फोटो- देवभूमि उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध चारों धाम।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। तीर्थस्थलों व यात्रा मार्गों से आपदा वर्ष 2013 की तरह छाई बीरानी दूर करने का सरकारी स्तर पर प्रयास तो हो रहा है, लेकिन यह सफल हो पाऐगा, इसमे अभी संदेह बना हुआ है। श्री बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी स्पष्ट कर चुके हैं, यदि धामों को राज्यवासियों के आवागमन के लिए खोला जाता है, तो उससे पूर्व नियत स्थान पर वैरियर लगाकर विस्तृत जाॅच मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में हो, तभी धामांे में जाने की अनुमति दी जानी चाहिए, अन्यथा चारों धाम जो अभी तक कोरोना से मुक्त हैं, वहाॅ भी संक्रमण फैलने का भय बना रहेगा।
सरकारी स्तर पर आगामी 1जुलाई से राज्यवासियों को प्रदेश के चारो धामो मे यात्रा की अनुमति दिए जाने पर गंभीरता से विचार चल रहा है। इसी परिपेक्ष्य मे चार धाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष आचार्य शिव प्रसाद मॅमगाई ने चारो धामो से धर्माचार्यो व अन्य लोगो से संपर्क कर उनसे राय जाननी चाही। भू-वैकुंठ धाम श्री बदरीनाथ के धर्माधिकारी आचार्य भुचन च्रद उनियाल से भी उन्होने सपर्क किया जिस पर आचार्य उनियाल ने स्पष्ट किया कि यदि चारो धामे की यात्रा राज्यवासियों े लिए खोलना ही तो प्रथम चरण मे राज्य के पहाडी जिलो जहाॅ केारोना के केस ना हो उन्है ही अनुमति दी जानी चाहिए। कहा कि श्री बदरीनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओ की पांडुकेश्वर या हनुमान चटटी से पहले वैरियर लगाकर चेकअपर हो और जिसमे हल्का सा भी सिस्टम होता हो बुखार या खाॅसी हो तो उसे तुंरत वापस भेजा जाना चाहिए। इस कार्य को करने के लिए बरिष्ठ चिकित्साधिकारियों के साथ ही मजिस्ट्रैट की भी तैनाती हो। यदि ऐसा नही होगा तो कोरोना महामारी को धामो मे पंहुचने का भय बना रहेगा और पुजारी वर्ग संक्रमित हो सकता है तथा पूजा पंरपरा मे बाधा उत्पन्न हो सकती है।
धर्माधिकारी आचार्य श्री उनियाल ने चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष श्री ममगाॅई द्वारा यात्रा शुरू करने को लेकर पूछी गई राय के क्रम मे लिखित जबाब उनको दिया है।
दरसअल तीर्थस्थलों व यात्रा मार्गो पर आपदा वर्ष 2013मे भी लोगो ने इस कदर वीरानी नही देखी थी जो कोरोना के कारण देखी जा रही है। हाॅलाकि देवभूमि उत्तराखंड के चारो धामों का मुख्य यात्रा सीजन तो कोरोना की भेंट चढ ही गया लेकिन सरकार अपने स्तर से प्रयास करने मे जुटी है कि अन्य राज्यों से नही तो कम से कम राज्यवासी तो चारो धामों तक पंहुच सके। इस शुरूवात से कुछ तो चहल-पहल होगी। लेकिन जब धामों मे पंहुचने से ऐन पहले विस्तृत जाॅच करने व बुखार होने पर भी वापस भेजने की सलाह दी जा रही है तो ऐसे मे कोई भी अपने घरो से कैसे निकलेगा यह समझ से परे है। क्योकि यात्रा के दौरान भी कई लोगो का स्वास्थ्य वाहन व उबड-खाबड रास्तो की बजह से भी खराब होता है और बुखार जैसे सिमटम्स भी हो जाते है तब यदि ठीक धाम मे पंहुचने से पहले चेकअप मे बुखार निकलता है तो उसे वापस जाना होगा तो वह आऐगा ही क्यो!
वास्तव मे चारो धाम कपाट खुलने के बाद से कोरोना से मुक्त है ऐसे मे जरा सी भी लापरवाही धामों मे सुरक्षित रहकर पूजा पंरपराओ का निर्वहन कर रहे धर्माचार्यो व पुजारियों पर भारी पड सकता है और पूजा पंरपरा के बाधित होने की संभावना भी बढ सकती हैं। ऐसी स्थिति मे यदि श्री बदरीनाथ के धर्माधिकारी ने अपनी राय से चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष को अवगत कराया तो यह सनातन पूजा पद्धति को कदाचित बाधित होने के संभवित भय से ही कहा है। अब देखना होगा कि सरकार धर्माचार्यो की रायसुमारी के बाद राज्यवासियों के लिए चारधाम यात्रा खोल सकेगी!और कोरोना संक्रमण चारो धामो मे ना पंहुच सके इसके लिए किस प्रकार के प्रबंध करती है इस पर राज्यवासियों का भी बेसब्री से इंतजार रहेगा ।












