देहरादून, 26 जून, 2025. दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से आज सायं केंद्र के सभागार में सुपरिचित गज़लकार प्रेम साहिल के नए गज़ल संग्रह ‘लहू में जल-तरंग’ का लोकार्पण किया गया. इसके बाद वक्ताओं ने इस संग्रह पर अपने विचार रखे.
इसमें वार्ताकार के रूप में साहित्य के समालोचक प्रोफेसर डॉ. धीरेंद्र नाथ तिवारी और कथाकार प्रो. नवीन नैथानी ने प्रतिभाग किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वतंत्र पत्रकार व लेखक राजीव नयन बहुगुणा ने की। वार्ताकारों ने इस ग़ज़ल संग्रह को बेहतरीन बताते हुए इसके विविध पक्षों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
ग़ज़ल संग्रह के रचनाकर प्रेम साहिल ने कहा कि विगत अनेक सालों से ग़ज़ल के नामी-गिरामी शाइरों का कलाम मेरी नज़र से गुज़र चुका है। बशीर बद्र, वसीम बरेलवी, मुनव्वर राना की ग़ज़लों ने मुझे भी कुछ कहने के लिए प्रेरित किया। समाज में व्याप्त अन्याय, भ्रष्टाचार, नाबराबरी, अंधविश्वास, असहिष्णुता, जहालत, बाज़ार और सियासत पर मैंने कहने की कोशिश की है। कभी-कभी मुहब्बत भी मुझसे कुछ कहलवा ले जाती है।
प्रोफेसर डॉ. धीरेंद्र नाथ तिवारी ने कहा कि प्रेम साहिल हिन्दी और पंजाबी के प्रसिद्ध और सादा मिज़ाज शायर हैं. उनकी ग़ज़लों में जटिल दुनिया की सरल लेकिन सजग अभिव्यक्ति है । उन्हें लोगों से मुहब्बत है, इसलिए वे उनके दर्दों-ग़म से बाबस्ता हैं । उनके लेखन में एक रुमानियत और अंग्रेजी के अध्यापक होने के कारण उनमें विश्व साहित्य की गहरी समझ है । बेशक उनकी हिन्दी शायरी में पंजाबी का बेबाक रंग मिलता है । पाठकों को उनके दीवान ‘लहू में जल तरंग’ की ग़ज़लों में हमारे अपने समय की लहरें दिखाई देंगी । साथ ही यह दुनिया जैसी है और जैसी होनी चाहिए, इसकी कशमकश भी मिलेगी ।
कथाकार प्रो. नवीन नैथानी का कहना था कि पंजाबी और हिंदी के इस महत्वपूर्ण साहित्यकार के गजल संग्रह में बेहतरीन गजलें आयी हैं। देहरादून के सुपरिचित कवि, शायर हरजीत के माध्यम से शेर, गजलों की बात शुरू करते हुए उन्होंने कहा कि इन गजलों में वर्तमान सामाजिक परिवेश के विविध दृश्य और मानवीय संवेदनाएं भी सहज रूप से प्रकट होती दीखती हैं। ख़ास बात यह भी है कि ग़ज़ल के साथ उन्होंने कई अभिनव प्रयोग भी किये हैं.
गज़ल संग्रह ‘लहू में जल-तरंग’ में जीवन, प्रकृति, समाज के विस्तृत दायरे से जुड़ी सूक्षम से सूक्षम भावनाओं को अभिव्यक्त करते गहरी सोच वाले शेर मौजूद हैं जिनकी झंकार की अनुगूँज को पाठक अंतर्मन तक महसूस करेंगे। शाइर ने सादा सरल हिन्दुस्तानी भाषा में ग़ज़लें लिख कर हर आम-खास पाठक को आसानी दी है। प्रेम साहिल ने ग़ज़ल की अमीर, शानदार, पुरखुलूस रिवायत को न सिर्फ जिंदा रखा है बल्कि उसको अपने कथन व कहन का मौलिक अंदाज़ दे कर नवीनता भी बख्शी है। ‘लहू में जल-तरंग’ के कई शे’र लोगों की ज़बान पर चढ़कर कोट किये जाने की सलाहियत रखते हैं। उल्लेखनीय है कि प्रेम साहिल को “उत्तराखंड साहित्य गौरव “सम्मान मिल चुका है।
कार्यक्रम का संचालन कवि व लेखक बीना बेंजवाल ने किया। कार्यक्रम से पूर्व केन्द्र के प्रोग्राम एसोसिएट चन्द्रशेखर तिवारी ने सभागार में मौजूद लोगों और वक्ता अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम के अंत में इस पुस्तक के प्रकाशक प्रबोध उनियाल ने धन्यवाद दिया.
इस अवसर पर डॉ. पंकज नैथानी, अंबर खरबन्दा, इंद्रजीत सिंह,चंदन सिंह नेगी, भारती मिश्रा, दिनेश जोशी, कांता घिल्डियाल, डॉ. नूतन गैरोला, दयानन्द अरोड़ा, रजनीश त्रिवेदी, चंद्र नाथ मिश्रा,सत्यआनंद बडोनी, शूरवीर सिंह रावत,देवेंद्र कांडपाल,हरि चंद निमेष, राजेश सकलानी, अरविन्द शेखर, शिव प्रसाद सेमवाल,रंगकर्मी वी के डोभाल, निरंजन सुयाल, डॉ. लालता प्रसाद,आलोक कुमार और उमेश चमोला सहित शहर के अनेक प्रबुद्घ लेखक, साहित्यकार व अन्य लोग उपस्थित थे।