उत्तराखंड विद्यालय शिक्षा परिषद रामनगर द्वारा 12 वीं अर्थशास्त्र विषय का मूल्यांकन सीबीएसई के पैटर्न पर करवाने की मांग पर बोर्ड सचिव ने सैद्धांतिक सहमति दी गई है। 17 जनवरी को आयोजित होने वाली बोर्ड की बैठक में उक्त प्रस्ताव रखा जाएगा। अगले सत्र से यह बदलाव प्रभावी हो सकता है।
उत्तराखंड के अधीन शासकीय और अशासकीय विद्यालयों में नियुक्त अर्थशास्त्र प्रवक्ताओं ने इस विषय का मूल्यांकन सीबीएसई के पैटर्न पर करवाने की मांग की थी। शिक्षकों का कहना है कि उत्तराखंड में एनसीईआरटी के समान पाठ्यक्रम है और सीबीएसई के विद्यालयों में और राज्य की सरकारी विद्यालयों में एक समान पाठ्यक्रम और पुस्तकें होने के बावजूद सीबीएसई और उत्तराखंड बोर्ड का मूल्यांकन पेटर्न अलग अलग है। सीबीएसई ने विषय की जटिलता और न्यून परीक्षाफल को देखते हुए 12 वीं अर्थशास्त्र में 80 अंको की लिखित परीक्षा और 20 अंकों का परियोजना कार्य आधारित आंतरिक मूल्यांकन निर्धारित किया है जबकि उत्तराखंड बोर्ड द्वारा 100 अंको की लिखित परीक्षा आयोजित की जाती है, जिस कारण सीबीएसई की तुलना में उत्तराखंड बोर्ड का कक्षा 12 अर्थशास्त्र विषय का परीक्षा फल बिछड़ जाता है। विगत दिनों राज्य के अर्थशास्त्र प्रवक्ताओं की राजकीय इंटर कॉलेज पटेल नगर में संपन्न हुई बैठक में मूल्यांकन पैटर्न में सीबीएसई के समान मानक अपनाई जाने पर जोर दिया गया। बैठक में बनी शिक्षकों की कोर कमेटी में शामिल प्रवक्ता अर्थशास्त्र विभोर भट्ट, सुशील डोभाल और डॉ हरि नंद भट्ट ने विद्यालय शिक्षा परिषद रामनगर की सचिव डॉ नीता तिवारी से भेट कर इस संदर्भ में अर्थशास्त्र का मूल्यांकन सीबीएसई के पैटर्न पर करवाने की मांग रखी। शिक्षकों का कहना है की मानविकी वर्ग में अर्थशास्त्र विषय अन्य विषयों की तुलना में जटिलतम विषय है जिस कारण विगत कई वर्षों से इसका परीक्षाफल छात्रों, अध्यापकों और परिषद की उम्मीद के अनुकूल नहीं आ रहा है। इसी कारण सीबीएसई द्वारा इस विषय में गत वर्ष से 20 अंक का परियोजना कार्य आधारित आंतरिक मूल्यांकन शुरु किया गया है।
कोर कमेटी के शिक्षकों ने इस प्रकरण पर सीबीएसई के अर्थशास्त्र विषय के मूल्यांकन का ब्लूप्रिंट भी रामनगर परिषद के अधिकारियों को प्रस्तुत किया। बोर्ड की सचिव डॉ नीता तिवारी ने शिक्षकों को आश्वस्त किया की इस संदर्भ में तैयार किया गया प्रस्ताव आगामी 17 जनवरी को विद्यालय शिक्षा परिषद की बैठक में रखा जाएगा और शासन के अनुमोदन हेतु तुरंत भेजा जाएगा। बोर्ड के अपर सचिव बृजमोहन सिंह रावत ने कहा है की इस वर्ष बोर्ड परीक्षाओं के लिए कम समय बचा है और तैयारी भी पूरी कर ली गयी हैं किंतु शासन की स्वीकृति मिलने पर यह बदलाव अगले सत्र से किया जा सकेगा। इससे जहां राज्य के हजारों परीक्षार्थियों के लिए विषय अधिक रुचिकर बनेगा वहीं परीक्षाफल में भी सुधार होगा।