
थराली से हरेंद्र बिष्ट।
भारी आपदा के 72 घंटों के बाद भी सड़कों के रखरखाव एवं नवनिर्माण में तेजी का दमखम भरने वाला बीआरओ पिंडर घाटी की लाइफ लाइन मानें जाने वाली ग्वालदम.कर्णप्रयाग राष्ट्रीय राजमार्ग जिसकी लंबाई 60 किमी से भी कम है, को अब तक भी यातायात के लिए नहीं खोल पाये हैं। जिसके कारण पिंडर घाटी के अधिकांश क्षेत्र का सीधा यातायात संपर्क जिला मुख्यालय सहित राजधानी देहरादून से पूरी तरह से कटा हुआ हैं। हालांकि बीआरओ के स्थानीय छोटे अधिकारियों का दावा है कि आज दोपहर तक इस मार्ग को छोटे वाहनों के लिए खोल दिया जाएगा।
17 अक्टूबर से शुरू हुई को हुई भारी बारिश से जहां पूरा प्रदेश हलकान बना हुआ हैं। वही इससे पिंडर घाटी भी अछूता नही रहा है। बारिश ने यहां पर भी कहराम मचा के रख दिया है। आपदा के 72 घण्टे बाद भी ग्वालदम-कर्णप्रयाग राष्ट्रीय राजमार्ग थराली से हरमनी के बीच बाधित चल रहा है। इस सड़क के रख.रखाव एवं नवनिर्माण का जिम्मा डीजीबीआर के ऊपर है। उसके द्वारा बीती देर रात करीब 10 बजे तक ग्वालदम से थराली तक राजमार्ग को यातायात के लिए खोल दिया है। किंतु थराली से आगे बुसेड़ी आदि स्थानों पर मार्ग अब भी ब़ंद पड़ा हुआ हैं। इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर सड़क बंद होने के कारण फैसे यात्रियों में व्यवस्थाओ को लेकर स्थानीय प्रशासन एवं शासन के प्रति खाशा गुस्सा दिखाईं दिया हैं।
इस संबंध में थराली के पूर्व विधायक और कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष डॉ जीतराम ने सरकार और प्रशासन पर सवालिया निशान दागते हुए कहा कि इस आपदा की घड़ी में सरकार और प्रशासन दोनों सुस्त पड़े हैं उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि मौसम के पूर्वानुमान के बाद भी प्रशासन की आपदा से निपटने के लिए किसी भी तरह की ठोस तैयारी कही पर भी नजर नहीं आयी हैं। उन्होंने कहा कि एक पुरानी मशीन के भरोसे बीआरओ सड़क खुलवाने के कार्य कर रहा है जिसका नतीजा है कि यात्री बीते 72 घण्टो से सड़क खुलने का इंतजार कर रहे हैं और प्रशासन सुध लेने को तैयार नहीं है। इधर पिछले 15 घंटों से अधिक समय से पिंडर घाटी में बिजली की आपूर्ति पूरी तरह से ठप पड़ी हुई हैं। जिससे आज भीअब तक तमाम सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थानों में जरूरी काम नही हो पा रहे हैं।












