डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
चारधाम यात्रा के प्रमुख पड़ावों में से एक धराली गांव में खीर गंगा नदी में आई अचानक बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। उत्तरकाशी जिले में एक गांव धराली, जिससे लगा हुआ इलाका है खीरगंगा. ट्रैकिंग पर जाने वालों के लिए सबसे पसंदीदा जगह. 5 अगस्त को अचानक यहां बादल फटा. फिर पलक झपकते सारा का सारा इलाका बह गया. मकान तिनकों की तरह उखड़ गए. बाजार, बस्तियां, इंसान और मवेशी सभी उसमें बह गए. बड़ी संख्या में लोग लापता हैं. बादल का फटना या क्लाउडबर्स्ट का मतलब, बहुत कम समय में एक सीमित दायरे में अचानक बहुत भारी बारिश होना है. हालांकि, बादल फटने की सभी घटनाओं के लिए कोई एक परिभाषा नहीं है.फिर भी भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, अगर किसी एक क्षेत्र में 20-30 वर्ग किमी दायरे में एक घंटे में 100 मिलीमीटर बारिश होती है तो उसे बादल का फटना कहा जाता है. आम बोलचाल की भाषा में कहें तो किसी एक जगह पर एक साथ अचानक बहुत बारिश होना बादल फटना कहा जाता है.उत्तराखंड में बादल फटने की तबाही हर साल होती है. आखिर पहाड़ी ऊंचे इलाकों पर इतने ज्यादा बादल क्यों फटते हैं.इससे पहले बरसात के इस मौसम में हिमाचल प्रदेश में कई बादल फटने से तबाही की खबरें आ चुकी हैं. जब बादल फटते हैं तो अचानक अथाह पानी दावानल बनकर टूट पड़ता है. इससे इतनी तेज फोर्स के साथ अचानक बाढ़ आती सबकुछ बहा ले जाती है. कुछ नहीं बचता. मकान के मकान ताश के पत्तों की तरह उड़ जाते हैं.विशेषज्ञों के मुताबिक, पहाड़ी इलाकों में बादल फटने की घटनाओं में एक दशक के भीतर तेजी से बढ़ोतरी हुई है. एक अनुमान के मुताबिक, अब उत्तराखंड और हिमाचल के पहाड़ों में डेढ़ गुना से ज्यादा बादल फटने की घटनाएं हो रही हैं. बादल फटने की ज्यादातर घटनाएं मॉनसून की बारिश के दौरान ही होती हैं.बादल फटने के बाद तेज बहाव में नाले का पानी और मलबा निचले इलाकों की ओर आया, जिससे कई घर और दुकानें पूरी तरह तबाह हो गईं। प्रभावित इलाकों में राहत एवं बचाव कार्य जारी है। इस हादसे के बाद गंगोत्री धाम का जिला मुख्यालय से संपर्क पूरी तरह टूट गया है। हर्षिल क्षेत्र में खीर गाड़ का जलस्तर बढ़ने से धराली कस्बे में बाजार और आवासीय इलाकों को भारी क्षति पहुंची है। अब भी बारिश जारी है, जिससे फिर से बादल फटने का खतरा बना हुआ है। स्थानीय लोगों और अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस बाढ़ में अब तक करीब 20 से 25 होटल और होमस्टे पूरी तरह तबाह हो चुके हैं। साथ ही 10 से 12 मजदूरों के मलबे में दबे होने की आशंका जताई जा रही है। घटना के बाद पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया है और भय का माहौल बना हुआ है। हे गंगा मैय्या ये क्या हो गया माफ करो उत्तरकाशी में चीखपुकार से धराली बाजार और गांव गूंज उठा गांव। धराली में आज प्रकृति का प्रकोप देखने को मिला। होटल और दुकानें मलबे में दब गए। खीरगंगा का पानी और मलबा सब कुछ बहा ले गाया। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले से एक बहुत ही डरावनी और दुखद घटना सामने आई है। हर्षिल इलाके में अचानक बादल फट गया, जिससे इलाके में भारी तबाही मच गई। बताया जा रहा है कि इस घटना में 12 लोग मलबे में दब गए हैं और करीब 60 लोग लापता हो गए हैं। सोशल मीडिया पर इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें देखा जा सकता है कि कैसे सिर्फ 20 सेकंड में सब कुछ तबाह हो गया। लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागते हुए और चीखते-चिल्लाते नजर आए।बादल फटने के बाद सामने आई तस्वीरें झकझोर कर रखने वाली हैं। हादसे में अभी तक चार लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। जबकि कई लोगों के दबे होने की खबर है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव की खीरगंगा में मंगलवार को अचानक बादल फटने से खीरगंगा में आई बाढ़ ने भयंकर तबाही मचा दी। गांव की ओर बढ़ते सैलाब और मलबे से कई लोग दब गए। पूरे इलाके में चीख-पुकार मच गई, धराली बाजार पूरी तरह तबाह हो गया है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित धराली क्षेत्र में खीर गंगा नदी में अचानक बादल फटने से आई भीषण बाढ़ ने पूरे इलाके में तबाही मचा दी. शनिवार सुबह आई इस प्राकृतिक आपदा ने धराली बाजार को भारी नुकसान पहुंचाया है. तेज बहाव के चलते दुकानें, वाहन और स्थानीय ढांचे पानी में बह गए हैं.प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, बाढ़ का मंजर इतना भयानक था कि लोग कुछ समझ पाते उससे पहले ही तबाही मच गई. पानी का बहाव इतना तेज था कि बड़े-बड़े पत्थर और मलबा भी बाजार क्षेत्र में घुस आया. कितने लोग इसमें बह गए, अभी कोई आंकड़ा सामने नहीं आया है. सैलाब अपने साथ इतना मलबा लेकर आया कि दर्जनों घर, बाजार, वाहन और जो भी रास्ते में आया, सब बह गए.उसमें दब गए. अभी वहां केवल तबाही का मंजर है. अभी कितने लोग इस सैलाब में बह गए, मलबे में दबे हैं, इसका कोई भी आंकड़ा सामने नहीं आया है. बताया जा रहा है कि करीब 20 मीटर ऊंचा मलबा वहां आकर जमा हो गया है. गृह मंत्री ने सीएम से इस पूरी घटना की जानकारी ली है और हरसंभव मदद देने का आश्वासन भी दिया है. उत्तरकाशी में अब तक 24 एमएम बारिश रिकार्ड की गई है. आधिकारिक तौर पर 12 मजदूरों के मलबे में दबे होने की सूचना है. राज्य सरकार ने एयरफोर्स से मदद मांगी है. मदद में दो MI और एक चिनुक हेलीकाफ्टर की मांग की गई है. उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में मंगलवार, 5 अगस्त 2025 को बादल फटने की घटना से बाढ़ आ गई। मुख्यमंत्री ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उत्तरकाशी के धराली क्षेत्र में बादल फटने की सूचना मिली है, जहां जलस्तर बढ़ने से भारी नुकसान हुआ है।गंगोत्री धाम के प्रमुख पड़ाव धराली में खीर गंगा नदी में विनाशकारी बाढ़ आई। बाढ़ के चलते 20 से 25 होटल व होमस्टे तबाह हो गए हैं। स्थानीय लोगों से मिली सूचना के अनुसार, 10 से 12 मजदूरों के दबे हो सकते हैं। स्थानीय का कहना है कि खीर गंगा के जल ग्रहण क्षेत्र में ऊपर कहीं बादल फटा, जिस कारण यह विनाशकारी बाढ़ आई है। बाढ़ से लोगों में दहशत का माहौल है। बाढ़ के चलते धराली बाजार को भारी नुकसान पहुंचा है चारों ओर केवल बाढ़ के साथ आया मलबा नजर आ रहा है। लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं। बाढ़ के चलते खीर गंगा के तट पर स्थित प्राचीन कल्प केदार मंदिर के भी मलबे में दबने सूचना है। बचाव और राहत कार्यों के लिए जिला प्रशासन, भारतीय सेना, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) की टीमें मौके पर पहुंच गई हैं। फिलहाल राहत कार्य जारी है और लापता लोगों की तलाश की जा रही है। प्रशासन लोगों से शांत और सतर्क रहने की अपील कर रहा है। यह घटना एक बार फिर दिखाती है कि पहाड़ी इलाकों में मौसम कैसे अचानक खतरनाक रूप ले सकता है।जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए वनों का संरक्षण, जल संसाधनों का प्रबंधन और कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने की जरूरत है. इसके अलावा पारंपरिक खेती को बढ़ावा देकर पर्यावरण अनुकूल कृषि अपनाने पर जोर देना होगा. उत्तराखंड की जैव विविधता और पर्यावरण को बचाने के लिए सरकार और आम जनता दोनों को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है. यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले वर्षों में यह समस्या और विकराल रूप ले सकती है. ऊपरी इलाकों में मौजूद लोगों द्वारा ली गई शुरुआती तस्वीरों और वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि किस तरह खीर गंगा में अचानक ऊपर से बाढ़ आई और विकराल रूप में आया पानी का सैलाब सब कुछ अपने साथ बहा ले गया. पानी पूरे बाजार को बहा ले गया. वीडियो में जिस तरह से मंजर देखा जा रहा है, वह इतना भयानक था कि देखने वालों की रूह तक कांप गई. पूरे धराली बाजार का बड़ा हिस्सा मलबे में तब्दील नजर आ रहा है. कई दुकानों और घरों की छतें ढह गई हैं. स्थानीय लोग इस भयावह स्थिति से सदमे में हैं. मौसम विभाग ने एडवाइजरी जारी की है कि रेस्क्यू ऑपरेशन में बारिश बाधा बन सकती है. उत्तरकाशी के लिए तेज बारिश का अलर्ट जारी किया गया है. अगले 24 घंटे में वहां तेज बारिश का अलर्ट है. यात्रा करने वालों को एहतियात बरतने की सलाह दी गई है. बादल फटने की घटनाओं के मामले में देश के दो राज्य हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड सबसे अधिक संवेदनशील माने जाते हैं. इन दोनों पहाड़ी राज्यों में अब मॉनसून की बारिश के दौरान बादल फटना आम हो गया है. विशेषज्ञों के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाले वर्षों में बादल फटने की आपदाओं में ज्यादा बढ़ोतरी की आशंका है. वहीं, तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन के लिए जंगलों की आग, पेड़ों को अंधाधुंध काटना, कचरे को जलाना जिम्मेदार हैं.पहाड़ी इलाकों में बड़ी तादाद में पहुंच रहे पर्यटक भी इसके लिए जिम्मेदार है. विशेषज्ञों का कहना है कि पहाड़ों में ज्यादा वाहनों का आना और जंगलों में अवैध निर्माण भी इसका कारण बन रहे हैं. पानी से भरे बादल पहाड़ों की ऊंचाई के कारण एक क्षेत्र के ऊपर अटक जाते हैं. फिर उस इलाके पर एकसाथ तेजी से बरस जाते हैं. अब सवाल ये उठता है कि पहाड़ों पर आफत बनकर बरसने वाले इन बादलों को इतना पानी कहां से मिलता है? इन बादलों को नमी आमतौर पर पूर्व से बहने वाली निम्न स्तर की हवाओं से जुड़े गंगा के मैदानों पर कम दबाव प्रणाली प्रदान करती है.कभी-कभी उत्तर पश्चिम से बहने वाली हवाएं भी बादल फटने की घटना में मदद करती हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, क्लाउडबर्स्ट के लिए कई कारकों को एकसाथ आना पड़ता है. इसके लिए कोई एक कारण जिम्मेदार नहीं होता है. हाल में हुई बादल फटने की घटनाओं से काफी बर्बादी हुई है. बादल फटने पर लोगों की जिंदगी और संपत्ति दोनों को बहुत नुकसान होता है. बादल फटने पर नदी, नालों में पानी का स्तर तेजी से बढ़ने पर बाढ़ आ जाती है. वहीं, पहाड़ों पर ढलान होने के कारण पानी रुक नहीं पाता, बल्कि तेजी से नीचे की ओर बहता है.ये पानी मिट्टी, कीचड़, पत्थर, मवेशी, इंसान सभी को अपने साथ बहा ले जाता है. पिछले दशक में ही पहाड़ों में बादल फटने की घटनाओं के कारण हजारों लोगों की मौत हो चुकी है. मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक, बादल फटने के दौरान ढलान पर नहीं रहना चाहिए. बरसात के दिनों में नदी और नालों के किनारों पर ना रुकें. लंबी अवधि के उपाय के लिए पौधरोपण कर जलवायु परिवर्तन को संतुलित करें. उत्तराखंड की खूबसूरती और पर्वतीय जीवनशैली के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा पर ध्यान देना अनिवार्य है. सतत विकास और जलवायु संरक्षण के कदमों से ही बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदाओं के विनाश को कम किया जा सकता है. इस जानकारी के आधार पर आप उत्तराखंड में बादल फटने की घटनाओं को समझ सकते हैं और बचाव एवं सुरक्षा के उपायों को समझने में मदद पा सकतेहैं. *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*