————- प्रकाश कपरुवाण।
ज्योतिर्मठ।
विश्व प्रसिद्ध चिपको आंदोलन की 51वीं वर्षगांठ पर जहाँ चिपको आंदोलन एवं चिपको आंदोलन की जन्मदात्री गौरा देवी का स्मरण करते हुए अनेक स्थानों पर कार्यक्रमों के आयोजन हो रहे हैं वहीँ देश के उच्चतम न्यायालय से भी एक सुखद खबर सामने आई है, उच्चतम न्यायालय ने बड़ी संख्या मे पेड़ो को काटना मानव हत्या से भी बड़ा जघन्य अपराध बताया है।
चिपको आंदोलन के 51वर्ष बाद ही सही पर इस फैसले से निश्चित ही पर्यावरण संरक्षण एवं पेड़ो को बचाने की मुहिम को एक नई दिशा भी मिलेगी, उच्चतम न्यायालय का यह फैसला भले ही अवैध पेड़ो के कटान से जुडा हुआ हो पर इस फैसले के बाद सैकड़ों पेड़ो के कटान की अनुमति देने का मार्ग प्रशस्त करने वालों के लिए भी यह एक नजीर होगी।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने मथुरा -वृन्दावन के डालमिया फार्म मे 454पेड़ो के अवैध कटान के मामले मे सुनवाई के दौरान सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि पर्यावरण के मामले मे कोई दया नहीं होनी चाहिए, “बड़ी संख्या मे पेड़ो को काटना किसी इंसान की हत्या से भी जघन्य है “कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि काटे गए 454 पेड़ो से जो हरित क्षेत्र था उसी तरह का हरित क्षेत्र उत्पन्न करने मे कम से कम सौ वर्ष लगेंगे।
सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने प्रति पेड़ एक लाख रूपये का जुर्माना भी लगा दिया।
चिपको आंदोलन की 51वीं वर्षगांठ पर आए शीर्ष अदालत के फैसले के बाद यह भी विचारणीय है कि यदि पचास वर्ष पूर्व गौरा देवी के नेतृत्व मे पेड़ो से चिपक कर पेड़ो को बचाया ना होता तो आज तक भी रैणी का वह क्षेत्र हरित नहीं हो पाता।
गौरा देवी व चिपको आंदोलन ने यह प्रमाणिकता के साथ अवश्य सिद्ध कर दिखाया कि सामूहिक प्रयासों से ही पर्यावरण को बचाया जा सकता है।
चिपको आंदोलन की जन्मदात्री स्वo गौरा देवी की प्रेरणा को जीवंत रखने के लिए गौरा देवी पर्यावरण एवं सामाजिक विकास समिति चमोली द्वारा जहाँ सीमांत ब्लॉक ज्योतिर्मठ के मुख्यालय मे तीन दिवसीय कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, वहीं चिपको की धरती रैणी मे भी विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये युवा पीढ़ियों को चिपको आंदोलन की जड़ो को जोड़ते पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जा रहा है।