कमल बिष्ट।
कोटद्वार। आर्य गिरधारीलाल महर्षि दयानंद ट्रस्ट पंजीकृत कोटद्वार के तत्वाधान में एक मीटिंग का आयोजन ट्रस्ट के संस्थापक निदेशक स्वर्गीय डॉण् मंगलदेव ध्यानी की आठवीं पुण्यतिथि के अवसर पर कर्मबीर जयानन्द भारतीय पुस्तकालय सिमलचौड़ में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ स्वर्गीय डॉ मंगलदेव ध्यानी के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित व पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया। सभा की अध्यक्षता वरिष्ठ समाजसेवी सत्यप्रकाश थपलियाल ने व संचालन ट्रस्ट के सदस्य कैप्टन पीण्एलण् खंतवाल से नि ने किया। इस अवसर पर समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए समाजसेवी सुरेन्द्र लाल आर्य व साहित्य के लिए वयोवृद्ध चक्रधर कुकरेती को डॉ मंगलदेव ध्यानी स्मृति सम्मान. 2022 से सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह व सम्मान पत्र भेंट किये गए।
ट्रस्ट के अध्यक्ष सुरेन्द्र लाल आर्य ने डॉ मंगलदेव ध्यानी के साथ बीते क्षणों को साझा करते हुए कहा कि वे लंबे वक्त तक आर्य उप प्रतिनिधि सभा गढ़वाल के संरक्षक रहेए तथा आर्य समाज के प्रत्येक कार्यक्रम में बढ़ चढ़ कर भाग लेते थेए भारतीय दलित साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा उन्हें महात्मा ज्योतिबा फूले नेशनल फेलोशिप अवार्ड. 2010 से सम्मानित किया गया था, साथ ही महर्षि दयानन्द सरस्वती स्मृति सम्मान सहित अनेकों सम्मानों से सम्मानित थे।
विशिष्ट अतिथि आर्य समाज कोटद्वार के पूर्व प्रधान आशुतोष वर्मा ने कहा कि डॉ मंगलदेव ध्यानी आर्य समाज कोटद्वार के सक्रिय सदस्य थेए वे आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती के अनुयायी थे।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर नन्दकिशोर ढौंडियाल डीण् लिट् ने कहा कि डॉण् मंगलदेव ध्यानी जीवन भर भरत नगर चरेख़ में जड़ी बूटी शोध संस्थान एवं कोटद्वार भाबर में सिंचाई के लिए गंग नहर लाने की लड़ाई लड़ते रहे, वे 90 वर्ष की अवस्था मे अस्वस्थ होने के बाबजूद भी पौड़ी ज़िले की समस्त 15 ब्लॉकों में जाकर उनका मार्गदर्शन किया करते थे। वे उत्तर प्रदेश सरकार में जड़ीबूटी शोध संस्थान के सलाहकार भी रहे। कैप्टन पीण्एलण् खंतवाल ने उन्हें बहुआयामी प्रतिभा का धनी बताया जो विपरीत परिस्थितियों में भी समाज को दिशा देने का कार्य करते थे। सभा को अनिल ध्यानी, डॉ नन्दकिशोर ढौंडियाल, अरुण, सत्यप्रकाश थपलियाल, आशुतोष वर्मा, शूरबीर सिंह खेतवाल, शिवकुमार, विकास आर्य, जनार्दन बुडाकोटी व अंकित बिंजौला ने संबोधित किया।