
सिद्धार्थ पैराडाइज के निवासियों ने कायम की मिसाल
गणपति भी बनाए, सामूहिक भोज भी हुआ, लेकिन कचरा बिल्कुल नहीं
देहरादून। आमतौर में हमारे उत्सव या पर्व खर्चीले होने के साथ ही बहुत ज्यादा वेस्ट पैदा करने वाले भी साबित होते हैं। किसी भी उत्सव को मनाने में भारी मात्रा में पैदा हुए कचरे को ठिकाने लगाना एक बड़ी समस्या होती है। गणपति महोत्सव का ही उदाहरण लें तो गणपति की मूर्ति, पूजा सामग्री और भोज के बाद भारी मात्रा में कचरा पैदा होता है। देहरादून के पंडितवाड़ी स्थित सिद्धार्थ पैराडाइज अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों ने इस बार गणपति महोत्सव ऐसे तरीके से मनाया कि जब महोत्सव समाप्त हुआ तो कचरे के नाम पर कुछ भी नहीं था।
इस अपार्टमेंट के लोगों ने 5 दिन का गणपति महोत्सव आयोजित किया। सबसे पहले तो यह तय किया गया कि महोत्सव पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल होगा। इसमें पहली समस्या गणपति प्रतिमा को लेकर सामने आई। तय किया गया कि प्रतिमा केवल मिट्टी और अन्य घुलनशील पदार्थों से बनाई जाएगी और इसे अपार्टमेंट परिसर में ही विसर्जित किया जाएगा।
महोत्सव संपन्न होने के बाद प्रतिमा को एक पानी के टंकी में विसर्जित किया गया। जब प्रतिमा पानी में घुल गई तो इस पानी से पार्क की सिंचाई की गई। प्रसाद वितरण के लिए पत्ते के कटोरे का उपयोग किये गये, जिन्हें बाद में गीले कचरे के रूप में एकत्र करके सोसायटी के इन.हाउस कंपोस्टिंग कक्षों में खाद बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया। प्लास्टिक के कटोरे, चम्मच, प्लेट आदि का प्रयोग नहीं किया गया। सजावट के लिए केवल फूलों और पंखुड़ियों का उपयोग किया गया।
महोत्सव के दौरान एक छोटी शोभायात्रा भी निकाली गई। इसमें प्राकृतिक तरीके से बनाया गया गुलाल इस्तेमाल किया गया। महा भोग के अंतिम दिन भोजन के लिए केवल स्टील की प्लेटों का उपयोग किया गया। पानी पीनेे के लिए किसी डिस्पोजल गिलासए कप या बोतल का इस्तेमाल नहीं किया गया। पानी और टिश्यू पेपर भोज में परोसे नहीं गए। सभी को अपनी पानी की बोतलें और हैंकी लाने के लिए कहा गया था।
132 परिवारों वाली इस सोसायटी की आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष कैलाश मलेना ने कहा कि हमने यह सिद्ध कर दिया है कि हम बिना किसी वेस्ट के बड़ा और भव्य कार्यक्रम आयोजित कर सकते हैं। स्टील के प्लेट में खाना खाकर अपनी प्लेट खुद धोना एक अनूठा प्रयोग रहा।
आरडब्ल्यू के उपाध्यक्ष केबी शर्मा का कहना था कि इस भोज में खाना बिल्कुल भी वेस्ट नहीं किया गया। 200 लोगों के खाने के बाद फेंकने के लिए कोई कचरा नहीं बचा था। ईको सपोर्ट ग्रुप की सुमति विरमानी ने इस अनूठे कार्यक्रम पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यहाँ के निवासी बहुत जागरूक हैं और काफ़ी समय से ऐसा कूड़ा प्रबंधन और निस्तारण कर रहे हैं। हर त्योहार इसी प्रकार से मनाए जाने का प्रयास होना चाहिए ।
गणपति महोत्सव के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद एसडीसी फाउंडेशन के अनूप नौटियाल ने कहा कि जीरो वेस्ट वाला यह भव्य कार्यक्रम वास्तव में हम सबके लिए एक सीख है। उन्होंने कहा कि भारत एक उत्सवधर्मी देश है। हर महीने कोई न कोई त्योहार होता है। हर त्योहार पर भारी मात्रा में कचरा पैदा होता है और हम हर वर्ष त्योहारों के नाम ही कचरे का एक पहाड़ खड़ा कर देते हैं। उन्होंने कहा कि दीवाली और दशहरा जैसे पर्वों पर भी सभी को इस तरह के प्रयास करने चाहिए।












