जौरासी, पिथौरागढ़। जीआईसी जौरासी में राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय जौरासी की प्रभारी चिकित्साधिकारी डा.बीना बोरा द्वारा बालिकाओं हेतु स्वास्थ्य षिविर का आयोजन किया गया। इस दौरान स्वच्दता एवं किषोरियों को किषोरावस्था में होने वाले शारीरिक एवं मानसिक परिवर्तनों के बारे में जानकारी दी गई। इस दौरान 49 किशोरियों को जानकारी दी गई।
इस दौरान डा.बीना बोरा ने बालिकाओं को बताया कि यह अवस्था जीवन का सबसे नाजुक दौर होता है। इस अवस्था में हारमोंस की वजह से मनोवैज्ञानिक, शारीरिक एवं मानसिक बदलाव होते हैं। षरीर के अंगों में तमाम परिवर्तनों के साथ उनके व्यवहार में भी परिवर्तन आने लगता है। किशोरिय वंदिषों में नहीं रहना चाहती हैं, परिवार से इतर रहकर खुलकर व्यवहार करती हैं। इस दौर में भावनाओं में जल्दी बह जाती हैं। इससे नषे की प्रवृत्ति एवं गलत आदतों के संपर्क में आसानी से आ जाते हैं, जो उनके स्वास्थ्य एवं कैरियर को गंभीर रूप से प्रभावित करने वाले होते हैं। इस उम्र में किषोरों के बीमार होने की संभावनाएं भी ज्यादा बढ़ जाती है। किषोरियों में डिप्रेषन हिस्टेरिया जैसी मानसिक बीमारियां पकड़ बना लेती हैं। इस अवस्था में अपने का कैसे स्वस्थ एवं संयमित बनाए रखें इसके लिए जागरूक किया गया। उन्हें प्रेरित किया गया कि किस तरह आयुर्विज्ञानिक जीवन षैली को अपनाकर अपना संतुलित विकास कर सकें। उन्हें नियमित रूप से योगाभ्यास करने की भी सलाह दी गई। जंक फूड के स्थान पर स्वस्थ एवं पौष्टिक आहार ग्रहण करें।
किषोरियों को सलाह दी गई कि अपनी समस्याएं अपने पेरेंट के साथ षेयर करें। इसी अवस्था में किषोरियों को मासिक चक्र से भी जूझना पड़ता है। इस दौरान कई तरह की दिक्कतों का सामना उन्हें करना पड़ता है, जैसे डिसमिनोरिया, ओलीगोमिनोरिया, इरगुलर मेंसेस के बारे में जानकारी दी गई। मासिक चक्र के दौरान विषेष सेनेटरी पैड का उपयोग करने की सलाह दी।
बाल विकास परियोजना विभाग द्वारा बालिकाओं के लिए सेनेटरी मषीन भी उपलब्ध कराई गई। इस दौरान आंगनबाड़ी कार्यकतत्री, मीना बोरा, राइका के प्रधानाचार्य राजेष कुमार सिंह, अध्यापक हरीष बोरा, कुषुम लता, मधु, विमला, सोनी अवस्थी आदि मौजूद थे।