डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर दो अक्टूबर को महज़ 15-20 लोगों ने ये आंदोलन शुरू किया था, लेकिन धीरे-धीरे ये आंदोलन जनसैलाब में बदल गया.पूर्व सैनिक भुवन कठायत और बचे सिंह की अगुवाई में लोग पहले जल सत्याग्रह पर उतरे. उसके बाद आमरण अनशन किया. अब रोजाना हजारों की तादाद में लोग हाथों में तख्तियां लिए स्वास्थ्य विभाग को जगाने की कोशिश कर रहे हैं. इस आंदोलन में क्या महिलाएं, क्या बच्चे और क्या बुजुर्ग सभी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं. स्थानीय लोग कहते हैं कि यह आंदोलन किसी एक व्यक्ति का नहीं बल्कि पूरे इलाके की सांसों की लड़ाई बन गया है.उत्तराखंड पेपर लीक आंदोलन के बाद अब अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया में हो रहा आंदोलन चर्चाओं में है. चौखुटिया का आंदोलन किसी भर्ती घोटाले का नहीं, बल्कि बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर है. इसीलिए इस आंदोलन को प्रदर्शनकारियों ने ऑपरेशन स्वास्थ्य नाम दिया है. चौखुटिया हॉस्पिटल में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के लेकर पूरा कस्बा सड़कों पर उतरा हुआ है.इस आंदोलन का असर ये हुआ कि सरकार को जनता की बात तुरंत सुननी पड़ी. मुख्यमंत्री ने भी मामले का संज्ञान लिया और सीएससी चौखुटिया को लेकर बड़ी घोषणा की. सीएचसी चौखुटिया को उप जिला अस्पताल में अपग्रेड कर दिया है. साथ ही बेड की संख्या बढ़ाकर 50 करने और डिजिटल एक्स-रे मशीन लगाए जाने के संबंध में भी शासनादेश जारी कर दिया गया है, लेकिन अभी भी लोगों ने अपना आंदोलन खत्म नहीं किया है. एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और बुनियादी लैब टेस्ट जैसी सुविधाएं भी या तो बंद हैं या बेहद सीमित. बचे सिंह की मानें तो समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण बीते कुछ महीनों में कई मरीजों की मौत हो चुकी है. बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग जगाने को तैयार नहीं है. चौखुटीया सिर्फ एक छोटा सा गांव नहीं है, बल्कि ये वो क्षेत्र है, जहा से गढ़वाल के लोगों को भी स्वास्थ सुविधा मिलती है. ऐसे में सरकार ने अभी तक न तो आंदोलनकारियों से बातचीत की है और न ही उनके आंदोलन के बाद कोई एक्शन लिया है. आंदोलन में बढ़ती भीड़ ने सरकार को जगाने पर मजबूर किया. यहीं कारण है कि 16 अक्टूबर को एक और आदेश जारी हुई. आदेश स्वास्थ्य सचिव की तरफ से जारी हुआ, जिसमें चौखुटिया के लोगों को जानकारी देते हुए बताया गया कि अब अस्पताल को अपग्रेड किया जा रहा है. जल्द ही 30 बेड के अस्पताल को 50 बेड का कर दिया जाएगा. इसके अलावा डिजिटल एक्सरे मशीन भी अस्पताल में लगाई जाएगी. वहीं डॉक्टरों की तैनाती को लेकर भी विभाग आगे कार्य कर रहा है: उन्होंने कहा कि घोषणा व बार-बार आश्वासन के बाद भी स्वास्थ्य सुविधाओं को ठीक नहीं किया गया है, जिस कारण जनता सड़कों में उतरने के लिए मजबूर हुई है. क्षेत्र के लोगों का कहना है कि इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चौखुटिया में क्षेत्र के ही नहीं वरन गढ़वाल क्षेत्र से भी काफी संख्या में मरीज पहुंचते हैं, लेकिन उचित सुविधाओं के साथ विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के चलते अधिकांश मरीजों को रेफर कर दिया जाता है. अनेक बार देखा गया है कि कई मरीज तो इलाज के अभाव में दम तोड़ देते हैं. उत्तराखंड एक हिमालयी राज्य है. यहां पर पर्वतीय इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना बहुत कठिन काम है. पर्वतीय क्षेत्रों की विषम बनावट और बसावट स्वास्थ्य सेवाओं का मकसद पूरा नहीं कर पाती हैं. पहाड़ी जिलों के अधिकतर सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों समेत अन्य स्टाफ का बहुत टोटा है. चौखुटिया में बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओं को सुधारने के लिए चल रहा आंदोलन धीरे-धीरे उग्र रूप लेने लगा है। आज क्षेत्र के लोग महारैली निकालकर सरकार और स्वास्थ्य विभाग को आक्रोश दिखाएंगे। एसटीएच हल्द्वानी से मुख्य आंदोलनकर्ता स्वस्थ्य होकर चौखुटिया पहुंच गए हैं। उन्होंने आंदोलनकारियों में जोश भरा।क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण की मांग को लेकर 13 वें दिन भी जारी रहा। आंदोलन स्थल पहुंचे मुख्य आंदोलनकारी को रामगंगा आरती घाट स्थल पहुंचे। इस दौरान आंदोलनकारियों ने उनका स्वागत किया और हाल चाल जाना। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन स्वास्थ्य आंदोलन का उद्देश्य केवल एक अस्पताल या सुविधा केंद्र की मांग नहीं, बल्कि पूरे चौखुटिया क्षेत्र को बुनियादी स्वास्थ्य अधिकार दिलाने का है। चौखुटिया क्षेत्र लोग क्षेत्र के लोग बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण अकाल मृत्यु का ग्रास बन रहे हैं। यहां विशेषज्ञ चिकित्सकों के पद रिक्त चल रहे हैं। यहां सिर्फ डेंटल सहायक ही कार्यरत हैँ। सीएचसी के मानकों के अनुसार यहां यहां 291 उपकरण होने चाहिए, लेकिन यहां 20 ही उपकरण हैं। मरीजों को हल्के से पेट दर्द और बुखार के उपचार के लिए हायर सेंटर रेफर किया जा रहा है। कुछ उपकरण आंदोलन की उग्रता के के कारण बढ़ाए गए हैं। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पूर्व एक युवा की उंगली कट गई थी जिसको परिजन उपचार के लिए लाए थे, लेकिन चौखुटिया सीएचसी में टीटनेश का इंजेक्शन तक उपलब्ध नहीं हो पाया था। इससे साफ पता चलता है कि लोगों को किस स्तर की सुविधा सीएचसी चौखुटिया में मिल रही होंगी। अस्पताल में 95 ग्राम पंचायतों की 46 हजार से अधिक की आबादी निर्भर है इसके बाद सरकार को लोगों का दर्द नहीं दिख रहा है। यह आंदोलन किसी व्यक्ति या संगठन का नहीं, बल्कि जनता के जीवन से जुड़ा आंदोलन है। रैली में कई सामाजिक संगठनों, युवाओं और स्वयंसेवकों ने भी बड़ी संख्या में भाग लिया। चौखुटिया नगर पूरी तरह आंदोलन का केंद्र बन गया। युवाओं ने सोशल मीडिया पर भी “स्वास्थ्य अधिकार आंदोलन” नाम का ऑनलाइन अभियान शुरू किया है ताकि आवाज़ दूर तक पहुंचे। प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा लेकिन जनता ने साफ कर दिया कि यह सिर्फ शुरुआत है, अगर स्थिति न सुधरी तो अगला चरण और बड़ा होगा। लगातार बढ़ते जनदबाव के बीच अब राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग की निगाहें चौखुटिया पर टिक गई हैं। आंदोलन की बढ़ती तीव्रता ने शासन को मुश्किल स्थिति में डाल दिया है। स्थानीय प्रशासन ने आंदोलनकारियों के साथ संवाद की कोशिश शुरू की है, लेकिन जनता स्पष्ट कह रही है अब वादे नहीं, कार्रवाई चाहिए। आंदोलनकारियों ने आरोप लगाया कि सरकार ने जनता के स्वास्थ्य और शिक्षा पर ध्यान देने के बजाय करोड़ों रुपये केवल प्रचार-प्रसार और दिखावे पर खर्च किए हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा हर नागरिक का मौलिक अधिकार है, और सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।जनता का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में भारी बजट व्यय के बावजूद स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति जस की तस बनी हुई है। आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार नहीं हुआ तो प्रदेशव्यापी जन आंदोलन शुरू किया जाएगा। उनका कहना है कि इस जन आंदोलन का उद्देश्य केवल अपनी मांगें मनवाना नहीं, बल्कि सरकार को जनता की वास्तविक आवश्यकताओं के प्रति जागरूक करना भी है।बीटे दिनों स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में हुई मौतों और उपकरण खरीद में गड़बड़ी को लेकर विपक्षी दलों ने भी करारे प्रहार किए। *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं*











