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Uttarakhand Samachar

हल्द्वानी में गौला पुल की एप्रोच रोड धंसी

04/08/25
in उत्तराखंड, देहरादून, नैनीताल
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डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
पहाड़ों में हो रही भारी बारिश ने एक बार फिर गौला पुल की एप्रोच रोड की कमजोर गुणवत्ता की कलई खोल दी है। शनिवार रात की तेज बारिश के बाद गोला पुल को जोड़ने वाली एप्रोच सड़क का एक हिस्सा फिर से धंस गया। यह वही हिस्सा है, जो कुछ समय पहले भी धंस चुका था और करोड़ों रुपये की लागत से एनएचएआई (राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) द्वारा मरम्मत कराया गया था। पिछले साल बरसात में गौला नदी पुल की एप्रोच रोड धंसने के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा करोड़ों रुपये खर्च कर मरम्मत का काम किया जा रहा था. लेकिन शनिवार रात हुई भारी बारिश के बाद यह एप्रोच रोड फिर से धंस गई. इसके बाद नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने एक बार फिर मरम्मत का काम शुरू कर दिया है.स्थानीय लोगों के मुताबिक, हाईवे ने मिट्टी डालकर सड़क को लेवल किया गया था. लेकिन बारिश होते ही यह हिस्सा धंस गया. पुल की एप्रोच रोड धंसने की सूचना पर राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग और प्रशासन में हड़कंप पहुंच गया. कुछ देर तक यातायात बाधित रहा. लेकिन बाद में सड़क को सुचारू कर दिया गया. इसकी जानकारी मिलते ही सिटी मजिस्ट्रेट मौके पर पहुंचे और एनएचएआई के अधिकारियों से जानकारी ली.सिटी मजिस्ट्रेट ने बताया कि एनएचएआई की टीम ने उन्हें सूचित किया कि मिट्टी के धंसने की वजह से समस्या उत्पन्न हुई है, जिसकी मरम्मत की जा रही है. अब कंक्रीट डालकर रोड को मजबूत बनाने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि भविष्य में ऐसी कोई समस्या न हो. पुल के अप्रोच रोड के धंसने के कारण नदी के ऊपर जोड़ने वाले पुल को भी खतरा पैदा हो गया है. लेकिन जिला प्रशासन और एनएचएआई का कहना है कि एप्रोच रोड टूटने से पुल को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचने वाला. मरम्मत का कार्य चल रहा है.स्थानीय निवासियों ने एनएचएआई के कामकाज पर सवाल उठाए हैं और मांग की है कि सड़क निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान रखा जाए. उधर, प्रशासन ने एनएचएआई से काम की निगरानी बढ़ाने को कहा है.गौरतलब है कि पिछले साल बरसात में गौला नदी के ऊपर बने पुल का एप्रोच टूट गया था. हल्द्वानी से पहाड़ों को जोड़ने वाली मुख्य सड़क के पुल टूटने से लोगों को काफी मुसीबत में उठानी पड़ी थी. पुल को ठीक करने के लिए स्थानीय लोगों ने धरना प्रदर्शन भी किया था जिसके कई महीने बाद एप्रोच रोड को ठीक का रोड को सुचारु किया गया था. वहीं थोड़ी सी बरसात में एप्रोच रोड टूटने के बाद से एक बार फिर से एनएचएआई के ऊपर सवाल खड़े होने लगे हैं.लोगों का कहना है कि थोड़ी भी लापरवाही हुई तो नदी के ऊपर बने पुल को भारी नुकसान हो सकता है. पुल को नुकसान पहुंचा तो पहाड़ों को जाने के साथ-साथ खटीमा सितारगंज जोड़ने वाले सड़क मार्ग को नुकसान पहुंचेगा. यह पहली बार नहीं है जब गौला पुल की एप्रोच रोड धंसी हो। इससे पहले भी बरसात में यही समस्या सामने आई थी। ऐसे में निर्माण कार्य की गुणवत्ता, निगरानी और जिम्मेदार एजेंसियों की कार्यशैली पर अब सवाल उठने लगे हैं। स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि बार-बार करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद सड़क का धंसना न केवल जनता की सुरक्षा से खिलवाड़ है, बल्कि सरकारी धन की बर्बादी भी है। अब प्रशासन और एनएचएआई के सामने यह बड़ी चुनौती है कि बरसात के दौरान इस अहम सड़क मार्ग को कैसे सुरक्षित और स्थायी बनाया जाए। क्योंकि गोला पुल न सिर्फ हल्द्वानी को कुमाऊं के ग्रामीण क्षेत्रों से जोड़ता है, बल्कि यह आवाजाही का प्रमुख रास्ता भी है।  मौके पर मौजूद एनएचएआई के जूनियर इंजीनियर ने बताया कि तेज बारिश के कारण एप्रोच रोड के नीचे डाली गई मिट्टी बह गई, जिससे सड़क कमजोर होकर धंस गई। फिलहाल सड़क को फिर से भरने और कंक्रीट की परत डालने का कार्य युद्धस्तर पर किया जा रहा है।अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल पुल को कोई सीधा खतरा नहीं है और स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन बार-बार एप्रोच सड़क के धंसने की घटनाएं अब सरकार और निर्माण एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रही हैं।गौरतलब है कि यह सड़क एनएचएआई द्वारा मरम्मत की जा रही है और इसके लिए सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं। इसके बावजूद बार-बार एक ही जगह पर क्षति का होना निर्माण कार्य की गुणवत्ता, तकनीकी निगरानी और जवाबदेही की कमी को दर्शाता है।बीते दिनों जिलाधिकारी ने भी गोला पुल निर्माण कार्य का निरीक्षण कर निर्माण कार्य को शीघ्र और मानकों के अनुसार पूरा करने के निर्देश दिए थे।स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों में अब यह मांग उठने लगी है कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और उत्तरदायी ठेकेदारों व एजेंसियों पर कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके। *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं*

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