• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar

गडेरी की सब्जी स्वादिष्ट और गुणों से भरपूर

31/10/19
in उत्तराखंड, संस्कृति
Reading Time: 1min read
0
SHARES
2.5k
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
अरबी अंग्रेज़ी नाम तारो एक उष्णकटिबन्धीय पेड़ है, जिसे इसकी जड़ में लगी अरबी नामक सब्जी के लिए मुख्यतः उगाया जाता है। इसके साथ ही इसके बड़े बडे पत्ते भी खाद्य हैं। यह बहुत प्राचीन काल से उगाया जाने वाला पेड़ है। कच्चे रूप में पेड़ जहरीला हो सकता है। ऐसा इसमें मौजूद कैल्शियम ऑक्ज़ेलेट के कारण होता है। हालांकि ये लवण पकने पर नष्ट हो जाता है। या इनको रात भर ठ्ण्डे पानी में रखने पर भी नष्ट हो जाता है। अरबी अत्यन्त प्रसिद्ध और सभी की परिचित वनस्पति है। अरबी प्रकृति ठण्डी और तर होती है। अरबी के पत्तों से पत्तखेलिया नामक बानगी बनती है। अरबी कन्द, फल कोमल पत्तों और पत्तों की तरकारी बनती है। अरबी गर्मी के मौसम की फसल है। अरबी गर्मी और वर्षा की ऋतु में होती है। अरबी अनेकों किस्म होती हैं.राजाल, धावालु, काली.अलु, मंडले.अलु, गिमालु और रामालु। इन सबमें काली अरबी उत्तम है। कुछ अरबी में बड़े और कुछ में छोटे कन्द लगते हैं, इनसे भाँति.भाँति की बानगियाँ बनाई जाती है। अरबी रक्तपित्त को मिटाने वाली, दस्त को रोकने वाली और वायु का प्रकोप करने वाली है। आपने पहाड़ी अरबी, गडेरी की सब्जी जरूर खाई होगी। पहाडों में सभी जगह में अरबी खायी जाती हैं। इसमें विटामिन, पोटेशियम, कैल्शियम, प्रोटीन के अलावा आयरन आदि महत्वपूर्ण पोषक तत्व रहते हैं। अरबी शरीर को ताकत देती है। अरबी में भारी फाइबर और कैलोरी की कम मात्रा की वजह से यह वजन घटाने का काम करती है।
अरबी के और क्या.क्या फायदे हैं वैदिकवाटिका आपको जानकारी दे रही है।पहाड़ी अरबी, गडेरी के फायदे या गुण आपके लिए पहाड़ी अरबी गडेरी में मौजूद गुण चेहरे से सबंधित समस्या को ठीक करते हैं। और त्वचा पर पड़ी झुर्रियों को भी ठीक करते हैं।अरबी खाने से गुर्दे, मांसपेशियां और शरीर की नसें सभी ठीक रहकर काम करती हैं। इसमें मौजूद पोटेशियम शरीर को कमजोरी नहीं आने देता है। ब्ल्डप्रेशर के रोगियों को रोज अपने खाने में अरबी का प्रयोग करना चाहिए। अरबी ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखती है। अरबी डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद होती है। अरबी आपको डिप्रेशन व अवसाद से भी बचाती है। जिस वजह से आपको अच्छी नींद भी आती है। दिल की बीमारियों से बचने के लिए अरबी की सब्जी का सेवन करना चाहिए। यह कम बसा और कम कोलेस्ट्राल वाली होती है। विटामिन ई और फाइबर की अधिक मात्रा होने से यह दिल की सेहत अच्छी रखती है। पर्वतीय भूभाग में स्थानीय अरबी और गडेरी शरदकाल से लेकर जाड़ों तक बाजार में खूब बिकती है। जाड़ों में स्वाद और अपनी विशेषता के लिए अधिकांशतः गडेरी की सब्जी का उपयोग अधिक किया जाता है। इसके चलते इसकी मांग काफी अधिक रहती है। हालांकि चम्पावत जिले में इसका व्यापक उत्पादन होता है। पिथौरागढ़ में भी चम्पावत जिले से गडेरी की मांग पूरी की जाती है।
पिथौरागढ़ जिले में भी कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां गडेरी का उत्पादन काफी अधिक होता है। इन स्थानों की गडेरी अपने स्वाद और गुणों को लेकर लोगों की जुबान पर रहती है। बीते कुछ वर्षो से जिले के गडेरी उत्पादक क्षेत्रों में जंगली सुअरों का आतंक काफी अधिक हो चुका है। खेतों में जमीन के अंदर तैयार गडेरी और अरबी जंगली सुअरों का अच्छा भोजन बना है। काश्तकार राम सिंह बताते हैं कि उनकी पांच नाली में बोई गई गडेरी और अरबी तैयार होने से पूर्व ही सूअरों ने नष्ट कर दी। बीते दो साल से गडेरी बेचना तो दूर, खुद के लिए भी नहीं हो पा रही है। सुअरों के आतंक के चलते अब उन्होंने गडेरी और अरबी उत्पादन बंद कर दिया है। इसी तरह जिले में दर्जनों काश्तकारों ने उत्पादन कम कर दिया है। इसके चलते कुछ वर्षो पूर्व तक छाई रहने वाली गडेरी अब कम आने लगी है। गडेरी पौधे की जड़ में लगें हुए कंद, फल होते हैं जिसे हम अरबी के नाम से भी जानते हैं जो जाड़ो व बरसात के मौसम में काफी मिलता हैं। इसके कंद के साथ साथ इसकी पत्तियों और डंठल का प्रयोग भी उत्तराखंड में सब्जी के रूप में किया जाता हैं। अरबी में कई औषधीय गुण भी होते हैं जो इसके महत्व को काफी बढ़ा देते हैं जैसे ये ह्रदय रोगियों के लिए बहुत लाभदायक होती है तो इसकी सब्जी बनाकर उन्हें जरूर खानी चाहिए, साथ ही इसकी सब्जी महिलाओं के लिए भी काफी अच्छी मानी जाती है विशेषकर उनके लिए जो बच्चों को दूध पिला ;रुमिमकपदहद्ध रही हों। अरबी की तासीर ठंडी होती है, परन्तु उत्तराखंड में अरबी में भांग या गन्दरैणी आदि मिलाकर इसकी तासीर को गर्म किया जाता है जो इसके स्वाद और गुण दोनों को ही काफी बढ़ा देता है।
अरबी को अलग अलग चीजो में मिक्स करके काफी स्वादिष्ट भोजन बनाया जा सकता है। ऐसे ही एक रेसिपी मैं आज आपके सामने लाई हूँ। इस रेसिपी में हम अरबी के साथ लाई या राई या सरसों के हरे पत्ते भी मिक्स करते हैं। जिसमे भाँग के बीजों को पीसकर उसका रस डाला जाता है। भारत के अलग.अलग हिस्से में अरबी को अलग.अलग नामों से जाना जाता हैण् कुछ लोग इसके पत्तों की पकौड़ी बनाकर खाना पसंद करते हैं तो कुछ इसकी सब्जी कई जगहों पर तो इसे व्रत में फलाहार के रूप में भी खाया जाता हैण् आसानी से मिल जाने के बावजूद अरबी बहुत अधिक लोकप्रिय सब्जी नहीं है पर इसके फायदे चौंकाने वाले हैं। ये फाइबर, प्रोटीन, पोटैशियम, विटामिन ए, विटामिन सी, कैल्शियम और आयरन से भरपूर होती है। इसके अलावा इसमें भरपूर मात्रा में एंटी.ऑक्सीडेंट भी पाए जाते हैं। अरबी खाने के फायदे ब्लड प्रेशर और दिल से जुड़ी समस्याओं से बचाव के लिए अरबी में सोडियम की अच्छी मात्रा पायी जाती है। इसके अलावा ये पोटैशियम और मैग्नीशियम के गुणों से भी भरपूर है जिसके चलते ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। साथ ही ये तनाव दूर रखने में भी मददगार है। कैंसर से बचाव के लिए अरबी में विटामिन ए, विटामिन सी और एंटी.ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो कैंसर कोशिकाओं को विकसित होने से रोकते हैं। मधुमेह के रोगियों के लिए भी है बहुत फायदेमंद है।
अरबी में पर्याप्त मात्रा में फाइबर्स पाए जाते हैं। अरबी खाने से इंसुलिन और ग्लूकोज की मात्रा का संतुलन बना रहता है। वजन कम करने में सहायकअरबी भूख को नियंत्रित करने का काम करती है। साथ ही इसमें मौजूद फाइबर्स मेटाबॉलिज्म को सक्रिय बनाते हैं जिससे वजन नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। पाचन क्रिया को बेहतर रखने में अरबी में भरपूर मात्रा में फाइबर्स पाए जाते हैं जिसकी वजह से पाचन क्रिया बेहतर बनी रहती है। हमारे पहाड़ के गाँव घरों में सब्जी के रूप में कभी कभार बड़ी का इस्तेमाल भी किया जाता है जो गहत एवं गडेरी या मास एवं ककड़ी की बनाई जाती हैं। ककड़ी और मास की बड़ी बनाने के लिये ककड़ी को कोरा जाता है और मास की दाल को भीगा कर उसे पीसा जाता है और फिर दोनों को मिलाया जाता है उसी तरह गहत एवं गडेरी की बड़ी बनाने के लिये गडेरी को कोरा जाता है और गहत की दाल को भीगा कर पिसा जाता है और फिर दोनों को मिला कर बड़ी बनाई जाती है। बड़ी बनाने के लिये इन्हें छोटे छोटे गोलाकार में बना कर धूप में सुखाने के लिये रखा जाता है 1.2 दिन में जब सुख जाते हैं तो फिर इन्हें कभी भी सब्जी.दाल बनाने के लिये प्रयोग किया जाता है।
राजकीय जूनियर हाईस्कूल उड़खुली में पढ़ाई के साथ ही सब्जी की खेती भी हो रही है। शिक्षा विभाग में किए जा रहे नवाचारों के तहत अब ये नया एक्सपेरिमेंट किया जा रहा है। इसके तहत स्कूल में ही गडेरीए पालकए धनियाए भिंडी सहित अन्य सब्जी उगाकर मिड डे मील में इन्हीं का उपयोग किया जा रहा है। सीधे तौर पर बच्चों को ताजाए पौष्टिक और कैमिकल रहित सब्जियां खाने को मिल रही है। बागेश्वर रजिले के कई स्कूलों में भी किचन.गार्डन तैयार किया गया है। जहां साल भर सब्जी निकलती है। शिक्षा विभाग भी नवाचार को बढ़ावा दे रहा है। स्कूल में किचन.गार्डन की व्यवस्था होने से बच्चों को वहीं उगी हुई सब्जियां खाने को मिल रही हैं। प्रधानाध्यापक शंकर टम्टा ने बताया कि बच्चों ने अपनी मेहतन और शिक्षकों के मार्गदर्शन में वाटिका का निर्माण किया है। इसमें बच्चों ने लाईए पालकए मेथीए धनियाए बींसए मटर सहित तमाम सब्जियों का उत्पादन किया है। उन्होंने कहा कि इस सीजन में बच्चों ने 15 किलो गड़ेरी उगाई है। बताया कि बगीचे में सब्जी उत्पादन के साथ बच्चों को खेती के बारे में विविध जानकारी दी जा रही है। उन्हें प्रकृति के बारे में बताकर पौधरोपण का महत्व सिखाया जा सांसद बलूनी की माने तो अगर ढांचागत अवस्थापना के साथ बेरोजगारी उन्मूलन की नीति बनती है तो यह पलायन रोकने में कारगर होगी उत्तराखण्ड हिमालय राज्य होने के कारण बहुत सारे बहुमूल्य उत्पाद जिनकी अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में अत्यधिक मांग रहती है। प्राकृतिक रूप से जंगलों में पाये जाते है। इसका विस्तृत व्यवसायिक क्षमता का आंकलन कर यदि व्यवसायिक खेती की जाय तो यह प्रदेश की आर्थिकी का बेहतर साधन बन सकती है । बाजारीकरण, काश्कारों को न्यून प्रोत्साहन, जनमुखी भेषज नीति के अभाव आदि ने हिमालय की इन सौगातों का अस्तित्व संकट में डाल दिया है। आज इन पादपों को इसलिए भी जानने की जरुरत है क्योंकि जिस गति से हम विकास नाम के पागलपन का शिकार हो रहे हैं, आने वाली पीढ़ियों के लिए यह केवल कहानी बन कर रह जाएँगी। सख्त नियमों द्वारा इन गैर.कानूनी गतिविधियों व दोहन पर लगाम लगायें। प्राकृतिक जैव.संसाधनों व पारंपरिक ज्ञान का संरक्षण मानव जाति को सतत विकास की राह प्रदर्शित करता है। ये संसाधन, अनुसंधान हेतु आवश्यक व महत्त्वपूर्ण आगत के रूप में प्रयोग किये जाते हैं। अतः विकास की अंध.आंधी से पूर्व इनका संरक्षण करना चाहिए।

ShareSendTweet
Previous Post

गौचर मेले की तैयारियां, जिलाधिकारी ने मेले के कार्यक्रमों का ब्राउसर लांच किया

Next Post

12 ट्रैप कैमरे करेंगे फूलों की घाटी की निगरानी, जीवों के साथ शिकारियों पर भी रहेगी नजर

Related Posts

उत्तराखंड

हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल, अल्मोड़ा में डॉ. आई.डी. भट्ट ने कार्यकारी निदेशक (प्रभारी) के रूप में पदभार ग्रहण किया

July 7, 2025
15
उत्तराखंड

देशभक्ति का जुनून ऐसा कि पीयू के पूरे पेपर में लिख आए थे जय भारत

July 7, 2025
3
उत्तराखंड

फूलों की घाटी’ का दरवाजा प्लास्टिक प्रतिबंधित

July 7, 2025
5
उत्तराखंड

आयुर्वेद विश्वविद्यालय में चार माह से अवरुद्ध वेतन जारी करने की मांग

July 7, 2025
15
उत्तराखंड

एयरपोर्ट टेंडर घोटाला: 7.50 करोड़ की राशि हड़पने पर हाईकोर्ट से स्टे, पीड़ित ने लगाए गंभीर आरोप

July 7, 2025
7
उत्तराखंड

मुख्यमंत्री ने केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री से भेंट कर राज्य में कृषि से सम्बधित विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन में विशेष सहयोग का किया अनुरोध

July 7, 2025
6

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल, अल्मोड़ा में डॉ. आई.डी. भट्ट ने कार्यकारी निदेशक (प्रभारी) के रूप में पदभार ग्रहण किया

July 7, 2025

देशभक्ति का जुनून ऐसा कि पीयू के पूरे पेपर में लिख आए थे जय भारत

July 7, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.