उत्तराखंड सरकार द्वारा सहकारिता विभाग की घस्यारी कल्याण योजना जो लागू की गई है, जिसमें कि घास सरकार देगी। उक्रांद का मानना है कि यह योजना तर्क विहीन होने के साथ-साथ बिहार कि तर्ज पर चारा घोटाले की पहले से ही आहट दे रही है।
उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत कि भाजपानीत सरकार 2017 में सत्ता में आयी। जिसे डबल इंजन की सरकार कहा गया, लेकिन भाजपा 2017 चुनाव के वायदों को ही पूरा नहीं कर पायी। भ्रष्ट्राचार को रोकने के लिए 100 दिन में लोकायुक्त लाएंगे, वो वायदा कहाँ गया? दूसरी तरफ क़ृषि को बढ़ावा देने के लिए चकबंदी लागू करने की योजना धरातल पर नहीं उतर पायी। डेढ़ लाख युवाओं को रोजगार का वायदा फेल हो चुका है। राज्य के प्रशिक्षित बेरोजगार सड़कों पर आंदोलन कर रहा है, कोरोना के कारण प्रवासियों के लिए मुख्यमंत्री रोजगार योजना असफल हो चुकी है। जरुरतमंदों को कोई लाभ नहीं मिला। जो प्रवासी लौटा था, दोबारा रोजी रोटी के लिए वापस जा चुका है।
गाँव के गाँव खाली हो रहे हैं, जो गाँव बसे हैं, उनकी आबादी भी पलायन आज भी कर रही है। सरकार स्पष्ट बताये घस्यारी कल्याण योजना का लाभ मानवबिहीन गावों के लिए है या जिन गाँवों में कम आबादी है, जो पशुपालन से दूर हैं, उनके लिए है।
दल का स्पष्ट मानना हैं कि अरबों रुपया जो सहकारिता विभाग के लिए है, उस धन को बांट लगाने के लिए यह योजना बनायी गई है। बिहार की तर्ज पर उत्तराखंड में घस्यारी कल्याण योजना चारा घोटाला साबित होगी।












