उरगम घाटी, ज्योर्तिमठ। एक महत्वकांक्षी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना सैजी-लगा-मैंकोट जो लगभग 32 किलोमीटर सड़क बनी थी, इस सड़क को गोपेश्वर जिला मुख्यालय के गांव मैंकोट गैराड होते हुए स्यूँण डुमक होते कलगोठ पहुंचना था, कछुए गति की चाल से यह सड़क बन रही है। लंबे समय से निर्माणाधीन है, कुछ जगह सड़क बनी है, कुछ जगह आधा अधूरी छोड़ दिया गया है।
वहीं दूसरी तरफ भारत सरकार वन मंत्रालय के अनुसार स्वीकृति के बाद भी मानकों को ताक पर रखकर कार्य किया जा रहा है। इस प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी चमोली हिमांशु कुमार खुराना ने मोटर मार्ग में ठेकेदार के द्वारा मनमाने ढंग से एलाइनमेंट बदलने के संबंध में पूर्व प्रधान स्यूँण उत्तराखंड आंदोलनकारी बहादुर सिंह रावत समेत 4 लोगों की शिकायत पर एक जांच कमेटी का गठन किया है, जिसमें जांच कमेटी का अध्यक्ष आनंद सिंह पूर्व निदेशक जिला विकास अभिकरण चमोली, ग्रामीण निर्माण विभाग चमोली के अधिशासी अभियंता ई अल्लादिया को सदस्य बनाया गया है।
इसके अलावा शिकायत करने वाले ग्रामीणों के साथ भी जांच के दौरान वार्ता करने की जिलाधिकारी ने आदेश दिए हैं। जिलाधिकारी के द्वारा 7 मार्च 2022 को अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा है कि पूरे तथ्यों के साथ जांच की जाए, अधिशासी अभियंता पीएमजीएसवाई पोखरी को सभी अभिलेख जांच समिति को उपलब्ध कराने को कहा गया है। आज शिकायतकर्ता पूर्व प्रधान बहादुर सिंह रावत ने बताया कि 9 अप्रैल 2022 को जांच समिति के द्वारा इस सड़क की जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि ठेकेदार एवं पीएमजीएसवाई पोखरी के द्वारा मिलीभगत से मानक के के अनुरूप काम नहीं किया जा रहे हैं और गांव में साजिश के तहत डुमक गांव को मोटर मार्ग से वंचित किया जा रहा है, जबकि इस गांव को पहले जोड़ा जाना चाहिए, उसके बाद सड़क दूसरे गांव में आनी चाहिए।
सड़क का एलाइनमेंट ठेकेदार के द्वारा मनमर्जी से तय किया जा रहा है। यह महत्वपूर्ण सड़क मात्र गांव को जोड़ने वाली सड़क नहीं है, बल्कि पंच केदार की रुद्रनाथ कल्पेश्वर केदारनाथ को भी जोड़ने का काम कर सकती है, किंतु ठेकेदारों एवं विभागीय मिलीभगत के कारण यह सड़क कागजों में ही बन रही है। धरातल पर इसका काम बहुत धीमी गति से चल रहा है। वर्ष 2017 कि विधानसभा चुनाव में भी यहां के लोगों ने चुनाव बहिष्कार किया था। इसके अलावा पंचायत चुनाव में भी लोगों ने चुनाव बहिष्कार किया। चुनाव बहिष्कार से खांसी सफलता तो नहीं मिली, फिर भी लोग संघर्षरत हैं। डूमक गांव के पूर्व प्रधान प्रेम सिंह सनवाल ने इस प्रकरण को उत्तराखंड हाई कोर्ट में भी जनहित याचिका दायर की थी। कोर्ट के आदेश के बावजूद ठेकेदार एवं विभाग के द्वारा काम पूरा नहीं किया गया। जिलाधिकारी को दिए गए जांच हेतु प्रार्थना पत्र में 5 गांव उसके प्रधानों के हस्ताक्षर हैं।