फोटो-धरनास्थल पर हई सभा को संबोधित करते पालिकाध्यक्ष शैलेन्द्र पंवार ।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। आॅल वैदर रोड को जोशीमठ से होते हुए निर्मित किए जाने की मंाग को लेकर सीमांत नगरवासियों को धरना जारी रहा। धरने में मारवाडी वार्ड के नागरिकों के साथ ही संघर्ष समिति के पदाधिकारी भी शामिल हुए।
आद्य जगदगुरू शंकराचार्य की तपस्थली ज्योर्तिमठ एवं भगवान नृसिंह-नवदुर्गा के सिद्धपीठ जोशीमठ को बदरीनाथ यात्रा मार्ग से अलग-थलग करने के सरकार के प्रयासों के खिलाफ सीमांत नगरवासी आंदोलित है। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के नेतृत्व मे नगर पालिका के वार्ड वार क्रमिक धरना जारी हैं। वार्डो के महिला/पुरूषो के अलावा बडी संख्या मे अन्य नगरवासी भी धरने मे सरीक हो रहे है।
सडक परिवहन मंत्रालय एव रक्षा मंत्रालय द्वारा जोशीमठ से 13किमी0पहले जोशीमठ को हमेशा के लिए यात्रा मार्ग से कट करते हुए एक सडक का निर्माण प्रस्तावित है। इसके लिए वन विभाग व राजस्व विभाग से संबधित सभी प्रक्रियाएं पूरी करते हुए सडक परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा विज्ञप्ति जारी कर आपत्तियाॅ भी मांगी जा चुकी है। और उसके तुरंत बाद जनसुनवाई वाला कार्यक्रम भी पूरा कर लिया गया है। सरकारो की उक्त मार्ग निर्माण मे तेजी को देखते हुए पूरा सीमांत नगर आक्रोषित है। और लबंे आंदोनल की रूपरेखा तैयार कर आंदोलन की शुरूवात भी कर ली गई है।
अनादिकाल से श्री बदरीनाथ यात्रा जोशीमठ से होते हुए ही हुई हैं, जो पैदल यात्रा से लेकर अब तक बदस्तूर जारी है। ज्यार्तिमठ-जोशीमठ से बदरीनाथ यात्रा संचालित करने की पीछे धार्मिक पक्ष भी जिसका वर्णन केदारखंड मे भी वर्णित है कि जोशीमठ स्थित भगवान नृसिंह के दर्शनो के बाद भगवान बदरीनारायण की यात्रा को सफल माना गया है। सनातन धर्मावलबियों द्वारा आज भी इस धार्मिक पंरपरा का निर्वहन किया जा रहा है। लेकिन यदि जोशीमठ को ही यात्रा मार्ग से कट कर दिया जाऐगा तो तीर्थयात्री भगवान नृसिंह के दर्शनो से भी बंचित होगे और एक मान्य धार्मिक परंपरा की भी अवहेलना होगी।
सीमांत नगर जोशीमठ से न केवल बदरीनाथ व माणा पास का मार्ग है ब्लकि नीती घाटी के दर्जनो गाॅवो के साथ बडाहोती, लफथल, व नीती दर्रे तक का भी मार्ग है। जो नीती दर्रे के लिए बेहद सुगम है। लेकिन जोशीमठ की अनदेखी कर सडक का निर्माण किया जाता है तो न केवल जोशीमठ ब्लकि नीती घाटी के लोगो को भी भारी दिक्कतो का सामना करना पडेगा।
बहहरहाल बीते रोज हुई जनसुनवाई भी स्थानीय जनमानस द्वारा तीन विकल्प सुझाए गए है। और अब सरकारे इस पर अपना क्या रूख दिखाती है। इस पर आंदोलन की गति भी निर्भर रहेगी।