• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar
No Result
View All Result

इको-सेंसेटिव जोन में गंगोत्री तक हटाए जाएंगे हजारों पेड़!

09/12/25
in उत्तराखंड, देहरादून
Reading Time: 1min read
9
SHARES
11
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter
https://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/11/Video-60-sec-UKRajat-jayanti.mp4

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में चार धाम रोड के चौड़ीकरण परियोजना को लेकर पेड़ों के काटे जाने के निर्णय का विरोध शुरू हो गया है। पर्यावरणविद, वैज्ञानिक विशेषज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता, एक्टिविस्ट और दिल्ली, बिहार और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के लोग रविवार को उत्तरकाशी के पास हर्षिल में इकट्ठा हुए। ये लोग चार धाम ऑल-वेदर रोड प्रोजेक्ट के तहत सड़क चौड़ी करने के काम के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे थे। ‘हिमालय है तो हम हैं’ यात्रा के तहत इकट्ठा होकर लोगों ने प्रोजेक्ट के तहत काटे जाने वाले देवदार के पेड़ों की पूजा की। उनके तनों पर रक्षा सूत्र बांधकर उनकी रक्षा करने का वादाकिया।हर्षिल में जुटे लोगों ने बताया कि इलाके में चौड़ीकरण के काम के तहत 6000 से ज्यादा पेड़ काटे जाने के लिए चुने गए हैं। इनमें से कई दशकों पुराने पेड़ हैं। शनिवार को शुरू हुई यह यात्रा सितंबर में सीनियर भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी और पुराने कांग्रेस लीडर करण सिंह के साथ ही 50 से अधिक जाने-माने सिविल सोसाइटी मेंबर्स की अपील के बाद हो रही है। इन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से रिक्वेस्ट की थी कि वह चार धाम प्रोजेक्ट के तहत हिमालय की सड़कों को 5.5 मीटर से अधिक चौड़ा करने की अनुमति देने वाले अपने 2021 के आदेश का रिव्यू करे।सिविल सोसायटी मेंबर्स ने चेतावनी दी थी कि बिना सेफगार्ड्स के प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने से भागीरथी इको-सेंसिटिव जोन में ऐसा इकोलॉजिकल डैमेज हो सकता है, जिसे ठीक नहीं किया जा सकता। यह हाल ही में धराली में हुए हादसे की जगह है। तत्कालीन सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई को भेजी गई अपील में कहा गया था कि डिफेंस ग्राउंड्स पर सही ठहराई गई डबल-लेन सड़क, इस बहुत नाजुक हिस्से में ऐसा नुकसान पहुंचाएगी, जिसे टाला जा सकता है।सोसायटी सदस्यों की नवंबर में दिल्ली में एक पब्लिक मीटिंग हुई, जिसने रविवार की यात्रा का माहौल तैयार किया। इस मीटिंग में उठाई गई मुख्य चिंताओं में से एक यह थी कि राज्य के फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने हाल ही में भागीरथी इको-सेंसिटिव जोन के भीतर 20.6 किलोमीटर के हिस्से को चौड़ा करने के लिए लगभग 42 हेक्टेयर फॉरेस्ट लैंड को नॉन-फॉरेस्ट्री कामों के लिए इस्तेमाल करने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। विरोध में शामिल लोगों ने हर्षिल से 15 किलोमीटर के अंदर बसे धराली गांव में आई अचानक आई बाढ़ को याद दिलाया। दिल्ली से वर्चुअली मीटिंग को संबोधित करते हुए मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि हमारी यात्रा नेशनल सिक्योरिटी के खिलाफ नहीं है। असल में, हमारा मानना है कि देश तभी सुरक्षित रह सकता है जब हिमालय सुरक्षित रहेगा। हिमालय का विकास, सुरक्षा और संरक्षण आपस में जुड़े हुए हैं और इन्हें अलग-अलग नहीं देखा जा सकता। इसलिए, यह यात्रा राष्ट्रीय, वैश्विक, इकोनॉमिकली और स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है।मुरली मनोहार जोशी ने कहा कि हिमालय पूरे देश की जिम्मेदारी है। यह केवल उत्तराखंड की जिम्मेदारी नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर हिमालय है, तो देश है। हिमालय की रक्षा करना दुनिया की रक्षा करना है। अगर हम इसे बचाने में नाकाम रहे तो विश्व गुरु बनने का सपना टूट जाएगा।यात्रा में शामिल होने वाले दूसरे जाने-माने लोगों में RSS के जॉइंट जनरल सेक्रेटरी कृष्ण गोपाल, सोशल एक्टिविस्ट गीता गैरोला ने हिमालय और गंगा के लिए लिखा अपना एक गाना गाया। सिविल सोसाइटी के सदस्य सुरेश भाई, आयुष जोशी, गोपाल आर्य, पूरन रावत, हेमंत ध्यानी और कल्पना ठाकुर इसमें मुख्य रूप से शामिल थे। हिमालय के चार पवित्र तीर्थस्थलों की तीर्थयात्रा, चार धाम यात्रा , की लोकप्रियता बढ़ रही है। दूरदराज के पवित्र तीर्थस्थलों को जोड़ने वाली हर मौसम में चलने वाली सड़कों की परिकल्पना वाली राजमार्ग परियोजना, राज्य के पर्यटन को बढ़ावा देने वाली मानी जा रही है। लेकिन सवाल यह है कि किस कीमत पर?वे दिन गए जब तीर्थयात्राएँ जीवन के आध्यात्मिक आयाम में गहराई से उतरने के निमंत्रण के रूप में की जाती थीं। तीर्थयात्री मार्ग में आने वाली बाधाओं को ‘परीक्षाओं’ के रूप में स्वीकार करते थे जो उन्हें ईश्वर के निकट ले जाती थीं। अंतिम उद्देश्य अनिवार्य रूप से अपने अहंकार का परित्याग और ईश्वरीय इच्छा के समक्ष गहन समर्पण था। इसलिए, ऐसे स्थानों को, जहाँ जाना कठिन था, आदर्श माना जाता था क्योंकि वहाँ की यात्राएँ, अधिमानतः पैदल, गहन चिंतन, मनन और उत्कट प्रार्थनाओं के लिए पर्याप्त समय और संभावनाएँ प्रदान करती थीं। आधुनिक तीर्थयात्राएँ तीर्थयात्राओं को केवल पवित्र तीर्थस्थलों के ‘दर्शन’ तक सीमित कर देती हैं, और मार्ग के महत्व को पूरी तरह से नकार देती हैं – केवल अंत में स्थित पवित्र गंतव्य ही महत्वपूर्ण होता है। यह अपने आप में कोई समस्या नहीं है, लेकिन धर्म और अध्यात्म के प्रति इस उपयोगितावादी दृष्टिकोण के कारण तीर्थयात्रा का सार ही छिन सकता है और यह न केवल एक व्यंग्य बन सकता है, बल्कि इस भूमि की आध्यात्मिक पवित्रता पर एक गंभीर कलंक भी बन सकता है।भारतीय धार्मिक परंपराओं ने प्रकृति को सदैव अत्यंत सम्मान दिया है। शुद्ध प्राकृतिक परिवेश में व्याप्त दिव्यता और दिव्य सार को शायद ही कोई नकार सकता है। धरती माता से बढ़कर दिव्य माँ का साकार रूप और क्या हो सकता है? पारिस्थितिक रूप से बहुमूल्य हिमालयी भूभागों को उनके आत्मिक, आध्यात्मिक सार से वंचित करके केवल आर्थिक संसाधन समझना हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का एक गंभीर उल्लंघन है। मंदिरों में नदी देवियों की पूजा करना पाखंड माना जाएगा यदि पूजा से जुड़े धार्मिक तामझाम, अनुष्ठान और संबंधित रीति-रिवाज ही उनके प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत बन जाएँ। ‘विकास’ के नाम पर प्रकृति का अंधाधुंध अपमान अंततः असंतुलित है, क्योंकि गंभीर पर्यावरणीय क्षति की दीर्घकालिक लागत प्राकृतिक संसाधनों के अनुचित दोहन से अर्जित अल्पकालिक व्यावसायिक लाभों से कहीं अधिक है। तीर्थयात्राओं के आध्यात्मिक लाभ के नाम पर प्रकृति का ऐसा अपमान वास्तव में हृदयविदारक है। हम अपने पवित्र ग्रंथों में वर्णित सिद्धांतों के अनुसार जीवन जीना सीखें, हम प्रकृति का – जो शक्ति का सच्चा स्वरूप है – मंदिरों की अपेक्षा हरे-भरे जंगलों, पहाड़ों और नदियों में अधिक सम्मान करना सीखें, जो हमें उसकी कृपा से प्राप्त हुए हैं, विकास के हमारे विचार और आकांक्षाएं पर्यावरण संरक्षण में भी गहराई से निहित हों, ईश्वर हमारे मन को प्रकाशित करें और विकास संबंधी मुद्दों से निपटने के लिए नवीन, पर्यावरण अनुकूल तरीकों की खोज करने के लिए हमारे हृदयों को खोलें। धराली के ग्रामीणों ने कलक्ट्रेट से भटवाड़ी रोड तक जुलूस प्रदर्शन किया. धराली आपदा संघर्ष समिति के अध्यक्ष ने कहा कि दिल्ली में बैठे कुछ चंद लोग अपने निजी फायदे के लिए गंगोत्री हाईवे के चौड़ीकरण का विरोध कर रहे हैं. इन लोगों के द्वारा यह प्रचारित किया जा रहा है कि झाला से भैरोंघाटी तक सात हजार देवदार के पेड़ कटान की जद में आ रहे हैं. जबकि वन विभाग व बीआरओ के सर्वे में मात्र 3500 पेड़ों का ही आकलन किया गया है. इसमें भी ज्यादातर उनके सेब, अखरोट व चीड़ आदि प्रजाति के पेड़ शामिल हैं. उत्तरकाशी से गंगोत्री सड़क चौड़ीकरण के नाम पर वृक्षों को काटे जाने पर नाराजगी जाहिर करते हैं. उनका कहना है कि पर्यावरण को लेकर लगातार संतुलन की स्थिति बनी हुई है और इसके बावजूद यदि राज्य और केंद्र सरकार किस तरह पेड़ों को काटने में भी गुरेज नहीं कर रही है तो यह बेहद चिंताजनक विषय है. इधर बड़ी संख्या में पेड़ों को हटाए जाने की खबर सामने आने के बाद पर्यावरण प्रेमियों और सामाजिक संगठनों की ओर से विरोध के सुर तेज हो गए हैं. मामला राज्यसभा तक भी पहुंच चुका है, जहां छत्तीसगढ़ की एक सांसद ने इस मुद्दे को उठाकर केंद्र सरकार को पर्यावरण संरक्षण के सवाल पर घेरने की कोशिश की है.  उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री तक सड़क चौड़ीकरण का बहुप्रतीक्षित प्रस्ताव अब धरातल पर उतरने की दिशा में बढ़ता नजर आ रहा है. सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माने जा रहे इस प्रोजेक्ट को विभिन्न स्तरों से मंजूरी मिल चुकी है. लेकिन इस विकास परियोजना के साथ ही एक बड़ा पर्यावरणीय संकट भी जुड़ गया है. इको-सेंसेटिव जोन में आने वाले इस क्षेत्र में कुल 6822 पेड़ों को या तो काटा जाएगा या फिर उनका ट्रांसलोकेशन किया जाएगा, जिसको लेकर पर्यावरण प्रेमियों में गहरी नाराजगी देखी जा रही है. केंद्र सरकार की उत्तराखंड को दी गई बड़ी सौगात आल वेदर रोड परियोजना की सड़क का कुछ हिस्सा भागीरथी इको सेंसेटिव जोन से होकर गुजरना है। इसके अलावा नमामि गंगे परियोजना के साथ ही सुरक्षा के लिहाज से भी सड़क आदि के कार्य प्रस्तावित हैं, लेकिन इसमें सेंसेटिव जोन के नियम कायदे आगे आ रहे हैं। हालांकि, राज्य सरकार ने पूर्व में नियमों में शिथिलता का आग्रह करते हुए भागीरथी इको सेंसेटिव जोन का जोनल मास्टर प्लान तैयार कर पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को भेज दिया था। हालांकि यह पूरी सड़क इको-सेंसेटिव जोन के अंतर्गत आती है, जहां बड़े निर्माण कार्य और पेड़ कटान पर सामान्यतः प्रतिबंध रहता है. इसके बावजूद भागीरथी इको-सेंसेटिव जोन समिति से लेकर शासन स्तर तक सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं और अब परियोजना को हरी झंडी मिल चुकी है. इधर बड़ी संख्या में पेड़ों को हटाए जाने की खबर सामने आने के बाद पर्यावरण प्रेमियों और सामाजिक संगठनों की ओर से विरोध के सुर तेज हो गए हैं. सांसद ने राज्यसभा ने कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री कहते हैं, एक पेड़ मां के नाम लगाओ और दूसरी तरफ विकास का झूठा ढकोसला देकर लाखों पेड़ काटे जाते हैं. उन्होंने बताया कि इस सदन में पर्यावरण से लेकर रक्षा मंत्री तक ने आश्वासन दिया था कि वो देवदार के पेड़ों की नहीं कटने देंगे. लेकिन अब वहां से रिपोर्ट आ रही है कि भागीरथी के पास इको-सेंसेटिव जोन में भी 6 हजार पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी गई है. गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण के कारण झाला से जांगला तक 6000 देवदार पेड़ों के काटे जाने की आशंका है। वन विभाग और बीआरओ ने पेड़ों को चिह्नित किया है जिस पर पर्यावरणीय संगठन विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ेगा। वन विभाग ने अभी कटाई का आदेश जारी नहीं किया है। यदि उच्च हिमालय में चारधाम ऑल वेदर रोड के नाम पर इतनी भारी तादात में पेड़ और पहाड़ काटे जाएंगे तो निश्चित ही लैंडस्लाइड की घटनाएं बढ़ेगी चारधाम ऑल वेदर रोड परियोजना निश्चित रूप से एक महत्वाकांक्षी और दूरदर्शी योजना है जो उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा के लिए जरूरी है। लेकिन इसके पर्यावरणीय खतरों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। एक ऐसा संतुलन जरूरी है जहां विकास भी हो और प्रकृति भी सुरक्षित रहे। उत्तराखंड के नाजुक हिमालयी भूगोल में “विकास” का मतलब सिर्फ सड़कें नहीं, बल्कि सतत और सुरक्षित भविष्य भी होना चाहिए।. गंगोत्री मार्ग भगीरथी नदी के पारिस्थितिकी तंत्र के करीब है। सड़क निर्माण, मलबा डालना और बढ़ती मानव गतिविधि नदी की धारा, जलप्रवाह और भूजल स्तर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। इससे बाढ़, फलेश फ्लड और नदी तट का अपरिवर्तनीय क्षरण हो सकता है। हाल के वर्षों में, भूस्खलन और अचानक बाढ़ की घटनाओं ने परियोजना की संवेदनशीलता को उजागर किया है। पर्यावरण विशेषज्ञ और स्थानीय निवासी चेतावनी दे रहे हैं कि अनियंत्रित सड़क निर्माण और वन भूमि का अवैध उपयोग आपदा के खतरे को बढ़ा सकता है। इस परियोजना के पीछे एक गहरा संघर्ष है विकास और हिमालय की संवेदनशील पारिस्थितिकी तथा स्थानीय जीवनशैली के बीच। समर्थक तर्क देते हैं कि सड़क सुविधा तीर्थयात्रियों और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, जबकि आलोचक इसे दीर्घकालिक पर्यावरणीय असंतुलन और आपदा जोखिम के रूप में देखते हैं। *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं*

Share4SendTweet2
Previous Post

संकट के सबक, पायलटों की कमी से मानव संसाधन प्रबंधन पर उठे सवाल

Next Post

गीत से राष्‍ट्रगीत बनने की ‘वंदे मातरम्’ की अनोखी कहानी

Related Posts

उत्तराखंड

मुख्यमंत्री ने किया 112 करोड़ की योजनाओं का लोकार्पण शिलान्यास

December 12, 2025
5
उत्तराखंड

उत्तराखंड की कौणी विलुप्त होती फसल

December 12, 2025
5
उत्तराखंड

गुलदार प्रभावित क्षेत्रों में बच्चों की सुरक्षा कड़ी, जिलाधिकारी ने बनायी समन्वित कार्ययोजना

December 12, 2025
4
उत्तराखंड

कार दुर्घटना में तीन लोगों की मौत के बाद चौड़ गांव में छाया मातम

December 12, 2025
4
उत्तराखंड

देवाल क्षेत्र में कोटेड़ा-मोपाटा मोटर सड़क पर कार दुर्घटना में दो महिलाओं समेत तीन की मौत

December 12, 2025
4
उत्तराखंड

25 साल बाद दीवार पत्रिका को मिला औपचारिक स्वरूप

December 12, 2025
2

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    67545 shares
    Share 27018 Tweet 16886
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    45762 shares
    Share 18305 Tweet 11441
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    38038 shares
    Share 15215 Tweet 9510
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    37427 shares
    Share 14971 Tweet 9357
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    37310 shares
    Share 14924 Tweet 9328

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

मुख्यमंत्री ने किया 112 करोड़ की योजनाओं का लोकार्पण शिलान्यास

December 12, 2025

उत्तराखंड की कौणी विलुप्त होती फसल

December 12, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.