देहरादून। अचानक मुख्यमंत्री पद से त्रिवेंद्र रावत के इस्तीफे के पीछे वजह क्या रही? क्या गैरसैंण कमिश्नरी बनाने का त्रिवेंद्र सिंह रावत का निर्णय उनके पद से हटने की वजह बना?
पहली मार्च से गैरसैंण में चल रहे विधानसभा के बजट सत्र के दौरान विपक्षियों पर रणनीतिक जीत हासिल करने के लिए उन्होंने एक अटपटा सा निर्णय सुनाया था, यह निर्णय था राज्य में तीसरी कमिश्नरी गैरसैंण कमिश्नरी की घोषणा। जिसमें दो जिले कुमाउं के तथा दो गढ़वाल के जिले शामिल किए गए थे। इसे अल्मोड़ा जिले के सांस्कृतिक महत्व को कम करने के रूप में देखा गया। खासकर कुमाउं से आने वाले पार्टी के नेताओं ने इसका मुखर विरोध किया।
गैरसैंण बजट सत्र में त्रिवेंद्र रावत ने यह सोचा भी नहीं होगा कि उन्हें एक निर्णय के बाद पद छोड़ना होगा। वह तो 2022 में होने वाले चुनाव में विपक्षी पार्टियों खासकर कांग्रेस को पटखनी देने के लिए इस ब्रह्मास्त्र को लाए थे, जो उल्टा उन्हीं पर चल गया और उन्हें पद छोड़ना पड़ा। बताया जाता है कि विधायकों तथा जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा की कई शिकायतें हाई कमान तक पहुंची थी। इन सभी शिकायतों को आगे ले जाने का जरिया गैरसैंण कमिश्नरी बन गया। विरोध करने वाले जनप्रतिनिधियों का कहना था कि उस क्षेत्र के प्रतिनिधियों तक को इस निर्णय को लेने से पहले विश्वास में नहीं लिया गया। इसलिए माना जा रहा है कि गैरसैंण कमिश्नरी बनाने का निर्णय ही त्रिवेंद्र रावत के लिए आत्मघाती बन गया।
अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पार्टी को धन्यवाद किया। जब पत्रकारों ने उनसे इसकी वजह जाननी चाही तो उन्होंने इसे पार्टी का सामूहिक निर्णय बताया और अधिक जानकारी लेने के लिए दिल्ली जाने की सलाह दी।












