदरीनाथ धाम के लिए ₹550 करोड़ की महानिर्माण योजना पर कार्य प्रारंभ हो चुका है.इसके साथ ही कुमाऊं क्षेत्र के धार्मिक स्थलों के पुनरुद्धार के लिए मानसखण्ड मंदिर माला मिशन चलाया जा रहा है. श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए ₹2430 करोड़ की लागत से गौरीकुंड–केदारनाथ और गोविंदघाट–हेमकुण्ट साहिब रोपवे का निर्माण भी प्रारंभ हो गया है, जिससे दुर्गम यात्राएं सहज और सुरक्षित होंगी. उत्तराखण्ड के विकास की जो सुचिता आधारित रोडमैप तैयार किया है, वह केवल वर्तमान नहीं, बल्कि आगामी दशकों की बुनियाद है. नीति आयोग द्वारा जारी SDG (सतत विकास लक्ष्य) इंडिया इंडेक्स 2023-24 में उत्तराखण्ड ने 79 अंकों के साथ देशभर में पहला स्थान प्राप्त कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है. राज्य के दोनों प्रमुख तीर्थ श्री केदारनाथ और श्री बदरीनाथ धाम का पुनर्निर्माण ऐतिहासिक गति से आगे बढ़ रहा है. श्री केदारनाथ धाम में ₹750 करोड़ से पुनर्निर्माण कार्य प्रगति पर है, वहीं श्री बदरीनाथ धाम के लिए ₹550 करोड़ की महानिर्माण योजना पर कार्य प्रारंभ हो चुका है.
इसके साथ ही कुमाऊं क्षेत्र के धार्मिक स्थलों के पुनरुद्धार के लिए मानसखण्ड मंदिर माला मिशन चलाया जा रहा है. श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए ₹2430 करोड़ की लागत से गौरीकुंड–केदारनाथ और गोविंदघाट–हेमकुण्ट साहिब रोपवे का निर्माण भी प्रारंभ हो गया है, जिससे दुर्गम यात्राएं सहज और सुरक्षित होंगी. उत्तराखण्ड के विकास की जो सुचिता आधारित रोडमैप तैयार किया है, वह केवल वर्तमान नहीं, बल्कि आगामी दशकों की बुनियाद है. नीति आयोग द्वारा जारी SDG (सतत विकास लक्ष्य) इंडिया इंडेक्स 2023-24 में उत्तराखण्ड ने 79 अंकों के साथ देशभर में पहला स्थान प्राप्त कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है. राज्य के दोनों प्रमुख तीर्थ श्री केदारनाथ और श्री बदरीनाथ धाम का पुनर्निर्माण ऐतिहासिक गति से आगे बढ़ रहा है. श्री केदारनाथ धाम में ₹750 करोड़ से पुनर्निर्माण कार्य प्रगति पर है, वहीं श्री बदरीनाथ धाम के लिए ₹550 करोड़ की महानिर्माण योजना पर कार्य प्रारंभ हो चुका है.इसके साथ ही कुमाऊं क्षेत्र के धार्मिक स्थलों के पुनरुद्धार के लिए मानसखण्ड मंदिर माला मिशन चलाया जा रहा है. श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए ₹2430 करोड़ की लागत से गौरीकुंड–केदारनाथ और गोविंदघाट–हेमकुण्ट साहिब रोपवे का निर्माण भी प्रारंभ हो गया है, जिससे दुर्गम यात्राएं सहज और सुरक्षित होंगी. इस उपलब्धि के साथ, वह राज्य के इतिहास में दूसरे सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्री भी बन गए हैं, यह रिकॉर्ड अभी भी दिवंगत कांग्रेस के दिग्गज नारायण दत्त तिवारी के नाम है, जिन्होंने पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था। पूरे राज्य में लैंड जिहाद के खिलाफ लगातार कार्रवाई हो रही है और नकल विरोधी कानून भी बनाया गया है। सरकार की बड़ी उपलब्धियों में से एक रही सिलक्यारा टनल आपदा के दौरान मुख्यमंत्री की त्वरित सक्रियता और केंद्रीय एजेंसियों से समन्वय। इस प्रकरण में उनकी भूमिका की सर्वत्र सराहना हुई। इसके अलावा, प्रदेश में आयोजित राष्ट्रीय खेलों के सफल आयोजन ने उत्तराखंड की छवि को राष्ट्रीय मंच पर मजबूत किया और खेल अवसंरचना में एक नई ऊर्जा का संचार किया। शांत स्वभाव के दिखने वाले पुष्कर सिंह धामी प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के बेहद करीबी माने जाते हैं। पुष्कर सिंह धामी में बेहतर निर्णय क्षमता है। उन्होंने जनता के लिए सरल और निर्णय लेने में अपने कठोर रवैये से भारतीय राजनीति में एक अलग पहचान स्थापित की है। कठोर धर्मांतरण कानून हो या समान नागरिक आचार संहिता को लागू कराना, उनकी बेहतर पहल की पूरे देश में तारीफ हुई है। मुख्यमंत्री वर्ष 2025 तक उत्तराखंड को देश के अग्रणी राज्यों में शामिल कराने के विजन पर कार्य कर रहे हैं।।.! *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*

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