डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
देवभूमि उत्तराखंड अपने अद्धितीय सौंदर्य के अलावा प्रमुख धार्मिक स्थलों के लिए भी जाना जाता है. उत्तराखंड में सुप्रसिद्ध चार धामों के के साथ ही अन्य धर्मों के भी प्रसिद्ध धार्मिक स्थल मौजूद हैं. इनमें सिख धर्म का नानकमत्ता गुरुद्वारा साहिब अपना अलग ही स्थान रखता है. श्री गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब की धार्मिक मान्यताओं के चलते हर साल इस धर्म स्थल पर देश विदेश से लाखों श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता है.उत्तराखंड के उधमसिंह नगर जिले की नानकमत्ता उप तहसील में सिख धर्म का प्रसिद्ध गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब स्थित है. ये उत्तराखंड का सबसे बड़ा गुरुद्वारा है. देवभूमि के पर्वतीय इलाकों में स्थित हेमकुंड साहिब व रीठा साहिब गुरुद्वारों के अलावा तराई में स्थित एशिया के सबसे बड़े गुरुद्वारों में शुमार श्री नानकमत्ता साहिब सिख धर्म की आस्था का केंद्र है. हर वर्ष लाखों श्रद्धालु देश विदेश से इस दरबार में शीश नवाने पहुंचते हैं. सिख धर्म के प्रथम गुरु श्री गुरुनानक देव जी तीसरी उदासी (यात्रा) के समय हिमालय यात्रा के दौरान इस स्थान में पहुंचने के उपरांत यह प्रसिद्ध गुरुद्वारा अस्तित्व में आया था. आज यह सिख धर्म के के साथ ही सभी धर्मो की आस्था का केंद्र है. उत्तराखंड में सिखों के पवित्र धर्म स्थल के रूप में गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब लाखों लोगों की धार्मिक आस्था का केंद्र है. हालांकि उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब और रीठा साहिब दो सुप्रसिद्ध गुरुद्वारे भी मौजूद हैं. लेकिन उधमसिंह नगर जिले में स्थित गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब देश से लेकर विदेश तक लाखों लोगों की सैकड़ों सालों से धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है. नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारे के इतिहास की बात करें, तो आज से लगभग 516 साल पहले सिखों के प्रथम गुरु श्री गुरुनानक देव जी अपनी तीसरी उदासी के समय हिमालय यात्रा पर नानकमत्ता पहुंचे थे. उस समय यह स्थान गोरखमत्ता के रूप में जाना जाता था. क्योंकि इस स्थान पर उस दौर में सिद्धों का प्रमुख वास था. उस समय गुरु नानक देव जी ने इस स्थान पर मौजूद पीपल के पेड़ के नीचे अपना आसन जमाया था. कहा जाता है कि गुरु नानक देव जी के पेड़ के नीचे आसन जमाते ही सूखा पीपल का पेड़ हरा भरा हो गया. आज भी उस चमत्कारी पीपल के पेड़ की जड़ें जमीन से पांच से छह फीट ऊपर हैं. यह पेड़ करीब 516 साल से हरा भरा है. तभी से यह स्थान जहां लोगों की आस्था का केंद्र बना, वहीं बाद में गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब का इसी पवित्र स्थान पर 1935 में भव्य निर्माण हुआ. नानकमत्ता गुरुद्वारा साहिब में लोगों की आस्था की बात की जाए, तो सिख धर्म ही नहीं, वरन अन्य सभी धर्म के लोगों की भी इस धर्मिक स्थल पर अपनी आस्था है. हर साल लाखों तीर्थ यात्री गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब में मत्था टेक अपनी मनोकामनाओं को पूरी करने की प्रार्थना करते हैं. इस खूबसूरत धर्मिक स्थल में जहां लोगों को सुकून और शांति मिलती है, वहीं चमत्कारी पीपल के पेड़ के दर्शन कर इसमें नमक व झाड़ू चढ़ाने की भी मान्यता है. कहा जाता है कि ऐसा करने से चर्म रोग ठीक हो जाते हैं. गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब करीब सवा पांच सौ साल के गौरवशाली इतिहास को अपने में समेटे है. गुरुनानक देव जी के चमत्कार से प्रभावित होकर बाद में नवाब मेंहदी अली खां जिनकी यहां पर रियासत हुआ करती थी, उन्होंने गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब के नाम लगभग 4,500 एकड़ भूमि दान की थी. इसमें से लगभग 3,900 एकड़ भूमि नानक सागर डैम में चली गई. बची हुई 600 एकड़ भूमि में नानकमत्ता गुरुद्वारे का विशाल परिसर है. नानकमत्ता श्री गुरुद्वारा साहिब में हर वर्ष लाखों श्रद्धालु मत्था टेक उत्तराखंड के धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा देते हैं. कार्तिक मास की अमावस्या पर हर वर्ष इस गुरुद्वारे में 15 दिवसीय विशाल दीपावली मेला लगता है. इसमें देश विदेश से हर धर्म सम्प्रदाय के लोग नानकमत्ता गुरुद्वारा में पहुंच अपनी धार्मिक आस्था व्यक्त कर अपनी मनोकामनाओं को पाते हैं. गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब करीब सवा पांच सौ साल के गौरवशाली इतिहास को अपने में समेटे है. गुरुनानक देव जी के चमत्कार से प्रभावित होकर बाद में नवाब मेंहदी अली खां जिनकी यहां पर रियासत हुआ करती थी, उन्होंने गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब के नाम लगभग 4,500 एकड़ भूमि दान की थी. इसमें से लगभग 3,900 एकड़ भूमि नानक सागर डैम में चली गई. बची हुई 600 एकड़ भूमि में नानकमत्ता गुरुद्वारे का विशाल परिसर है. नानकमत्ता श्री गुरुद्वारा साहिब में हर वर्ष लाखों श्रद्धालु मत्था टेक उत्तराखंड के धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा देते हैं. कार्तिक मास की अमावस्या पर हर वर्ष इस गुरुद्वारे में 15 दिवसीय विशाल दीपावली मेला लगता है. इसमें देश विदेश से हर धर्म सम्प्रदाय के लोग नानकमत्ता गुरुद्वारा में पहुंच अपनी धार्मिक आस्था व्यक्त कर अपनी मनोकामनाओं को पाते हैं. नानकमत्ता ऐतिहासिक तीर्थ धाम गुरु का स्थान है जो आम जन को नई राह और नई दिशा दिखाता है। गुरु नानक देव जी महाराज मानवता की मिसाल हैं। उन्होंने नानकमत्ता में अनेक दीन-दुखियों और जरूरतमंदों की स्वयं मदद करके उन्हें समाज सेवा का सच्चा रास्ता दिखाया। ऊंच-नीच, जात-पात का भेदभाव न कर उन्होंने सभी को दीन-दुखियों की सेवा करने का उपदेश दिया।
नानकमत्ता गुरु नानक देव जी की साधना, चमत्कारों तथा समाज सेवा का प्रतीक स्थल है जो सर्वधर्म समभाव की सीख देता है। यहां उन्होंने अपने शिष्यों को मानव कल्याण के लिए साम्प्रदायिक सौहार्द की ज्योति जगाने का आदेश दिया था। लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं।लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।