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लहसुन के गुणकारी औषधीय उपयोग

30/11/19
in उत्तराखंड, हेल्थ
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डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
लहसुन प्याज कुल एलिएसी की एक प्रजाति है। इसका वैज्ञानिक नाम एलियम सैटिवुम एल है। इसके करीबी रिश्तेदारो में प्याज, इस शलोट और हरा प्याज़ शामिल हैं। लहसुन पुरातन काल से दोनों, पाक और औषधीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग किया जा रहा है। इसकी एक खास गंध होती है तथा स्वाद तीखा होता है, जो पकाने से काफी हद तक बदल कर मृदुल हो जाता है। लहसुन की एक गाँठ बल्ब, जिसे आगे कई मांसल पुथी लौंग या फाँक में विभाजित किया जा सकता, इसके पौधे का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला भाग है। पुथी को बीज, उपभोग कच्चे या पकाया और औषधीय प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जाता है। इसकी पत्तियां, तना और फूलों का भी उपभोग किया जाता है। आमतौर पर जब वो अपरिपक्व और नर्म होते हैं। इसका काग़ज़ी सुरक्षात्मक परत छिलका जो इसके विभिन्न भागों और गाँठ से जुडी़ जड़ों से जुडा़ रहता है, ही एकमात्र अखाद्य हिस्सा है। इसका इस्तेमाल गले तथा पेट सम्बन्धी बीमारियों में होता है। इसमें पाये जाने वाले सल्फर के यौगिक ही इसके तीखे स्वाद और गंध के लिए उत्तरदायी होते हैं। जैसे ऐलिसिन, ऐजोइन इत्यादि।
लहसुन सर्वाधिक चीन में उत्पादित होता है उसके बाद भारत में। लहसुन में रासायनिक तौर पर गंधक की अधिकता होती है। इसे पीसने पर ऐलिसिन नामक यौगिक प्राप्त होता है जो प्रतिजैविक विशेषताओं से भरा होता है। इसके अलावा इसमें प्रोटीन, एन्ज़ाइम तथा विटामिन बी, सैपोनिन, फ्लैवोनॉइड आदि पदार्थ पाये जाते हैं। दृष्टिकोण से लहसुन एक बहुत ही महत्वपूर्ण फसल है। भारत का चीन के बाद विश्व में क्षेत्रफल और उत्पादन की दृष्टि से दूसरा स्थान है जो क्रमशः 1.66 लाख हेक्टेयर और 8.34 लाख टन है। लहसुन में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्त्व पाये जाते है जिसमें प्रोटीन 6.3 प्रतिशत, वसा 0.1 प्रतिशत, कार्बोज 21 प्रतिशत, खनिज पदार्थ 1 प्रतिशत, चूना 0.3 प्रतिशत लोहा 1.3 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम होता है। इसके अतिरिक्त विटामिन ए, बी, सी एवं सल्फ्यूरिक एसिड विशेष मात्रा में पाई जाती है। इसमें पाये जाने वाले सल्फर के यौगिक ही इसके तीखे स्वाद और गंध के लिए उत्तरदायी होते हैं। इसमें पाए जाने वाले तत्वों में एक ऐलीसिन भी है जिसे एक अच्छे बैक्टीरिया.रोधक, फफूंद.रोधक एवं एंटी.ऑक्सीडेंट के रूप में जाना जाता है। अगर लहसुन को महीन काटकर बनाया जाये तो उसके खाने से अधिक लाभ मिलता है।
यदि रोज नियमित रूप से लहसुन की पाँच कलियाँ खाई जाएँ तो हृदय संबंधी रोग होने की संभावना में कमी आती है। लहसुन, सेलेनियम का भी अच्छा स्रोत होता है। गर्भवती महिलाओं को लहसुन का सेवन नियमित तौर पर करना चाहिये। लहसुन एक बारहमासी फसल है जो मूल रूप से मध्य एशिया से आया है तथा जिसकी खेती अब दुनिया भर में होती है। घरेलू जरूरतों को पूरा करने के अलावाए भारत 17,852 मीट्रिक टन जिसका मूल्य 3877 लाख रुपये हैं, का निर्यात करता है। पिछले 25 वर्षों में भारत में लहसुन का उत्पादन 2.16 से बढ़कर 8.34 लाख टन हो गया है।
प्याज और टमाटर के बाद अब लहसुन के दाम भी आसमान पर पहुंच गए हैं। सर्दियों से पहले मांग बढ़ने और सप्लाई घटने से देश के कई शहरों में लहसुन का भाव 200-300 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच चल रहा है। दिल्ली में रिटेल में लहसुन 300 रुपये किलो तक बिक रहा है। वहीं, लखनऊ में भी लहसुन का भाव 200-250 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया है। लहसुन के बड़े उत्पादक राज्य जैसे मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी इसका भाव 200 रुपये प्रति किलो के आसपास हैं। करीब दो हफ्ते पहले पहले रिटेल में लहसुन का भाव 150-200 रुपये प्रति बाजार से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि भारी बारिश के चलते लहसुन का स्टॉक खराब हो गया है। इसकी वजह से सही तरीके से सप्लाई नहीं हो पा रही है। इसीलिए लहसुन के दाम आसमान छू रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2018-19 में लहसुन का उत्पादन करीब 75 फीसदी ज्यादा रहा है। साल 2018-19 में 28.36 लाख टन लहसुन का उत्पादन हुआ, जबकि 2017-18 में लहसुन का उत्पादन 16.11 लाख टन रहा था। कारोबारियों का कहना है कि आवक काफी घट गई है, क्योंकि जिनके पास लहसुन है, वे भाव और बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं। इसके अलावा मानसून सीजन के आखिर में हुई बारिश से बुवाई में देरी की आशंका है। इससे नई फसल आने में भी देर होगी। दुनिया के बड़े लहसुन उत्पादक देशों में भारत शामिल है, जबकि जबकि चीन दुनिया का सबसे बड़ा लहसुन उत्पादक देश है।
रोजाना प्याज और लहसुन से बना खाना खाने से स्तन कैंसर के विकास को रोका जा सकता है। एक नए अध्ययन में यह दावा किया गया है। बफेलो विश्वविद्यालय और प्यूर्टो रिको विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में कहा गया है कि जो महिलाएं लोकप्रिय लहसुन सोफिर्टो और प्याज से बने मसाले रोजाना एक से अधिक खाती हैं, उनमें लहसुन व प्याज न खाने वाली महिलाओं के मुकाबले स्तन कैंसर के मामलों में 67 प्रतिशत की कमी देखी गई। लहसुन और प्याज दोनों में एंटीकार्सिनोजेनिक गुण होते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि इसका असर जानवरों पर भी समान रूप से देखा गया। बफेलो विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड हेल्थ प्रोफेशन की प्रमुख लेखक और जानपदिक रोग विज्ञान की छात्रा गौरी देसाई ने कहा कि प्याज और लहसुन फ्लेवोनोल्स और ऑर्गेनोसल्फर यौगिकों से भरपूर होते हैं। इस शोध का परिणाम न्यूट्रेशन एंड कैंसर जर्नल में प्रकाशित हुआ है। टीम ने स्तन कैंसर से पीड़ित 314 महिलाएं और प्यूर्टो रिको के नियंत्रण वाली 346 महिलाओं पर यह अध्ययन किया। शोधकर्ताओं ने कहा कि अकेले सॉफिटो ने कोई लाभ नहीं दिखाया लेकिन प्याज और लहसुन के संयुक्त सेवन से स्तन कैंसर को रोकने में मदद मिली। इससे पहले किए गए पिछले अध्ययनों से पता चला है कि फेफड़े, प्रोस्टेट और पेट के कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए प्याज और लहसुन फायदेमंद हैं। विश्व भर में महिलाओं के कैंसर का सबसे आम रूप स्तन कैंसर है। वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड के अनुसार, 2018 में पहचान किए गए कैंसर में सबसे अधिक मामले 25.4 प्रतिशत स्तन कैंसर के थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ ने कहा कि स्तन कैंसर हर साल 21 लाख महिलाओं को प्रभावित कर रहा है और महिलाओं में कैंसर से संबंधित मौतों का प्रमुख कारण भी है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि 2018 में स्तन कैंसर से लगभग 627,000 महिलाओं की मौत हुई। जो कुल कैंसर से होने वाली मौतों के मुकाबले लगभग 15 प्रतिशत है। इसके अलावा रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाओं में घातक कैंसर आम है, यह कम उम्र में भी विकसित हो सकता है। मैमोग्राफी स्क्रीनिंग, जल्दी जागना, एक स्वस्थ जीवन शैली को बनाए रखना बीमारी को खाड़ी में रखने के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। किसानों के लिए अब लहसुन की नई किस्म फायदेमंद साबित होने वाली है।
लहसुन की नई प्रजाति 404 को करनाल के राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान विकास प्रतिष्ठान ने तैयार किया है। इसे किसान खेतों में लगाकर अच्छा फायदा कमा सकता है। इससे किसानों की किस्मत खुल जाएगी और उन्हें इस फसल से अच्छा फायदा होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि, इस नई किस्म के लहसुन की पैदावार अच्छी होगी। साथ ही किसान लहसुन के इस किस्म को महाराष्ट्र, गुजरात, एमपी के कई शहरो में बेच सकेंगे। लहसुन की इस किस्म का रंग पर्पल है, इन राज्यों में इस तरह के लहुसन की मांग है। इस कारण महाराष्ट्र, गुजरात मध्य प्रदेश जैसे राज्यों की मंडी में किसान इसे बेच सकते हैं। वहां के लोग इस तरह की लहसुन का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं। पर्पल रंग की लहुसन की यह नई किस्म 404 किसानों को अच्छी पैदावार के साथ मांग के हिसाब से अच्छा मुनाफा दिलाएगी।
लहसुन की इस नई किस्म के बारे में करनाल राष्ट्रीय बगवाई अनुसंधान विकास प्रतिष्ठान के डिप्टी डायरेक्टर बीके दुबे का कहना है कि हाल ही में लहसुन की इस किस्म को लांच किया गया है। उन्होंने कहा कि इस लहसुन के बीज को तैयार करने में प्रतिष्ठान जुट गया है। उन्होंने कहा कि अगले साल किसानों को इसके बीज भी ज्यादा से ज्यादा मात्रा में उपलब्ध करवाए जाएंगे। अच्छी मात्रा में बीज की उपलब्धता होने के बाद किसान इस नई किस्म का इस्तेमाल कर अच्छा फायदा ले सकेंगे।
बीके दुबे ने कहा कि किसान नवम्बर के पहले या दूसरे सप्ताह तक इस लहसुन के बीज की बुआई खेतों में कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रति हेक्टेयर किसानों को 165 से 170 क्विंटल लहसुन मिलेगी। लहसुन की फसल 165 दिनों में तैयार हो जाएगी। फिर किसान इसे बाजार में बेच सकते हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा के साथ ही पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड के किसान इसे अपने खेतों में लगा सकेंगे। भारत लहसुन के प्रमुख उत्पादक देशों में हैए जबकि चीन दुनिया का सबसे बड़ा लहसुन उत्पादक है। दिल्ली.एनसीआर में प्याज का खुदरा भाव 60-80 रुपये प्रति किलो थाण् कुछ दिन पहले ही देश की राजधानी अपने उत्तराखंड में प्याज का खुदरा भाव 100 रुपये प्रति किलो तक हो गया है। इस बार देश में प्याज की किल्लत की वजह बाढ़ और ज्यादा बारिश से कई राज्यों में प्याज की फसल का खराब हो जाना और पर्याप्त बफर स्टॉक का नहीं रहना है। महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक जैसे प्याज उत्पादक राज्यों में फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। प्याज के इस्तेमाल से ज्यादा लहसुन फायदेमंद हैं का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

लेखक को उत्तराखण्ड सरकार के अधीन उद्यान विभाग के वैज्ञानिक के पद पर का अनुभव प्राप्त है।

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