देहरादून, 25 जुलाई, 2025। आज शाम दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र और एलेफ बुक कंपनी की ओर से प्रसिद्ध लेखक स्टीफन ऑल्टर की पुस्तक द ग्रेटेस्ट गेम का लोकार्पण किया गया और इसके बाद अक्षय शाह के साथ पुस्तक के विविध पक्षों पर सार्थक बातचीत का आयोजन किया गया।
पुस्तक के बारे में चर्चा के दौरान यह बात सामने आयी कि ऑल्टर की कथा लेखन शैली बहुत आकर्षक और प्रभावशाली है। वे कथानक के सामान्य और विशेष पात्रों को घटनाक्रम और परिस्थितियों के साथ दक्षता के साथ चित्रित करने में सफल रहते हैं. इन कारणों से कथा / उपन्यास पठनीय बनने की दिशा में पहुंच जाता है।
विषय वस्तु की दृष्टि से देखें तो ग्रेटेस्ट गेम 1947 में भारत की स्वतंत्रता के समय को दर्शाता है. किम नाम क एक अनुभवी जासूस है वह एक जटिल भूमिका का निर्वहन करता है । यह एक और ब्रिटिश सरकार के लिए तो दूसरी तरफ भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहे लोगों का समर्थन करता दीखता है। उपन्यास में किम के विविध चरित्र, उसकी वफादारी के साथ-साथ भारत के बदलते राजनीतिक परिवेश के मध्य उसके द्वारा किया संघर्ष साफ तौर से प्रकट होता है।
स्टीफन ऑल्टर बीस से ज़्यादा काल्पनिक और गैर-काल्पनिक पुस्तकों के लेखक हैं। गैर-काल्पनिक कृति, वाइल्ड हिमालया: ए नेचुरल हिस्ट्री ऑफ़ द ग्रेटेस्ट माउंटेन रेंज ऑन अर्थ, को पर्वतीय पर्यावरण और प्राकृतिक इतिहास श्रेणी में 2020 का बैनफ़ माउंटेन बुक अवार्ड मिला। उनके संस्मरण, बिकमिंग अ माउंटेन: हिमालयन जर्नीज़ इन सर्च ऑफ़ द सेक्रेड एंड द सबलाइम, ने हिमालयी साहित्य के लिए केकू नौरोजी पुस्तक पुरस्कार जीता। जिम कॉर्बेट पर आधारित उपन्यास, इन द जंगल्स ऑफ़ द नाइट, दक्षिण एशियाई साहित्य के लिए डीएससी पुरस्कार के लिए चुना गया था। उनकी नवीनतम कृतियों में द कोबराज़ गेज: एक्सप्लोरिंग इंडियाज़ वाइल्ड हेरिटेज, डेथ इन शैम्बल्स: ए हिल स्टेशन मिस्ट्री, और बर्डवॉचिंग: ए नॉवेल शामिल हैं, जिसने 2023 ग्रीनलिटफेस्ट बुक ऑफ़ द ईयर का पुरस्कार जीता। ऑल्टर ने मिस्र के काहिरा स्थित अमेरिकी विश्वविद्यालय में पढ़ाया है, जहाँ वे सात वर्षों तक लेखन कार्यक्रम के निदेशक रहे। इसके बाद, वे दस वर्षों तक एमआईटी में राइटर-इन-रेजिडेंस रहे। उन्हें मिले सम्मानों में गुगेनहाइम फ़ाउंडेशन, फुलब्राइट प्रोग्राम, हवाई के ईस्ट-वेस्ट सेंटर और बैन्फ़ सेंटर फ़ॉर माउंटेन कल्चर से फ़ेलोशिप शामिल हैं।
चर्चा के बाद सभागार मे आये लोगों ने इस पुस्तक पर विविध सवाल – जबाब भी किये.
कार्यक्रम में विभा पुरी दास, निकोलस हॉफलैण्ड, चन्द्रशेखर तिवारी,सविता पंवार, मुकेश बहुगुणा, सुंदर सिंह विष्ट, नादिर बिल मोरिया,अजय शर्मा,मीनाक्षी भट्टाचार्य, लोकेश ओहरी, भूमेश भारती, बिजू नेगी,हरमाला गुप्ता, अनिता सरन, दीपांकर,डॉ. वाई भट्टाचार्य, अरुण सिंघल, शैला, अरविन्दर सिंह,यशस्विनी बुटोला,एस.एस. रसायली, हिमांशु आहूजा व मालविका चौहान सहित अनेक प्रबुद्ध जन, लेखक, साहित्यकार, पाठक और साहित्यप्रेमी व्यक्ति उपस्थित रहे.