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हेलंग-मारवाड़ी वाईपासः सीमांतवासियों की निगाहें सांसद की पैरवी पर टिकी

25/08/19
in उत्तराखंड, चमोली
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फोटो- बीआरओ द्वारा मारवाडी साइट से लगाया गया हेलंग-मारवाडी वाईपास का बोर्ड।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। आॅल वैदर रोड जोशीमठ को छूते हुए निर्मित हो अब सीमांतवासियों की निगाहें गढवाल संासद तीरथ सिंह रावत की पैरवी पर जा टिकी है। जोशीमठ को अलग-थलग कर हेलंग से वाईपास निर्माण की प्रक्रिया मे तेजी लाने की खबर के बाद सीमंात धार्मिक एवं पर्यटन नगरी मे माहौल गरमा गया है।
आद्य जगदगुरू शंकराचार्य की तपस्थली ज्योर्तिमठ जहाॅ से भगवान शंकराचार्य ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए देश के चारो दिशाओ मे चार पीठो की स्थापना की थी। और उत्तर भारत की पीठ ज्यार्तिमठ जिसे अब जोशीमठ नाम से जाना जाता है। इस धार्मिक व एतिहासिक नगरी को बदरीनाथ यात्रा मार्ग से दूर करने का हाॅलाकि पहले भी कुत्सित प्रयास किया गया। लेकिन सफलता नही मिल सकी। अब एक बार फिर हेलंग-मारवाडी वाईपास की सुगबुगाहट तेज होने की भनक लगते ही सीमांत धार्मिक एंव पर्यटन नगरी मे आक्रोष देखा जा रहा है। नगर वासियों की भावनाओ को समझते हुए नगर पालिकाध्यक्ष शैलेन्द्र पंवार ने भी तत्काल आपात बैठक बुलाकर लोगो से राय सुमारी की और मुख्य मंत्री व सडक परिवहन मंत्री को ज्ञापन भेजकर लोगो की भावनाओ से अवगत कराया।
दरसअल बीआरओ द्वारा वर्ष 1988-89 मे ही जोशीमठ को कट कर हेलंग से एक वाईपास का निर्माण शुरू कर लिया गया था। वर्ष 1991आते-आते जब बीआरओ पर आंदोलन का भी असर नही हुआ तो क्षेत्र के कुछ जागरूक नागरिको ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रूख किया और सभी तथ्यों को न्यायालय के समक्ष पेश करते हुए स्थगन ओदश प्राप्त करने मे सफलता हासिल की। तब से इस वाईपास का निर्माण पूरी तरह से बंद हो गया था। भविष्य मे कभी भी वाईपास का निर्माण न हो इसके लिए जोशीमठ नगर वासियों द्वारा इस वाईपास क्षेत्र मे एक बार सघन वृक्षारोपण भी किया गया था। लेकिन चारधाम आॅल वैदर रोड की स्वीकृति के बाद हेलंग वाईपास की एक बार फिर सुगबुगाहट तेज हुई। और अब इस वाईपास के निर्माण की जिम्मेदारी आॅल वैदर रोड का निर्माण कर रही एनएच से हटाकर रक्षा मंत्रालय के अधीन बीआरओ के सुपुर्द कर दिया गया है।
ज्योर्तिमठ-जोशीमठ जो बदरीनाथ यात्रा मार्ग का अनादिकाल से ही मुख्य पडाव रहा है, बदरीनाथ की पैदल यात्रा के दौरान भी पैदल यात्री हेलंग से ज्योर्तिमठ-नृंिसंह मंदिर मठागंण होते हुए ही बदरीनाथ की यात्रा करते थे और सडक निर्माण हो जाने के बाद भी यह पंरपरा वर्तमान मे भी जारी है। शास्त्रो के अनुसार भी बदरीनाथ की यात्रा से पूर्व आद्य जगदगुरू शंकराचार्य द्वारा स्थापित भगवान नृंिसहं के दर्शनो की मान्य सनातन पंरपरा है जिसका निर्वाह निंरतर किया जा रहा है। लेकिन यदि जोशीमठ से दस किमी पहले हेलंग नामक स्थान से वाईपास का निर्माण होता है तो करोडो सनातन धर्मावलंबियो की धार्मिक भावनाओ पर कुठाराघात तो होगा ही साथ ही बदरीनाथ व हेमकुंड साहिब यात्रा पर निर्भर सैकडो ब्यवसायियों को रोजगार से मोहताज होना पडेगा और भारत-तिब्बत सीमा के एक बसे-बसाए नगर को भी पलायन के लिए विवश होना पडेगा।
वाईपास निर्माण को लेकर सीमांतवासियों के आक्रोष को देखते हुए बदरीनाथ के विधायक महेन्द्र भटट व बदरी-केदार मंदिर समिमि के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल ने जनपद भ्रमण पर आए गढवाल सांसद तीरथ सिंह रावत को विस्तार से जानकारी देते हुए हर हाल मे आॅल वैदर रोड से जोशीमठ को पूर्ववत जोडे रखने का आग्रह किया है। सांसद गढवाल ने भी केन्द्रीय संडक परिवहन मंत्री से भेंट कर सीमांत नगर वासियांे की भावनाओ से अवगत कराते हुए जोशीमठ से आॅल वैदर रोड निर्माण की पैरवी करने का आश्वासन दिया है। हालांकि निर्वतमान सांसद व केंन्द्रीय संडक परिवहन व राजमार्ग मंत्री रहे मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूरी के समक्ष भी हेलंग वाईपास का मामला कई मर्तबा पंहुचा लेकिन वे भी इस गंभीर मसले को नही सुलझा सके थे।
अब देखना होगा कि नए गढवाल सांसद तीरथ सिंह रावत सीमांत धार्मिक एवं पर्यटन नगरी जोशीमठ के अस्तित्व को बचाने मे किस तरह पैरवी कर पाते है, इस पर सीमांत वासियों की नजरे टिकी रहेगी।

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