देहरादून। जिले के अंतर्गत लच्छीवाला रेंज शुरू से ही वन माफियाओं के निशाने पर रहा है। डोईवाला-देहरादून मुख्य मार्ग पर स्थित इन रेंज पर हमेशा नेताओं तथा बड़े अफसरों के लिए वन माफिया काम करते रहे हैं, जिसमें वन कर्मियों का भी सहयोग मिलता रहा है।
अब दूधली तथा नागलज्वालापुर बीट वन माफियाओं के निशाने पर है। दूधली मार्ग देहरादून से जुड़ जाने के बाद भी कहीं इस मार्ग पर वन चैकी नहीं बनी है, इसलिए भी वन माफिया बेरोकटोक वन संपदा का दोहन करने में लगे हैं। इन वन बीटों के जंगल जो कभी घने और संपन्न हुआ करते थे, वे लगातार खाली होते जा रहे हैं।
इसके लिए वन माफिया-गुर्जरों-वन कर्मियों का गठजोड़ जिम्मेदार माना जा रहा है। स्वार्थबश जिन्हें नेताओं तथा बड़े अफसरों का संरक्षण मिला हुआ है। झड़ोद के सामने के जंगल में कभी साल के घने जंगल हुआ करते थे, लेकिन अब कई स्थानों पर खुला मैदान हो गया है। गुर्जर साज के पेड़ों की पत्तियां तो काटते ही हैं, अब छोटे-छोटे साल के पेड़ों को काटकर उनकी पत्तियां भी जानवरों को खिलाई जा रही है।
जंगल में चारों पर पेड़ों के कटे हुए ठूंठ दिखाई देते हैं। कुछ ताजे कटे हैं तो कुछ पुराने कटे हुए हैं। इस चक्कर में जंगल पेड़ों से रहित होते जा रहे हैं। सत्तीवाला से पहले जंगल से लगे प्लाट में कभी खैर के पेड़ों का एक संपन्न जंगल हुआ करता था। इस क्षेत्र में गुज्जरों को बसा दिया गया है, उन्होंने इस पूरे जंगल को इस कदर बर्बाद कर दिया है कि वहां अब खैर के बहुमूल्य पेड़ों के सिर्फ सूखे ठूंठ ही दिखाई देते हैं।
इतना ही नहीं वन क्षेत्र में कब्र बनाने पर प्रतिबंध है। झड़ोंद बस स्टेंड के सामने सागौन के प्लाट में अभी नई बनाई सिमेंटेड कब्र देखी जा सकती है। निकट रहने वाले कर्नल जेएस बसेड़ा कहते हैं कि यह कब्र पहले तो नहीं थी, हाल ही में शायद इसे बनाया गया है, इसके राजनीतिक तथा धार्मिक मकसद भी हो सकते हैं। जिसके चारों पर सफाई की गई है।
कब्र से लगे सागौन के तीन पेड़ों को सुखा दिया गया है, अन्य पेड़ों की जड़ें भी सफाई कर खाली की जा रही हैं, जो कभी भी सूख सकते हैं। सूखे ठूंठ कब्र के सामने खड़े दिखाई देते हैं।
पर्यावरण संतुलन तथा मौसम परिवर्तन की बात करने वाले राज्य की अस्थायी राजधानी से लगे संपन्न जंगलों की सुरक्षा करने में नाकाम हो रहे हैं। राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी वन गुज्जरों को वनों से हटाने में विफल रही है। इससे वन विनाश लगातार बढ़ता जा रहा है।
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