• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar
No Result
View All Result

शहीद हो चुके 35 जवान, जंगल और वन्यजीवों की हिफाजत में गंवाई जान

22/05/25
in उत्तराखंड, देहरादून, नैनीताल
Reading Time: 1min read
14
SHARES
18
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter
https://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/11/Video-60-sec-UKRajat-jayanti.mp4

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
देश में बाघों के लिए सबसे मुफीद माना जाने वाला कॉर्बेट टाइगर रिजर्व अब अपनी धारण क्षमता के अंतिम छोर पर पहुंच गया है. कभी जंगल के राजा टाइगर की सल्तनत कहे जाने वाले इस रिजर्व में अब उनकी मौजूदगी खतरे की घंटी बनती जा रही है. भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा कराए जा रहे अध्ययन के शुरुआती निष्कर्षों ने साफ कर दिया है कि कॉर्बेट अब और बाघों का भार सहन करने की स्थिति में नहीं है.दरअसल, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों की बढ़ती संख्या और उनके लिए सीमित हो रहे क्षेत्रफल के चलते कॉर्बेट और आसपास के वन्य क्षेत्रों में वन्य जीव-मानव संघर्ष की घटनाएं भी तेजी से बढ़ी हैं. इतना ही नहीं, अब इन बाघों को अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए पहाड़ी इलाकों तक पलायन करना पड़ रहा है, जहां कभी उनकी मौजूदगी न के बराबर हुआ करती थी. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व देश में बाघों के घनत्व के लिहाज से सबसे समृद्ध टाइगर रिजर्व माना जाता है. वर्ष 2022 में जारी अखिल भारतीय बाघ गणना के अनुसार उत्तराखंड में कुल 560 बाघ हैं, जिनमें से करीब 260 बाघ अकेले कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में मौजूद हैं. यह संख्या कॉर्बेट की धारण क्षमता से काफी अधिक मानी जा रही है. कॉर्बेट का कुल क्षेत्रफल 1288.34 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें कोर जोन 520.8 वर्ग किलोमीटर और बफर जोन 797.7 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. इसके बावजूद बाघों को पर्याप्त विचरण क्षेत्र नहीं मिल पा रहा है. आंकड़ों के अनुसार कई बाघ महज 5 से 6 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में सिमटकर रहने को मजबूर हैं, जबकि आमतौर पर एक वयस्क नर बाघ को लगभग 15 से 50 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की आवश्यकता होती है. जब हम ‘शहीद’ शब्द सुनते हैं तो हमारी आंखों के सामने एक फौजी की तस्वीर उभरती है. जो देश की सीमा पर खड़ा है. बंदूक हाथ में और वर्दी तन पर, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे जंगलों की सीमाओं पर भी कुछ ऐसे सिपाही हैं, जो बिना बंदूक, बिना हेलमेट, बिना बुलेटप्रूफ जैकेट. हर दिन जान हथेली पर लेकर डटे रहते हैं? देश के सबसे पुराने राष्ट्रीय उद्यान कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की. जहां पिछले चार दशकों में 35 से ज्यादा वनकर्मी जंगल और वन्यजीवों की रक्षा करते हुए शहीद हो चुके हैं. बाघों की दहाड़ और जंगल की खामोशी के बीच जो आवाज अक्सर अनसुनी रह जाती है, वो है वन रक्षकों के बलिदान की. साल 1982 से 2025 तक कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में 35 से ज्यादा वनकर्मी बाघ, हाथी और गुलदार जैसे जंगली जानवरों के हमले में मारे गए हैं. ये वो वीर हैं, जो हर दिन जंगलों की निगरानी करते हैं. न सिर्फ अवैध शिकारियों से बल्कि, प्राकृतिक खतरों से भी खेलते हैं. कॉर्बेट के धनगढ़ी इंटरप्रिटेशन सेंटर में इन वीरों की याद में एक विशेष स्मारक बनाया गया है. जहां हर पत्थर पर एक नाम, एक कहानी और एक शहादत लिखा है. जो ये बताती है कि जंगल सिर्फ पेड़ों से नहीं, उनकी रक्षा करने वालों के बलिदान से भी जिंदा हैं. सरकार ने शहीदों के परिवारों को विभाग में नौकरी जरूर दी है, लेकिन सम्मान और सुरक्षा की जो गारंटी होनी चाहिए, वो अभी भी अधूरी है. जंगल की रक्षा करना देश की आंतरिक सुरक्षा का ही हिस्सा है.जब कोई वनरक्षक शहीद होता है तो सिर्फ एक परिवार नहीं, पूरा जंगल अनाथ हो जाता है. शहीद सिर्फ बॉर्डर पर नहीं होते, हर वो जगह जहां कोई वर्दी में अपने फर्ज के लिए जान देता है, वो जमीन शहीदों की है. कॉर्बेट के इन गुमनाम वीरों को सलाम उनकी कुर्बानी को सिर्फ पत्थर पर नाम न बनने दें. बल्कि, हर दिल में इज्जत और हर नीति में सुरक्षा का स्थान दें. हमारे वनकर्मी दिन-रात जंगलों में गश्त करते हैं. टाइगर, हाथी, लेपर्ड जैसे खतरनाक जानवरों से सीधा सामना करते हैं. कई बार ये टकराव जानलेवा साबित होता है, लेकिन इनका जज्बा कम नहीं होता. ये हर मौसम, हर खतरे के बीच डटे रहते हैं.” ऐसा विकास भला किस काम का, जो अबोलों की एक आबाद दुनिया को उजाड़ कर दूसरी दुनिया बसाई जाये।. *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*

Share6SendTweet4
Previous Post

उच्च शिक्षा को लेकर नई पहल: इंटर कॉलेजों में जाकर छात्रों को किया प्रेरित

Next Post

धाम यात्रा 2025: पहले तीन सप्ताह में श्रद्धालु संख्या में 21% की गिरावट – एसडीसी फाउंडेशन

Related Posts

उत्तराखंड

मुख्यमंत्री ने किया 112 करोड़ की योजनाओं का लोकार्पण शिलान्यास

December 12, 2025
9
उत्तराखंड

उत्तराखंड की कौणी विलुप्त होती फसल

December 12, 2025
9
उत्तराखंड

गुलदार प्रभावित क्षेत्रों में बच्चों की सुरक्षा कड़ी, जिलाधिकारी ने बनायी समन्वित कार्ययोजना

December 12, 2025
7
उत्तराखंड

कार दुर्घटना में तीन लोगों की मौत के बाद चौड़ गांव में छाया मातम

December 12, 2025
6
उत्तराखंड

देवाल क्षेत्र में कोटेड़ा-मोपाटा मोटर सड़क पर कार दुर्घटना में दो महिलाओं समेत तीन की मौत

December 12, 2025
5
उत्तराखंड

25 साल बाद दीवार पत्रिका को मिला औपचारिक स्वरूप

December 12, 2025
7

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    67546 shares
    Share 27018 Tweet 16887
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    45762 shares
    Share 18305 Tweet 11441
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    38038 shares
    Share 15215 Tweet 9510
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    37427 shares
    Share 14971 Tweet 9357
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    37310 shares
    Share 14924 Tweet 9328

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

मुख्यमंत्री ने किया 112 करोड़ की योजनाओं का लोकार्पण शिलान्यास

December 12, 2025

उत्तराखंड की कौणी विलुप्त होती फसल

December 12, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.